मध्य प्रदेश सरकार ने असामाजिक तत्वों और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए राज्य के सभी जिलों के कलेक्टरों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई करने की शक्तियाँ प्रदान की हैं। सरकार का यह आदेश 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर 2024 तक प्रभावी रहेगा।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस निर्णय का उद्देश्य प्रदेश में शांति और सुरक्षा को बनाए रखना है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि त्योहारों के सीजन में, जिसमें नवरात्रि, दशहरा और दीपावली शामिल हैं, सुरक्षा व्यवस्था को सख्त बनाए रखा जाए। सरकार के पास इनपुट है कि इस दौरान कुछ असामाजिक तत्व सक्रिय हो सकते हैं, जो राज्य की शांति व्यवस्था और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकते हैं।
राज्य सरकार ने कलेक्टरों को NSA के तहत कदम उठाने की अनुमति दी है ताकि वे खुलकर उन तत्वों पर कार्रवाई कर सकें जो राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। कलेक्टरों को यह अधिकार बिना किसी कानूनी अड़चन के ऐसे तत्वों को तुरंत हिरासत में लेने के लिए दिया गया है।
अनुभव और आलोचना
हालांकि, इस प्रकार की शक्तियों के विस्तार को लेकर मानवाधिकार संगठनों और राजनीतिक विश्लेषकों ने चिंता जताई है। पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) का मानना है कि ऐसे कठोर कानूनों का अतीत में दुरुपयोग होता रहा है। PUCL की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव का कहना है कि इस तरह की शक्तियाँ असहमति और आलोचना को दबाने के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा बन सकती है।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के प्रोफेसर नीरज सिंह के अनुसार, NSA जैसे कानूनों का इस्तेमाल केवल आपातकालीन स्थितियों में होना चाहिए। उनके अनुसार, “सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस कानून का उपयोग केवल राज्य की शांति और सुरक्षा के लिए हो, न कि राजनीतिक विरोधियों और असहमति जताने वालों को दबाने के लिए।”
नियम के लागू होने से उत्पन्न चिंताएँ
आलोचक यह सवाल भी उठा रहे हैं कि इस कानून का व्यापक स्तर पर लागू होना क्या सरकार की प्रशासनिक असफलता का संकेत है? त्यौहारों के दौरान हर तीन महीने में NSA के तहत कलेक्टरों को शक्तियाँ देने से ऐसा लगता है कि प्रशासनिक व्यवस्था सामान्य कानूनों के तहत शांति व्यवस्था बनाए रखने में विफल हो रही है। इस तरह के कठोर कानून का रूटीन इस्तेमाल क्या दर्शाता है?
इसके अलावा, NSA का उपयोग राज्य में असहमति जताने वाले सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी किया जा सकता है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या असहमति का अधिकार सुरक्षित है? राज्य सरकार का इस प्रकार की शक्ति का विस्तार करना, जबकि पहले भी इसे कई बार लागू किया जा चुका है, चिंताएँ बढ़ा रहा है।
क्या कहती है सरकार?
सरकार ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि यह कदम केवल असामाजिक तत्वों के खिलाफ उठाया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि प्रदेश में शांति और सुरक्षा को बनाए रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, और NSA का उपयोग केवल उन मामलों में किया जाएगा जहाँ यह अत्यावश्यक है।