भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू होगी, हाई कोर्ट ने दी अनुमति


मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के लिए पीथमपुर में ट्रायल रन की अनुमति दी। स्थानीय लोग अभी भी विरोध कर रहे हैं।


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बड़ी बात Published On :

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के लिए राज्य सरकार को तीन ट्रायल रन संचालित करने की अनुमति दे दी है। यह ट्रायल रन धार जिले के पीथमपुर स्थित औद्योगिक कचरा प्रबंधन केंद्र में 27 फरवरी, 4 मार्च और 10 मार्च को किए जाएंगे। इन ट्रायल्स में हर बार 10 टन कचरा जलाया जाएगा, और यदि परिणाम संतोषजनक रहे तो जलाने की दर को क्रमशः बढ़ाया जाएगा।

 

40 साल से पड़ा है जहरीला कचरा

यह कचरा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के दौरान जमा हुआ था, जब यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) की फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। इस त्रासदी में हजारों लोग मारे गए थे और लाखों लोग प्रभावित हुए थे। अब तक यह कचरा भोपाल में UCIL परिसर में पड़ा हुआ था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे नष्ट करने के लिए पीथमपुर स्थित औद्योगिक कचरा प्रबंधन इकाई में भेजने का फैसला किया।

 

जनता के विरोध के बाद आया कोर्ट का फैसला

इस कचरे को जब भोपाल से पीथमपुर लाया गया, तब वहां स्थानीय लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया। 2 जनवरी को जब 12 कंटेनर ट्रकों में भरकर 358 टन कचरा पीथमपुर पहुंचा, तो स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। कई लोग सड़कों पर उतर आए और दो व्यक्तियों ने आत्मदाह करने का प्रयास भी किया। प्रदर्शनकारियों ने कचरा जलाने के प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी की और कुछ लोगों ने संयंत्र स्थल पर पथराव भी किया।

इस विरोध के बाद, सरकार ने स्थानीय जनता को जागरूक करने और सहमति बनाने के लिए 6 हफ्तों का समय मांगा था। इस दौरान प्रशासन ने जनसंपर्क अभियान चलाया और लोगों को वैज्ञानिक तथ्यों के जरिए समझाने की कोशिश की कि यह प्रक्रिया सुरक्षित होगी। अब हाई कोर्ट ने इस पर संतोष जताते हुए ट्रायल रन की अनुमति दे दी है।

कोर्ट के आदेशानुसार, ट्रायल रन निम्नलिखित तीन चरणों में होगा:

 

पहला ट्रायल (27 फरवरी): 10 टन कचरा जलाया जाएगा, और जलाने की दर 135 किलोग्राम प्रति घंटे होगी।

दूसरा ट्रायल (4 मार्च): यदि पहले ट्रायल के नतीजे सकारात्मक रहे तो जलाने की दर 180 किलोग्राम प्रति घंटे तक बढ़ाई जाएगी।

तीसरा ट्रायल (10 मार्च): अंतिम परीक्षण में जलाने की दर 270 किलोग्राम प्रति घंटे तक ले जाई जाएगी।

हर परीक्षण के बाद केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इसका आकलन करेगा और अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है मामला

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें पीथमपुर में इस कचरे को जलाने का विरोध किया गया है। 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

स्थानीय लोग अब भी डरे हुए

पीथमपुर और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग अब भी इस कचरे के जलाने को लेकर चिंतित हैं। स्थानीय डॉक्टरों और पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि इस प्रक्रिया में कोई चूक होती है तो जहरीली गैसें वातावरण में फैल सकती हैं और जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकती हैं।

आगे क्या?

यदि ट्रायल रन सफल होते हैं और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हरी झंडी देता है, तो शेष 328 टन कचरे को भी नियंत्रित तरीके से जलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी, जिसमें सरकार को ट्रायल रन की विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी होगी।

 



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