मप्र में सूखे के हालात, बारिश नहीं होने से फसल सूखने का खतरा, सोयाबीन में नुकसान तय


सोयाबीन की फसल में 25 से 50 प्रतिशत तक नुकसान हो चुका है और अब आने वाले दिनों में अगर पानी नहीं गिरा तो यह आंकड़ा और बढ़ेगा।


आशीष यादव
बड़ी बात Updated On :
सूख रही है सोयाबीन की फसल


करीब तीन सप्ताह से बारिश न होने से किसान चिंतित हैं। अगस्त के पूरे महीने में दो से तीन बार ही अच्छी बारिश हुई है। पिछले तीन सप्ताह से बारिश नहीं होने से फसलों को भी नुकसान होने लगा है।  फसलों को नुकसान से बचाने के लिए किसान बारिश के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं। उत्तर भारत में जहां इस बार अधिक वर्षा के कारण लोग परेशान हैं। वहीं मप्र में फिलहाल सूखे जैसे हालात बन रहे हैं। सोयाबीन की फसल में पानी के कमी केकारण काफी नुकसान हो चुका है और अब अगले एक दो दिनों में बारिश नहीं हुई तो तो पूरी फसल ही खराब हो सकती है। बांध भरे नहीं हैं और बिजली बन नहीं रही ऐसे में  बिजली का संकट भी सामने है। इसे लेकर सरकार भी खासी चिंतित नजर आ रही है।

मध्य प्रदेश का पश्चिमी क्षेत्रों में बारिश से खासा नुकसान नजर आ रहा है। इंदौर, धार और खरगोन जैसे कई जिलों में अभी से सूखे के हालात दिख रहे हैं।  यही वजह है कि धार जिले में करीब पांच लाख हेक्टेयर में लगाई गई सोयाबीन और अन्य फसलों की स्थिति बिगड़ रही है। वहीं सोयाबीन की फसल इस समय फली अवस्था मे व दाना भरने के समय बारिश की खींच के कारण इसका उत्पादन पर सीधे असर पड़ेगा। इस स्थिति से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी चिंतित हैं। उन्होंने लोगों से बारिश के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा है। वहीं बिजली की मांग में बढ़ोत्तरी हुई है और इसके लिए बिजली खरीदने पर भी जोर दिया जा रहा है।

खुद कृषि विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र अब किसानों को यह सलाह दे रहे हैं कि यदि पानी की उपलब्धता है तो स्प्रिंकलर यानी फव्वारा सिंचाई के माध्यम से अपनी फसल को सिंचित करें। वहीं मौसम विभाग के अनुसार आगामी 5 सितंबर से मानसून की सक्रियता होने की उम्मीद है लेकिन तब तक कई स्थानों पर फसलों की नुकसान की स्थिति बन सकती है। फसल का ये हाल देखकर  किसान की जान आफत में आ गई है । जिले में कई स्थानों पर तो फसल लगभग खराब हो चुकी है। ऐसे में किसानों को बड़ा नुकसान होना तय है।

 

अगस्त तो पूरा खालीः  इस बार अधिकमास के चलते दो-दो सावन थे, लेकिन एक भी सावन पूरी तरह से नहीं बरसा। 12 साल में पहली बार इस साल सावन की झड़ी भी देखने को नहीं मिली। अगस्त की बात की जाए तो पहले पखवाड़े में सिर्फ 4 इंच बारिश ही हुई है, जो बेहद ही कम है। सेटेलाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 5 सितम्बर के बीच बारिश होने की संभावना है। अगर बारिश नहीं होती तो किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी वही आने वाले फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा सूखे के आसार में किसान कर्ज में डूब जाएगा।

फूलों से फली बनने की अवस्थाः  इस संबंध में धार कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाक्टर जीएस गठिया ने बताया कि अभी फसलों को लेकर बहुत ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं लेकिन आगामी कुछ दिनों में परेशानी हो सकती है। खासकर ऐसी जमीन जहां पर काली मिट्टी नहीं है। हल्की मिट्टी है या पथरीली जमीन है, वहां पर सोयाबीन से लेकर अन्य फसलों पर अभी से विपरीत असर देखने को मिल रहा है। इस तरह के हालात में हम किसानों से संपर्क कर रहे हैं। किसानों को हमने सलाह दी है कि वह फव्वारा सिंचाई के माध्यम से फसलों को पानी दें। जहां काली मिट्टी वाली जमीन है वहां पर फिलहाल चिंता नहीं है लेकिन आगामी एक सप्ताह में बारिश होना जरूरी है। वरना इसका उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। वर्तमान में फूल से फली बनने की अवस्था है। इस अवस्था में एक बड़ी चिंता होती है क्योंकि इस तरह की स्थिति में हमें उत्पादन में गिरावट और नुकसान की स्थिति देखने को मिलती है।

सिंचाई करने के लिए दे रहे हैं सलाहः  इधर कृषि विभाग के उप संचालक जीएस मोहनिया ने बताया कि जिन किसानों के पास पानी की उपलब्धता है और संसाधन है। वें यदि फसल संकट वाली स्थिति में तो हम उन्हें कह रहे हैं कि फव्वारा सिंचाई करें। जिससे की फसलों को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौसम विभाग की भविष्यवाणी उसके अनुसार आगामी 5 सितंबर से फिर से मानसून की सफलता की उम्मीद है। फिलहाल सभी यही प्रार्थना कर रहे हैं कि फिर से मानसून की सक्रियता हो जाए। इससे की फसलों की स्थिति बेहतर हो सके।

बारिश नहीं हुई तो बर्बाद हो जाएगी फसल:
इस बार बारिश ने किसानों को परेशानी में डाल दिया अगर समय रहते बरसात नहीं होती तो किसनो मि आर्थिक स्थिति डगमगा जाएगी वह किसनो की कमर टूट जाएगी वही किसान कर्ज में डूब जाएगा अगर आने वाले दो-चार दिनों में बारिश नहीं होती है तो सोयाबीन की फसल बर्बाद हो जाएगी फिर किसानों के हाथ कुछ नहीं लगेगा
मुकेश परमार किसान अनारद

 

 

अभी वर्तमान में पानी की खेचे से जिले में 25 प्रतिशत उत्पादन का नुकसान हो गया है और आगे भी बारिश नहीं होती है तो यह नुकसान का प्रतिशत दिन प्रतिदिन बढ़ता जायेगा वही जिले के मालवा क्षेत्र में कोई सिंचाई परियोजना भी नही है जिस से किसान अपनी फसलों को पानी दे सके किसान भूजल पर ही सिंचाई के लिए निर्भर है और अभी तक नदी तालाब पूरी तरह से सूखे पड़े हैं तो जिस से भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है अगली फसल भी लेना किसानो के लिए मुश्किल है।

महेश ठाकुर भारतीय किसान संघ प्रांत मंत्री


Related





Exit mobile version