मध्य प्रदेश में कांग्रेस की किसान न्याय यात्रा: राज्यभर में किसानों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन


मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने ‘किसान न्याय यात्रा’ शुरू की, जिसमें सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को 6,000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की गई। इस यात्रा में इंदौर, भोपाल, और मंदसौर समेत कई जिलों में प्रदर्शन हुए। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे मंडियों को बंद कराएंगे। यात्रा को राज्यभर के किसानों से व्यापक समर्थन मिला।


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मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने किसानों के हक के लिए एक बार फिर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ किसान न्याय यात्रा निकाली। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने की मांग करना है, खासकर सोयाबीन के लिए। कांग्रेस ने सोयाबीन के MSP को 4,892 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। इस यात्रा का नेतृत्व राज्य के प्रमुख कांग्रेस नेताओं ने किया, जिसमें इंदौर, भोपाल, छिंदवाड़ा, ग्वालियर, और उज्जैन सहित राज्यभर के कई प्रमुख शहरों में रैलियां निकाली गईं।

इंदौर और भोपाल में किसान न्याय यात्रा का नेतृत्व

इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस यात्रा का नेतृत्व किया।

यात्रा के दौरान पुलिस ने रैली को रोकने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। कई कार्यकर्ता घायल भी हुए, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पटवारी ने पुलिस के इस हस्तक्षेप को बीजेपी सरकार की साजिश बताया और कहा कि यह यात्रा किसानों के न्याय के लिए है, जिसे किसी भी कीमत पर रोका नहीं जा सकता।

भोपाल में कांग्रेस नेता अजय सिंह ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जहां पुलिस ने यात्रा को रोकने के लिए भारी बैरिकेडिंग और बुलडोजर का उपयोग किया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोधस्वरूप सड़कों पर ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। अजय सिंह ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो कांग्रेस मंडियों को बंद करने का आंदोलन करेगी।

राज्यभर में व्यापक समर्थन

छिंदवाड़ा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ ने इस न्याय यात्रा को हरी झंडी दिखाई। कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी सरकार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है और कांग्रेस किसानों के हक के लिए लड़ती रहेगी। ग्वालियर में कांग्रेस के नेता सचिन यादव ने ट्रैक्टर पर सवार होकर यात्रा का नेतृत्व किया और किसानों के साथ प्रदर्शन किया। उज्जैन में महिदपुर के विधायक दिनेश जैन यात्रा के दौरान ट्रैक्टर से गिरकर घायल हो गए, लेकिन इसके बावजूद किसानों का उत्साह कम नहीं हुआ और उन्होंने प्रदर्शन जारी रखा।

अलीराजपुर में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार हुए प्रदर्शन में शामिल

सागर, रतलाम, और देवास सहित अन्य जिलों में भी कांग्रेस की न्याय यात्रा में सैकड़ों ट्रैक्टर शामिल हुए। किसानों ने फसलों के समर्थन मूल्य के साथ-साथ बिजली और खाद की समस्याओं को भी उठाया। कांग्रेस के नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे किसानों की समस्याओं को हल करने में असफल रहे हैं, जिससे राज्य में कृषि संकट गहरा गया है।

कांग्रेस की मांगें और भविष्य की योजना

कांग्रेस पार्टी ने इस यात्रा के माध्यम से किसानों की कई मांगों को उजागर किया। पार्टी ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6,000 रुपये प्रति क्विंटल, गेहूं का 2,700 रुपये और धान का 3,100 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने फसल बीमा लागू करने, बिजली बिलों में छूट देने, और किसानों की फसलों का सही मूल्य दिलाने की भी मांग की।

कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो वे आगामी विधानसभा सत्र में मंडियों को बंद करने का आह्वान करेंगे। जीतू पटवारी ने कहा कि यह आंदोलन केवल एक शुरुआत है, और अगर किसानों को उनका हक नहीं मिला, तो कांग्रेस इस संघर्ष को और भी व्यापक स्तर पर ले जाएगी।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

बीजेपी ने कांग्रेस की इस न्याय यात्रा को राजनीतिक नौटंकी करार दिया। राज्य बीजेपी अध्यक्ष वी. डी. शर्मा ने कहा कि कांग्रेस अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के इस आंदोलन में जनता का समर्थन नहीं है, और कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं।

 

कांग्रेस की किसान न्याय यात्रा ने मध्य प्रदेश में एक बार फिर से किसानों के मुद्दों को केंद्र में ला दिया है। किसानों को उचित समर्थन मूल्य दिलाने के लिए कांग्रेस ने यह आंदोलन शुरू किया है, जो आने वाले दिनों में और व्यापक हो सकता है। हालांकि, बीजेपी ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है, लेकिन कांग्रेस ने यह स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिलता।

 


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