मुख्य सचिव इकबाल सिंह के खिलाफ कांग्रेसी नेताओं ने की लोकायुक्त से शिकायत, पांच सौ करोड़ के घोटाले का आरोप


राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने लगाए कई आरोप, वहीं नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार के रवैये के चलते विधानसभा में बोल नहीं पाते


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बड़ी बात Published On :

मप्र में विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष सरकार पर लगातार हमले कर रहा है। विपक्ष ने अब तक कई मामलों में सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं और सरकार की ओर से इन पर कोई खास जवाब भी नहीं मिला है। सोमवार को एक बार फिर कांग्रेसी नेताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के नेतृत्व में कांग्रेसी नेताओं का एक दल लोकायुक्त के पास मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की शिकायत करने पहुंचा। कांग्रेसी नेताओं ने बैस और आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ललित बेलवाल के खिलाफ भी शिकायत की। उनका आरोप है कि आजीविका मिशन में पांच सौ करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह शिकायत  CAG और CVC की हालिया रिपोर्ट के आधार पर की गई है। जिसमें योजनाओं में भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है।

लोकायुक्त से शिकायत करने पहुंचे नेताओं में तन्खा के अलावा, डॉ. गोविंद सिंह, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, पारस सकलेचा सहित कई बड़े नाम शामिल थे। इस मामले में शिकायत सकलेचा ने ही तैयार की है। इन नेताओं के साथ कुछ सीनियर वकीलों की टीम भी थी। इनमें पूर्व सॉलिसिटर जनरल शशांक शेखर और अजय गुप्ता शामिल रहे।

इस शिकायत के मुताबिक बच्चों के पोषण आहार में करीब पांच सौ करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह अनियमितता साल 2018 से 2021 के बीच हुई है। प्रदेश के आठ जिलों में गड़बड़ी के आरोप हैं। कैग की रिपोर्ट निर्यात की गलत जानकारी, उत्पादन और फर्जी दस्तावेज लगाने की जानकारी है। आजीविका मिशन के तहत घोटाले में आठ सरकारी कंपनियों की मिलिभगत है। इस मामले को मुख्यसचिव इकबाल सिंह बैस देख ररहे थे वहीं ललित मोहन बेलवाल इस मिशन के सीईओ थे।

मुख्यसचिव के तौर पर इकबाल सिंह बैस पर सरकार खासी मेहरबान रही है। उन्हें रिटायरमेंट के बाद दो बार एक्टेंशन दे दिया गया है।  पहले उनका कार्यकाल मई 2023 में खत्म होने वाला था। लेकिन सरकार ने उन्हें 1 जून से 30 नवंबर 2023 के लिए एक्सटेंशन दिया है।

भोपाल में पत्रकारों से बातचीत के दौरान विवेक तन्खा ने कई तरह के आऱोप लगाए। उन्होंने कहा कि मुख्यसचिव और बेलवाल दोनों को सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन दिया है तो क्या यह मौका इन अधिकारियों को इसीलिए दिया गया है। तन्खा ने कहा कि कई बार इन मामलों को विधानसभा में उठाने की कोशिश की गई लेकिन उठाने नहीं दिया गया। तन्खा ने आरोप लगाया कि सरकार ने इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया और न ही उनकी जांच हुई।

 

इकबाल सिंह बैस पिछले कुछ दिनों से विवादों में ज्यादा हैं। हालही में वे एनजीटी की एक सुनवाई में बिना तैयारी के चले गए थे। जिस पर उन्हें जज ने खासी डांट लगाई थी। इसके बाद उक्त जज का बैंच से तबादला कर दिया गया। इसके पीछे राजनीतिक वजहों जैसी बातें भी की गईं। इस दौरान भी तन्खा मुख्य सचिव पर खासे नाराज़ दिखाई दिए थे। तन्खा ने उन्हें कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए शनिवार तक इस्तीफा देने का अल्टीमेटम भी दिया था। कांग्रेस नेता ने कहा था कि बैंस को खुद रिटायरमेंट लेकर इज्जत से चले जाना चाहिए नहीं तो हम उन्हें मध्य प्रदेश में पॉलिटिक्स नहीं करने देंगे। इससे पहले विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी इकबाल सिंह बैंस को हटाने की मांग कर चुके हैं।


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