नरसिंहपुर। मानसून विशेषज्ञों, मौसम विज्ञानियों की मानें तो प्रदेश में मानसून अगले हफ्ते तक दस्तक दे सकता है। कहा जा सकता है कि अमृत बरसने तैयार है। इस बीच हमारे पास कई करोड़ खर्च करने के बाद भी इस अमृत को बचाने के लिए अधूरे इंतज़ाम हैं।
नरसिंहपुर में हालात ऐसे हैं कि अमृत सरोवर योजना में हो रहे कामों को लेकर कांग्रेस तो जिला प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा ही रही है खुद भाजपा के नेता भी इससे खुश नहीं हैं और साफ तौर पर कह रहे हैं कि कई गड़बड़ियां हैं जिनके लिए स्थानीय अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार हैं।
प्रदेश के 52 जिलों में 376 करोड़ से बनने वाले 2451 अमृत सरोवरों का हाल बेहाल है। कहीं वह अधूरे पड़े हैं तो कहीं बने ही नहीं हैं और बहुतों में तो तकनीकी खराबियां हैं।
मानसून से पहले अमृत तुल्य बारिश के पानी को रोकने के लिए प्रदेश भर में इस वर्ष 376.04 करोड़ की लागत से 2451 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य है लेकिन इनके निर्माण की गति और गुणवत्ता को देखने से लगता ही नहीं है कि इन अमृत सरोवरों को बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च किये गए हैं। लोगों के मुताबिक इनमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है लेकिन सरकारी ऐजेसिंया इस पर ध्यान ही नहीं दे रहीं हैं ,यह बात सामने आ रही है।
प्रदेश के जिलों में अमृत सरोवर
मध्य प्रदेश के 52 जिलों में 2451 अमृत सरोवरों का निर्माण के लिए मनरेगा योजना एवं अन्य मदों से कुल 376.04 करोड़ रुपये की राशि का खर्च निर्धारित है। अमृत सरोवरों की जिलेवार सूची अनुसार छिंदवाड़ा जिले में 109, मुरैना जिले में 108, बैतूल में 104, सिंगरौली में 80, उज्जैन में 51, शिवपुरी में 39, सीधी में 46, रीवा में 36, मंदसौर में 67, रतलाम में 60, नर्मदापुरम (होशंगाबाद) में 43, बुरहानपुर में 75, बालाघाट में 64, अलीराजपुर में 54, छतरपुर में 60, दतिया में 53, इंदौर में 63, जबलपुर में 51, खरगोन में 76, ग्वालियर में 51, डिंडोरी में 22, कटनी में 53, खंडवा में 53, दमोह में 53, धार में 65 व नरसिंहपुर जिले में 30 अमृत सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्वीकृत सरोवरों को मिलाकर नरसिंहपुर जिले में 63 अमृत सरोवर बनाए जाने हैं। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान जल संरक्षण सहित रोजगार का माध्यम बनने वाली केंद्र सरकार की यह बेहतरीन कार्ययोजना लचर व्यवस्था की भेंट चढ़ गई है।
नरसिंहपुर जिले में 13 मार्च की स्थिति में लगभग 30 अमृत सरोवरों का निर्माण प्रगतिरत बताया गया है जबकि 12 मई की स्थिति में अधिकारियों का कहना है कि 37 पूरे किए जा चुके हैं। हाल यह है कि साईंखेड़ा विकासखंड में तो कहीं सरोवरों के निर्माण के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ।
पिछले दिनों नरसिंहपुर कलेक्टर ने कुछ स्थानों का मुआयना किया। जिस दौरान कार्यों में लापरवाही पर नाराजगी जताई , सुधार के निर्देश दिए तो कहीं स्थान बदलने को भी कहा लेकिन यह सब अखबारों मीडिया तक खबर पहुंचाने के लिए सीमित रहा।
गोटेगांव जनपद के अंतर्गत बेलखेड़ी शेढ में अमृत सरोवर बीते वित्तीय वर्ष में 23 लाख 80 हज़ार रु की लागत से स्वीकृत हुआ लेकिन यह 13 मई 2023 की स्थिति में भी अधूरा है जबकि यह शेढ नदी के ऊंचे-नीचे मिट्टी के टीलों, पठार के बीच बनाया जा रहा है। निर्माणाधीन तालाब को देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि 23 – 24 लाख रुपए किस तरह मिट्टी में मिलाए जाने की योजना बद्ध कहानी है।
