नई दिल्ली। केंद्र सरकार लगातार हो रही अपनी आलोचनाओं को लेकर चिंतित है। अब सरकार सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के साथ ही सरकार के समर्थक और आलोचक पत्रकारों की भी कोडिंग करने जा रही है। प्रस्ताव यहां तक है कि सरकार को लेकर पत्रकारों के नजरिए के हिसाब से उनकी कलर कोडिंग तक की जाए।
कारवां मैगजीन ने इस संदर्भ में एक आर्टिकल प्रकाशित किया है। कारवां ने रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि कोरोना काल के बीच केंद्र सरकार ने आलोचनाओं को बढ़ते देख मीडिया और सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए एक कमेटी बनाई थी। जिसमें देश के 12 पत्रकारों ने अपने सुझाव दिए थे। इस कमेटी ने कोरोना काल के दौरान एक रिपोर्ट तैयार की थी। हाल ही में डीजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के नियंत्रण करने के लिए सरकार ने जो कदम उठाए हैं वो भी इसी रिपोर्ट से प्रभावित बताए जा रहे हैं। इस रिपोर्ट को जिस समूह ने तैयार किया है उसमें पांच कैबिनेट स्तरीय और चार राज्यमंत्री थे।
कारवां के मुताबिक उस रिपोर्ट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने चिंता जाहिर की थी कि हमारे पास एक ऐसी मजबूत रणनीति होनी चाहिए जिससे बिना तथ्यों के सरकार के खिलाफ झूठा नैरेटिव-फेक न्यूज फैलाने वालों को बेअसर किया जा सके। हालांकि इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि फेक नैरेटिव क्या है और सरकार इसकी पहचान कैसे करेगी। कारवां ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि सरकार के इस कदम से यह कहा जा सकता है कि वह मीडिया में अपनी छवि को लेकर परेशान है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन पत्रकारों की पहचान की जानी चाहिए जो नेगेटिव नैरेटिव खड़ा करते हैं और फिर ऐसे लोगों को ढूंढा जाना चाहिए जो इस नैरेटिव की काट कर सकें, ताकि जनता को सरकार के पक्ष में किया जा सके।
कारवां के मुताबिक यह रिपोर्ट 2020 के बीच में मंत्रियो के एक समूह ने छह बैठकों और मीडिया के कुछ विशेष लोगों, उद्योग और व्यवसायिक चेंबरों के सदस्यों के परामर्श पर तैयार की है। इस रिपोर्ट की जानकारी सबसे पहले 8 दिसंबर 2020 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित हुई थी। नकवी के अलावा मंत्रियों के समूह में संचार, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, कपड़ा मंत्री तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी, अनुराग ठाकुर, बाबुल सुप्रियो और किरेन रिजिजू भी थे।
इस रिपोर्ट में सरकार के इमेज क्राइसेस को लेकर कई सिफारिशें की गई हैं। स्मृति ईरानी द्वारा एक सिफारिश को लागू करने की जिम्मेदारी इलेक्ट्रॉनकि मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर को दी गई है। जिसमें 50 नकारात्मक और सकारात्मक इनफ्लुएंसर की पहचान करने को कहा गया है और वह निरंतर 50 नकारात्मक इनफ्लुएंसर को ट्रैक करेंगे। इलेक्ट्रॉनकि मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आता है।
रिपोर्ट में एक भाग है जिसका नाम एक्शन पॉइंट्स है उसमें कहा गया है कि इनफ्लुएंसर झूठा नैरेटिव फैलाते हैं और सरकार को बदनाम करते हैं और इन्हें निरंतर ट्रैक करने की जरूरत है ताकि सही और यथासमय इन्हें जवाब दिया जा सके। इसके साथ ही एक्शन पॉइंट्स में यह बताया गया है कि 50 पॉजिटिव इनफ्लुएंसर के साथ लगातार संपर्क रखा जाए और साथ ही सरकार के समर्थक और न्यूट्रल पत्रकारों के साथ संपर्क में रहा जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पत्रकार सकारात्मक खबरें देंगे साथ ही झूठे नैरेटिव का भी जवाब देंगे।
मीडिया में सरकार की छवि को लेकर भी रिपोर्ट में मंत्रीयों और प्रमुख मीडिया पर्सनालिटियों ने विचार दिए हैं। एनडीटीवी और तहलका के साथ काम कर चुके नितिन गोखले जो अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के करीबी माने जाते हैं, उन्होंने कहा है कि – छवि को लेकर प्रक्रिया कलर कोंडिग के जरिए शुरू की जानी चाहिए। हरा – जो किसी का पक्ष नहीं लेता, काला – जो हमारे खिलाफ है और सफेद – जो हमारा समर्थन करते हैं। हमें पक्षधर पत्रकारों का समर्थन करना चाहिए और प्रोत्साहन देना चाहिए।
इस रिपोर्ट को यहां पढ़ सकते हैं –
202011040404_35BRK1रिपोर्ट के एक भाग का शीर्षक है पॉजिटिव इनीशिएटिव्स इन बोग। इस भाग में कहा गया है कि ऐसे कदम उठए जाने चाहिए जिसमें यह सुनिश्चित हो सके कि डिजिटल मीडिया में रिपोर्टिंग पूर्वाग्रह से प्रेरित न हो जो कि विदेश निवेश के कारण होती है। यह तय किया गया है कि विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत रखी जाए और इसे लागू करने की प्रक्रिया जारी है। रिपोर्ट में ओटीटी प्लेटफॉर्म को अधिक जिम्मेदार बनाने की भी बात की गई है।
रिपोर्ट में ऑपइंडिया की संपादक नूपुर शर्मा ने भी सिफारिश की है कि ऑप इंडिया जैसे ऑनलाइन पोर्टल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अभिजीत मजूमदार ने कहा कि ऑल्ट न्यूज शातिराना है। ऑपइंडिया की मदद करें और ऑपइंडिया के ट्वीट्स को री-ट्वीट करें। बता दें कि ऑपइंडिया एक दक्षिणपंथी वेबसाइट है। इसकी कई खबरों को ऑल्ट न्यूज ने फैक्ट चेकिंग करके गलत बताया है।
मंत्रियों के समूह ने इन दोनों सुक्षावों को नोट किया और लागू करने का जिम्मा एमआईबी को सौंपा है। रिपोर्ट में कहा गया है – ऑनलाइन पोर्टल को बढ़ावा देना और उसका समर्थन करना आवश्यक है क्योंकि मौजूदा ऑनलाइन पोर्टलों में अधिकांश पोर्टल सरकार की आलोचना करते हैं।
(यह स्टोरी जोशहोश.कॉम से साभार ली गई है)