नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू देश की पंद्रवीं राष्ट्रपति बन चुकी हैं। सोमवार को उन्होंने इस पद के लिए शपथ ली। राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल हॉल में उन्हें सीजेआई एन वी रमन्ना ने शपथ दिलाई। जिसके बाद उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई। शपथग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख असैन्य एवं सैन्य अधिकारी समारोह में शामिल हुए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण करने के बाद संबोधन भी दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने ट्विटर पर भी अपने संदेश दिये। यहां उन्होंने जंगल और जलाशयों की भी बात की।
मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ ताल-मेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है।
मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है।
हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं।
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 25, 2022
पदभार संभालने के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने निवर्तमान राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद से शिष्टाचार भेंट की। राष्ट्रपति मुर्मू ने पिछले हफ्ते गुरुवार को राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल की है। उन्होंने विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया है। उन्होंने निर्वाचक मंडल सहित सांसदों और विधायकों के 64 प्रतिशत से अधिक वैध वोट प्राप्त किए और बड़े अंतर से चुनाव जीता। मुर्मू को सिन्हा के 3,80,177 वोटों के मुकाबले 6,76,803 वोट मिले। राष्ट्रपति मुर्मू आज़ादी के बाद पैदा होने वाली पहली और शीर्ष पद पर काबिज होने वाली सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति बनी हैं वे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बाद राष्ट्रपति बनने वाली दूसरी महिला हैं।
कहा जा रहा है कि आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू के देश की राष्ट्रपति बनने के बाद देश में आदिवासी समाज को एक नई आवाज़ मिलेगी। हालांकि इसके पीछे कई नागरिक सवाल भी उठा रहे हैं। वहीं राष्ट्रपति बनने से पहले द्रौपदी मुर्मू ने एक कर्मकांड में हिस्सा लिया। जिसकी ख़ासी चर्चा हो रही है। ट्राईबल आर्मी नाम के एक चर्चित ट्विटर हैंडल से पूछा गया कि क्या पहले कभी किसी राष्ट्रपति के साथ ऐसा हुआ है?
Did any other President in #India’s history have to go through this asks @TribalArmy? What is this ceremony? We the people of India would like to know. 🙏🏼 https://t.co/nksZRPQEe3
— Chitra Subramaniam (@chitraSD) July 24, 2022
नमस्ते @PMOIndia, यहां क्या हो रहा है? यह कौनसा नया संस्कार है? क्या संविधान इसकी इजाजत देता है? यह देश की राष्ट्रपति है या धार्मिक नेता? जब आदिवासियों पर हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा2(2) लागू नहीं होती तो वह हिंदू कैसे हो सकते है? ये संथाल आदिवासियों की संस्कृति का अपमान है। pic.twitter.com/EhI1hZgjPx
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) July 24, 2022
इस कर्मकांड पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। पीएमओ से पूछा जा रहा है कि यह सम्मान नई राष्ट्रपति की अनुमति से किया किया गया है। आदिवासी समाज से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस तरह राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले मुर्मू को धार्मिक कर्मकांड में शामिल करना एक तरह आदिवासी समुदाय को हिन्दुत्व की ओर खींचने का एक तरीका है। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय में भाजपा शाषित केंद्र सरकार ने और राज्य सरकारों ने आदिवासी समुदाय की पूछपरख बढ़ा दी है। इसके कई उदाहरण मध्यप्रदेश में देखने को मिले हैं।