नई दिल्ली। मोदी सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट यानी DICGC संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की रकम सुरक्षित रहेगी।
जमाकर्ताओं को 90 दिन के भीतर यह रकम मिल जाएगी। अभी ग्राहकों की बैंक में जमा एक लाख रुपये तक की रकम ही सुरक्षित होती है। हालांकि सरकार 2020 में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट 5 गुना बढ़ाने का ऐलान कर चुकी थी, लेकिन इसे कैबिनेट की मंजूरी अब मिली है।
इसके साथ ही अभी इसे संसद की मंजूरी मिलना बाकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि इस बिल को संसद के मानसून सत्र में ही पेश किया जाएगा।
सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस में 1993 के 27 साल बाद पहली बार बदलाव किया है। ताजा फैसला 4 फरवरी 2020 से लागू होगा यानी PMC, लक्ष्मी विलास बैंक और यस बैंक के ग्राहकों को भी इसका फायदा मिलेगा।
Under DICGC Bill 2021, 98.3% of all deposits will get covered and in terms of deposit value, 50.9% deposit value will be covered. Global deposit value is only 80% of all deposit accounts. It only covers 20-30% of deposit value: Finance Minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/UFJi7ZsFG5
— ANI (@ANI) July 28, 2021
DICGC एक्ट 1961 की धारा 16 (1) के मुताबिक अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को पेमेंट करने के लिए जिम्मेदार होता है क्योंकि जमाकर्ताओं द्वारा जमा की गई रकम पर एक लाख रुपये तक का बीमा होता है। इसी लिमिट को सरकार ने बढ़ाकर पांच लाख कर दिया है।
डिपॉजिट इंश्योरेंस के तहत, ग्राहक के कुल पांच लाख रुपये ही सुरक्षित होते हैं। अगर ग्राहक का एक ही बैंक की कई ब्रांच में अकाउंट है, तो सभी अकाउंट में डिपॉजिट अमाउंट और ब्याज जोड़कर पांच लाख तक की रकम ही सुरक्षित मानी जाएगी। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होंगे।
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के 2020 में डूबने के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस बढ़ाने का फैसला लिया गया था। केंद्रीय बजट में भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट, 1961 में संशोधन का ऐलान किया था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण बजट सत्र को स्थगित कर दिया गया था।