नई दिल्ली। विदेश में छिपे अपराधियों के लिए ऑपरेशन ‘त्रिशूल’ काल बन गया है। दरअसल, ऑपरेशन त्रिशूल की मदद से ही आज सीबीआई तरह-तरह के अपराधों को अंजाम देकर भारत से भागने वालों पर जबरदस्त शिकंजा कस रही है।
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा चलाया जा रहा यह ऑपरेशन अभी तक देश से फरार 33 भगोड़ों को वापस पकड़कर लाने में सफल साबित हुआ है। वहीं अब CBI के रडार पर 276 भगोड़ों को वापस पकड़कर लाने के लिए आगे काम किया जा रहा है।
ऐसे में हमारे लिए ऑपरेशन ‘त्रिशूल’ के बारे में विस्तार से जानना बेहद आवश्यक है। सीबीआई ने यह कार्य एक विशेष ऑपरेशन के हिस्से के रूप में किया है, जिसका कोडनेम ‘त्रिशूल’ रखा गया है।
इस ऑपरेशन का उद्देश्य वित्तीय अपराधों की आय का पता लगाने के अलावा अन्य देशों में छिपे हुए अपराधियों का पता लगाना और उन्हें वापस लाना है।
इंटरपोल के सहयोग से 33 भगोड़ों को पकड़ कर भारत लाई CBI –
ज्ञात हो, इंटरपोल के सहयोग से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) पिछले 1 साल में करीब 33 भगोड़ों को प्रत्यर्पण कराने में सफल रही है, जबकि भारतीय एजेंसियां बाकी 276 भगोड़ों की तलाश में जुटी हुई हैं। जल्द ही उन्हें भी पकड़कर भारत वापस लाया जाएगा।
2022 में 27 और 2023 में अब तक छह भगोड़े लाए गए वापस –
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इंटरपोल के सहयोग से पिछले एक साल में 33 भगोड़ों को प्रत्यर्पित किया है। इनमें साल 2022 में 27 और 2023 में अब तक छह भगोड़ों को वापस लाया गया है।
इसी क्रम में हाल ही में मोहम्मद हनीफ मक्काटा नामक एक संदिग्ध को लाया गया है, जिसकी केरल पुलिस को अपहरण और हत्या के एक मामले में तलाश थी।
मोहम्मद हनीफ मक्काटा को रविवार को सऊदी अरब से प्रत्यर्पित किया गया था। पिछले साल से अब तक भारत लाया गया वह 33वां भगोड़ा बताया जा रहा है।
मक्काटा, एक भगोड़ा था जिसके खिलाफ इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) जारी किया गया था। वह केरल पुलिस द्वारा 2006 में करीम के अपहरण और हत्या के सिलसिले में वांछित था। इस मामले की जांच कोझिकोड में कुन्नमंगलम पुलिस स्टेशन द्वारा की गई थी।
मक्काटा सऊदी अरब में मौजूद था। सीबीआई अधिकारियों ने सऊदी अरब की इंटरपोल इकाई को मक्काटा के ठिकाने के बारे में सूचित किया और उसे भारत वापस ले जाने के लिए एक टीम की मांग की। आरोपी को सऊदी अरब से देश वापस लाने के पश्चात सीबीआई ने केरल पुलिस को सूचना दी।
30 से अधिक हाई-प्रोफाइल अपराधियों को भी वापस लाने के प्रयास जारी –
इसी प्रकार नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, नितिन संदेसरा और जतिन मेहता समेत भारत में वित्तीय धोखाधड़ी करने के 30 से अधिक हाई-प्रोफाइल अपराधियों को विदेश से वापस लाने के लिए एजेंसियां लगातार संघर्ष कर रही हैं।
कौन होते हैं भगोड़ा आर्थिक अपराधी –
भगोड़ा आर्थिक अपराधी (FEO) ऐसा व्यक्ति है जिसके खिलाफ अनुसूची में दर्ज किसी अपराध के संबंध में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और इस अपराध का मूल्य कम-से-कम 100 करोड़ रुपये है।
आवेदन पर सुनवाई के बाद एक विशेष अदालत (PMLA, 2002 के तहत नामित) किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर सकती है।
इसके पश्चात् भारत का ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम 2018 कानून’ अधिकारियों को गैर दोषी-आधारित कुर्की और ‘भगोड़े आर्थिक अपराधी’ की संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है, जिसके खिलाफ अनुसूचित अपराध के संबंध में गिरफ्तारी का वारंट भारत में किसी भी अदालत से जारी किया गया हो।
यह उन भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर लागू होता है जिसने आपराधिक अभियोजन या न्यायिक प्रक्रियाओं से बचने के लिए देश छोड़ दिया हो।
भारतीय एजेंसियां वैश्विक स्तर पर 276 भगोड़ों की कर रही हैं तलाश –
इंटरपोल के अनुसार, भारतीय एजेंसियां आरसीएन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर 276 भगोड़े लोगों की तलाश कर रही हैं, जिनमें ये हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधी भी शामिल हैं।