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सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के मामले में मध्य प्रदेश सरकार से स्पष्ट प्रमाण देने को कहा है। अदालत ने कहा कि यदि यह साबित नहीं किया जाता कि कचरे का निपटान पूरी तरह सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल है, तो वह इस पर हस्तक्षेप कर सकती है। इंदौर में ही रहने वाले गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र की याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक तरह से बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उन तमाम दलीलों को वाजिब माना है जो लगातार पीथमपुर, इंदौर, महू और आसपास के लोगों के साथ तमाम सामाजिक कार्यकर्ता दे रहे थे।
कोर्ट में क्या हुआ?
मामले की सुनवाई जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच के समक्ष हुई, जहाँ यह तर्क दिया गया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के तहत 10 मीट्रिक टन कचरे के ट्रायल रन की योजना बनाई गई थी। यह ट्रायल 27 फरवरी से शुरू होने वाला था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल रोक लगा दी और राज्य सरकार से जवाब माँगा कि क्या उसने स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।
पीथमपुर में बढ़ती चिंताएँ
पीथमपुर, जो इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है, पहले से ही एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहाँ प्रदूषण की समस्या पहले से मौजूद है और अब यदि भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा यहाँ लाया जाता है, तो यह स्थानीय पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।
ये हैं बड़ी चिंताएँ…
1. तरापुरा गाँव है नज़दीक:
पीथमपुर में कचरा निपटान स्थल से तरापुरा गाँव केवल 250 मीटर दूर है।गाँव में 105 घर हैं, और यहाँ रहने वाले लोग गैस रिसाव के खतरे से प्रभावित हो सकते हैं।
2. गंभीर नदी पर खतरा:
कचरा निपटान स्थल गंभीर नदी के पास स्थित है।
यदि निपटान सही ढंग से नहीं हुआ, तो यह नदी को प्रदूषित कर सकता है, जिससे आसपास के हजारों लोगों का जीवन प्रभावित हो सकता है।
3. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी:
पीथमपुर में पर्याप्त सरकारी अस्पताल और चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। यदि जहरीली गैसों या रसायनों का रिसाव होता है, तो इलाज में बड़ी समस्या आ सकती है।
अदालत की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार यह साबित नहीं कर पाती कि कचरा निपटान पूरी तरह सुरक्षित है, तो कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए तैयार है। अदालत ने 27 फरवरी की सुनवाई में सरकार को स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
क्या होगा आगे?
अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी 2025 को होगी, जिसमें तय किया जाएगा कि भोपाल गैस त्रासदी के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का निपटान पीथमपुर में किया जाएगा या नहीं। यदि राज्य सरकार पर्याप्त सुरक्षा प्रमाण नहीं दे पाती, तो सुप्रीम कोर्ट इस पर स्थायी रोक भी लगा सकता है।