
मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक असीरगढ़ किले के आसपास इन दिनों अजीबोगरीब घटनाएं देखने को मिल रही हैं। मुगलकालीन सोने के सिक्कों की अफवाह ने ग्रामीणों को इतना आकर्षित कर लिया कि वे खेतों में खुदाई करने के लिए उमड़ पड़े। बीते कुछ दिनों से यहां सैकड़ों ग्रामीण रातभर खुदाई में जुटे हैं। इस मामले को हालही में आई छावा फिल्म ने और हवा दी जिसमें
ऐसे शुरू हुई अफवाह?
करीब तीन महीने पहले इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाइवे पर खुदाई के दौरान कुछ लोगों को प्राचीन सोने के सिक्के मिलने की अफवाह फैली थी। स्थानीय लोगों के बीच यह चर्चा जोरों पर थी कि कुछ किसानों को चार किलो सोना मिला, हालांकि प्रशासन की जांच में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला।
इसके बाद से असीरगढ़ किले के पास सिक्कों की तलाश तेज हो गई। पिछले दस दिनों में तो यह एक तरह का अभियान बन गया। हर शाम करीब 500 लोग फावड़े, टार्च, और मेटल डिटेक्टर लेकर खुदाई करने पहुंच जाते हैं।
खेतों में बन गए हजारों गड्ढे
इस अफवाह का असर इतना ज्यादा हुआ कि अब खेतों में दूर-दूर तक सिर्फ गड्ढे ही नजर आते हैं। खेतों की मिट्टी छानने के लिए छन्ने तक लाए जा रहे हैं। रात को टॉर्च की रोशनी के कारण असीरगढ़ किले के आसपास का नज़ारा किसी बसाहट जैसा दिखता है।
ग्रामीणों का दावा है कि कई लोगों को सोने के सिक्के मिले हैं, लेकिन कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं। कुछ लोग मेटल डिटेक्टर तक लेकर आ रहे हैं, ताकि उन्हें सोने का ठिकाना मिल सके।
असीरगढ़ किले का ऐतिहासिक महत्व
असीरगढ़ किला भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक है। यह मुगलों से लेकर मराठों और अंग्रेजों तक के नियंत्रण में रहा। इतिहासकारों के अनुसार, यहां मुगलकाल में एक टकसाल थी, जहां सोने-चांदी के सिक्के ढाले जाते थे। माना जाता है कि युद्धों और लूटपाट के दौरान यहां बड़ी मात्रा में खजाना दब गया था, जिसे ग्रामीण अब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।
पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद के सदस्य शालिकराम चौधरी का कहना है कि करीब ढाई सौ साल तक यहां टकसाल संचालित होती थी। कई दुर्लभ सिक्के आज भी संग्रहकर्ताओं के पास हैं।
प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं
अब तक पुलिस और प्रशासन ने इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है। पुरातत्व विभाग के प्रभारी अधिकारी विपुल मेश्राम ने कहा कि वे मौके पर जाकर स्थिति का आकलन करेंगे। यदि खुदाई में ऐतिहासिक धरोहर मिलने की पुष्टि होती है, तो उसे सरकार के पास जमा कराया जाएगा।
विशेषज्ञों की राय
इतिहासकारों का मानना है कि यदि यहां सच में मुगलकालीन सिक्के हैं, तो यह भारत की धरोहर है, जिसे बचाना जरूरी है। कांग्रेस के पूर्व महासचिव अजय रघुवंशी ने कहा कि प्रशासन को पहले ही चेताया गया था कि ऐसी अफवाहों से कोई बड़ी घटना हो सकती है।