मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित अन्य बीजेपी शासित राज्य जब कथित ‘लव जिहाद’ पर कानून बनाने की तैयारी में हैं, ठीक उसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ, चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो, रहने का अधिकार है। अदालत ने ये फैसला कुशीनगर थाना के सलामत अंसारी और तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया। अदालत ने कहा कि यहां तक कि राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता है।
अदालत ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा है कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या विपरीत सेक्स के ही क्यों न हों।
कोर्ट ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार का हिस्सा है। किसी बालिग जोड़े को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि हम हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि दो युवा देख रहे हैं, जिन्हेंं संविधान का अनुच्छेद-21 अपनी पसंद व इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।
कुशीनगर निवासी सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की पीठ ने दिया।
याचिका में कहा गया था कि, वह दोनों बालिग हैं और 19 अक्टूबर 2019 को उन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया है। इसके बाद प्रियंका ने इस्लाम को स्वीकार कर लिया है और एक साल से वह दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं। प्रियंका के पिता ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है, जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दाखिल की थी।
अदालत ने कहा कि , दो व्यक्ति जो अपनी स्वतंत्र इच्छा से साथ रह रहे हैं, उस पर आपत्ति करने का किसी को अधिकार नहीं है।
[Breaking] "Right To Choose A Partner Of Choice A Fundamental Right": Allahabad High Court Says The Judgments Which Held "Conversion For The Purpose Of Marriage Only" Not Good Law https://t.co/2D82W0uIPv
— Live Law (@LiveLawIndia) November 23, 2020
कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है।
कोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा प्रियांशी उर्फ समरीन और नूरजहां बेगम उर्फ अंजली मिश्रा के केस में दिए गए फैसलों से असहमति जताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों में दो वयस्क लोगों द्वारा अपनी मर्जी से अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि यह फैसले सही कानून नहीं हैं।