इंदौर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स के सर्वर को हैक कर लिया गया है। यहां का सर्वर पिछले 6 दिनों से डाउन है। और हैकर्स ने इसके एवज में 200 करोड़ रुपए की मांग की है। खबरों के मुताबिक हैकर्स ने यह मांग क्रिप्टो करेंसी के रूप में की है। हैकर्स के द्वारा एम्स में मरीजों के डाटा से छेड़छाड़ की जा रही है। जानकारी के मुताबिक बुधवार सुबह सामने आई सिक्योरिटी ब्रीच में 3-4 करोड़ मरीजों का डेटा से छेड़ छाड़ की गई थी।
यह मामला इसलिए भी बड़ा है क्योंकि एम्स के कंप्यूटर सिस्टम में यहां भर्ती रहे देश के आम नागरिकों के साथ बेहद खास यानी पूर्व प्रधानमंत्री नौकरशाह और तमाम प्रभावशाली लोगों का डेटा भी मौजूद है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चूंकि सर्वर अभी भी डाउन था, इसलिए इमरजेंसी, आउट पेशेंट, इनपेशेंट और लैबोरेटरी विंग्स में मरीजों की देखभाल सेवाओं को मैन्युअल रूप से मैनेज किया जा रहा था।
Delhi Police’s IFSO Unit registers case against unknown persons in the AIIMS-Delhi server hack case.
— ANI (@ANI) November 24, 2022
देश के सबसे बड़े अस्पताल पर हुए इस कंप्यूटर हमले की जांच दिल्ली पुलिस, गृह मंत्रालय और इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-आईएन) कर रही है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस के इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) डिवीजन ने जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया है।
जांच एजेंसियों की सिफारिशों के आधार पर अस्पताल के कंप्यूटरों पर इंटरनेट का उपयोग बंद कर दिया गया है।
हालांकि एनआईसी ई-हॉस्पिटल डेटाबेस और एप्लिकेशन सर्वर अब ऑनलाइन दिखाई दे रहे हैं। एम्स के अन्य ई-हॉस्पिटल सर्वर जो अस्पताल सेवाओं के प्रावधान के लिए आवश्यक हैं, उन्हें एनआईसी टीम द्वारा स्कैन और साफ किया जा रहा है।
ई-अस्पताल सेवाओं को बहाल करने के लिए स्थापित किए गए चार भौतिक सर्वरों के लिए डेटाबेस और एप्लिकेशन को पूरी तरह स्कैन कर तैयार किया गया है।
इसके अलावा अस्पताल के नेटवर्क को पूरी तरह स्कैन कर सुरक्षित बनाया जा रहा है। इसके लिए एक मजबूत एंटीवायरस प्रोग्राम भी तैयार किया गया है जिसे अस्पताल के तकरीबन 5000 कंप्यूटरों में से 12 सौ में इंस्टॉल किया जा चुका है। पीटीआई के हवाले से कहा गया है कि “हैकर्स ने क्रिप्टोकरंसी में कथित तौर पर करीब 200 करोड़ रुपये की मांग की है।”