इंदौर। इंदौर में प्रवासी भारतीय दिवस जब होगा और प्रदेश में दो बड़े विभाग काम बंद हड़ताल पर होंगे। प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से ही हड़ताल पर हैं और छह दिसंबर यानी शुक्रवार से बिजली विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल पर होंगे। कर्मचारियों के संगठन ने इसकी घोषणा कर दी है और बताया है कि पांच जनवरी गुरुवार की रात बारह बजे के बाद वे काम बंद हड़ताल पर जा रहे हैं। इस हड़ताल के कारण प्रदेश में अंधेरा छा सकता है। अचरज की बात है यह है कि अब तक इस मामले में सरकार की ओर किसी ने भी संगठन से बात नहीं की है।
गुरुवार रात बारह बजे से मध्यप्रदेश में बिजली विभाग के 70 हजार कर्मचारी काम बंद हड़ताल पर जा रहे हैं। इससे ब्लैक आउट होने की आशंका है। इस समय प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के 32 हजार कर्मचारी पहले से ही हड़ताल पर हैं।@MPEBIndore@UnitedForum_MP@VAKKS_MP@MPBVKS
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पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी के कर्मचारी गुरुवार दोपहर खासे व्यस्त नज़र आ रहे थे। दरअसल ये कर्मचारी हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। इनके संगठन मप्र यूनाइटेड फोरम काफी पहले से ही यह तय कर दिया था कि सरकार से उनकी मांगों को लेकर हो रही प्रक्रिया के आख़िरी चरण में काम बंद हड़ताल की जाएगी। पिछले दिनों छह जनवरी से होने वाली काम बंद हड़ताल की जानकारी भी दे दी गई। हड़ताल का समय वही है जो इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन का है। सम्मेलन जिसमें कई राष्ट्रप्रमुखों के अलावा कई देशों के भारतीय कारोबारियों के साथ, पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। ऐसे में बिजली जाना मुश्किल भरा और इस गरिमापूर्ण कार्यक्रम के लिए परेशानी भरा हो सकता है। अगर ऐसा होता है प्रदेश की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
@MPEBIndore कंपनी प्रबंधन जागा, आंदोलनरत संगठन @UnitedForum_MP, @VAKKS_MP, #taknikisangh, @gawandaynitin @MPBVKS एवं @outsourcempeb संगठन के प्रतिनिधियों से की चर्चा, कल से होनी है काम बंद आंदोलन की शुरुआत …@ArunTrivedi_ @aditya_prataps @khulasafirst @JanPrakashan pic.twitter.com/uo1Hmom6AL
— Pradeep Dwivedi (@prdeepdwivedi73) January 5, 2023
इंदौर इलाके में पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी के सीजीएम रिंकेश वैश्य ने इसे लेकर संगठन के लोगो से बात की। इस दौरान मुख्य अभियंता पुनीत दुबे भी मौजूद थे। अधिकारी ने संगठन से कहा कि वे इस हड़ताल को कुछ दिनों के लिए टाल दें ताकि यह कार्यक्रम बिना किसी विघ्न के पूरा हो जाए लेकिन संगठन ने इससे इंकार कर दिया। संगठन की ओर से पहुंचे पदाधिकारी प्रदीप द्विवेदी ने दलील दी कि वे काफी पहले इस कार्य़क्रम के बारे में जानकारी दे चुके हैं और अब इसे टाला नहीं जा सकता क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों पर दर्जनों पत्र और सैकड़ों ज्ञापनों के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया है।
द्विवेदी ने कहा कि सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच का संवाद लगभग खत्म हो चुका है और सरकार कर्मचारियों की बात सुनना भी नहीं चाहती फिर इस तरह की बात करने से क्या फायदा। उन्होंने कहा कि सरकार आयोजन के बाद फिर मौन धारण कर लेगी।
आज राज से काम बंद हड़ताल!
द्विवेदी ने देशगांव को बताया कि पांच जनवरी यानी गुरुवार से हड़ताल में शामिल होने वाले सभी कर्मचारी काम बंद हड़ताल शुरु कर देंगे। इसके बाद जो होगा उसकी ज़िम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होंने बताया कि हड़ताल के दौरान कार्यालयों का काम तो रुकेगा ही साथ ही फील्ड पर भी परेशानी खड़ी होगी। दरअसल यह आंदोलन संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की बेहतरी की मांग के साथ हो रहा है और बिजली दफ्तरों और फील्ड दोनों पर ही ऐसे कर्मचारियों की संख्या अधिक है। ऐसे में जब बिजली खराब होगी तो उसे सुधारने के लिए भी कोई नहीं आएगा। इसके अलावा 11 केवी या 35 केवी लाइन खराब होती है तो इसे सुधारने के लिए भी लोग नहीं होंगे। साथ ही दफ्तरों में भी सुनवाई नहीं होगी।
ये हैं मांगें…
बिजली कर्मचारी अपनी जिन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें संविदा कर्मचारियों के बिना शर्त नियमितीकरण करने, आउटसोर्स कर्मचारियों का विभाग में संविलियन करने, आउटसोर्स और तमाम दूसरे कर्मचारियों को दुर्घटना बीमा देने, पुरानी पेंशन स्कीम देने जैसी मांगें कर रहे हैं।