अमृत सरोवर योजना में नरसिंहपुर जिले में हो रहा काम कई सवाल उठा रहा है। मानसून से पहले यह स्थिति चिंताजनक है। कांग्रेस और भाजपा नेता एक सुर में कह रहे हैं कि सरोवर निर्माण में भ्रष्टाचार हो रहा है।
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नरसिंहपुर जनपद के अंतर्गत ग्राम डुडवारा ग्राम पंचायत के तहत ग्राम लबेरी में एक ढलान वाली जमीन को अमृत सरोवर की शक्ल देकर 20 .75 लाख़ रुपए खर्च करना बतला दिया गया। यहां ना तो पत्थरों की दीवार दिखाई देती है और ना ही सही तरीके से की गई पिंचिग। योजना के तहत पौधारोपण भी होना था लेकिन सब कागजों तक ही सीमित है। ग्राम कटकुही के सरोवर की यह तस्वीर देखकर समझ जा सकता है कि कैसे यहां लोकधन की बर्बादी की गई है।
जिले में अमृत सरोवरों के निर्माण की उपयोगिता और कार्ययोजना तैयार की गई है योजना के मानक पर नहीं है।
ऐसे में नरसिंहपुर सहित मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में निर्मित किए जा रहे अमृत सरोवर निर्माण के बाद कितने सही सार्थक होंगे ? यह फिलहाल ठोस तरीके से नहीं कहा जा सकता और इन सरोवर में कितना पानी रह पायेगा और इन अमृत सरोवरों के निर्माण को लेकर रोजगार सहित अन्य सुविधाओं की उपलब्धता कितनी कारगर सिद्ध होंगी ? इस पर भी सवालिया निशान हैं।
बात करने से कतराते हैं अधिकारीः इस मामले में जिला पंचायत की सीईओ सुनीता खंडायत से बात करने की कोशिश की गई लेकिन वह कैमरे के सामने कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं थीं। हालांकि अधिकारी ने यह जरूर कहा कि 63 अमृत सरोवर बनना हैं जिनमें 37 लगभग पूरे हो चुके हैं और शेष का काम चल रहा है l
वैसे अमृत सरोवर में गड़बड़ी का यह मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। जिला पंचायत की बैठक में भी छाया रहा। इस सिलसिले में जब क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से चर्चा की गई तो वह स्वीकारते हैं कि गड़बड़ियां तो हैं।
जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता संदीप पटेल कहते हैं कि यह भ्रष्टाचार की योजना है।
उनका कहना है कि अमृत सरोवर जैसी योजना सरकारी तंत्र के शोषण की योजना है। पटेल कहते हैं कि अधिकारियों के द्वारा सरपंच अन्य लोगों को इससे परेशान किया जाता है और पहले ही हिसाब किताब कर लिया जाता है, जल संरक्षण तो बहुत दूर और बाद की बात है, आप पिछले वर्ष या इस वर्ष जितने भी अमृत सरोवर बने हैं वहां देखिए, कहीं किसी में पानी नहीं ठहरता दिखेगा। पटेल कहते हैं कि पूरी तरह से यह शासन तंत्र की कमाई योजना है।
इस मामले में जब भाजपा जिला उपाध्यक्ष हरी प्रताप ममार कहना है कि राज्य व केंद्र सरकार की सोच है कि लोगों तक की योजनाओं का लाभ पहुंचे। जमीन के जल स्तर पर वृद्धि हो, अगर सरकार के निर्णय पर कहीं अमल नहीं हो रहा है तो प्रशासन को चाहिए कि उसे ठीक करे। किसी तरह की कोई कमी है तो उनको दुरुस्त करे।
जिला पंचायत सदस्य एवं कांग्रेस नेत्री मोना कौरव कहती हैं कि ये सभी मामले उनकी जानकारी में हैं, उन्होंने जिला पंचायत की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था।
मोना कहती हैं कि उनके गृह ग्राम इमलिया पिपरिया में भी सरोवर बना है लेकिन पूरा काम ठेकेदार को दे दिया गया है। इसमें जनप्रतिनिधियों की कोई गलती नहीं है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर गड़बड़ कर रहे हैं और सरपंच उनके आगे मजबूर हैं। वह अधिकारी से बुराई नहीं लेना चाहते हैं इसलिए वह सिर्फ दस्तखत करने मजबूर रहते हैं।
एक और जिला पंचायत सदस्य एवम भाजपा नेता देवेंद्र गंगोलिया स्वीकार करते हैं कि निश्चित तौर पर इनमें त्रुटियां हुई हैं लेकिन कलेक्टर मैडम के दौरे के बाद इनमें काफी हद तक सुधार आया है और जो भी गड़बड़ियां है उन्हें भी सुधारा जाएगा।