किसानों के लिए बड़ी ख़बर: अब तरल यूरिया के साथ मिलेगा तरल डीएपी, आधी हो जाएगी खाद की कीमत

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नैनो तरल यूरिया देने करने वाली सहकारी संस्था इफको के नैनो डीएपी उर्वरक को बाजार में उतारने की मंजूरी दे दी है। इस तरह अब देश में तरल नैनो यूरिया के बाद अब तरल नैनो डीएपी भी उपलब्ध होगी। यह देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उम्मीद की जा रही है कि इससे देश में कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। अब डीएपी का कमर्शियल उत्पादन हो सकेगा।

इफको के एमडी यू एस अवस्थी ने ट्वीट किया कि इफको के नैनो डीएपी को कृषि मंत्रालय द्वारा दे दी गई है और इसके उत्साहजनक परिणामों के आधार पर उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ) में अधिसूचित किया गया है।

उन्होंने ट्वीट किया, “इफको #NanoDAP का निर्माण करेगी, जो भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम चेंजर है।”

दिसंबर में, अवस्थी ने कहा था कि इफको जल्द ही 600 रुपये प्रति 500 ​​मिलीलीटर की बोतल पर नैनो डीएपी लॉन्च करेगी, एक ऐसा कदम जो भारत को विदेशी मुद्रा बचाने और सरकारी सब्सिडी को काफी कम करने में मदद करेगा।

उन्होंने घोषणा की कि नैनो डीएपी की 500 एमएल की बोतल 600 रुपये में बेची जाएगी। एक बोतल डीएपी के एक बैग के बराबर होगी, जिसकी कीमत फिलहाल 1,350 रुपये है।

उन्होंने कहा था कि इफको नैनो पोटाश, नैनो जिंक और नैनो कॉपर उर्वरक भी पेश करने की योजना बना रही है।

जून 2021 में, इफको ने पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में नैनो यूरिया को तरल रूप में लॉन्च किया। इसने नैनो यूरिया का उत्पादन करने के लिए विनिर्माण संयंत्र भी स्थापित किए हैं। नैनो यूरिया पर कोई सरकारी सब्सिडी नहीं है और इसे 240 रुपये प्रति बोतल बेचा जा रहा है।

पारंपरिक यूरिया के लिए, सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी सब्सिडी प्रदान करती है कि किसानों को उचित मूल्य पर मिट्टी के पोषक तत्व मिलें।

देश का घरेलू यूरिया उत्पादन करीब 2.6 करोड़ टन है, जबकि मांग करीब 3.5 करोड़ टन है। अंतर को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में डीएपी और एमओपी (म्यूरेट ऑफ पोटाश) का आयात भी करता है।

देश में डीएपी यूरिया के बाद सबसे अधिक खपत वाला उर्वरक है। इसकी सालाना खपत 90 लाख टन से अधिक की है। इसे पूरा करने के लिए सरकार को आयात का सहारा लेना पड़ता है।

इफको के तरल नैनो यूरिया की एक बोतल को यूरिया के एक 50 किलो के बैग की जगह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके चलते यूरिया पर सब्सिडी में सरकार को भारी बचत होने के साथ ही आयात पर होने वाले खर्च में बचत हो रही है।



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