भोजशाला केस: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, अब मार्च-अप्रैल तक इंतजार


भोजशाला विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी। अब अगली तारीख मार्च या अप्रैल में संभावित है।


आशीष यादव आशीष यादव
बड़ी बात Published On :

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होनी थी, लेकिन यह नहीं हो पाई। अब इस मामले की अगली सुनवाई मार्च या अप्रैल में होने की संभावना है। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा दायर याचिका में मांग की गई है कि भोजशाला विवाद को काशी-मथुरा और अयोध्या की तरह देखा जाए और इसे धर्मस्थल उपासना अधिनियम, 1991 के दायरे से बाहर रखा जाए।

भोजशाला को लेकर लंबे समय से विवाद जारी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह एक प्राचीन मंदिर है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद के रूप में देखता है। इसी विवाद के समाधान के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें इस स्थल को पूरी तरह से हिंदू समाज को सौंपने और वहां पूजा-अर्चना की अनुमति देने की मांग की गई थी।

 

याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि भोजशाला का मामला अयोध्या, काशी और मथुरा विवाद से जुड़ा हुआ है, और यह स्थान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है, इसलिए 1991 के धर्मस्थल अधिनियम के तहत इसे संरक्षण प्राप्त नहीं है।

 

सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं हुई सुनवाई?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच में इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह नहीं हो सकी। अब याचिकाकर्ता को अगली सुनवाई के लिए मार्च-अप्रैल तक इंतजार करना होगा।

 

100 दिन तक चला था ASI सर्वे

हाई कोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 22 मार्च 2024 से भोजशाला का सर्वेक्षण शुरू किया था, जो करीब 100 दिनों तक चला। इसके बाद 15 जुलाई 2024 को ASI ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी, जिससे इस मामले की संवेदनशीलता और जटिलता बढ़ गई थी।

 

मुस्लिम पक्ष की याचिका और सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सर्वे के दौरान कमाल मौला वेलफेयर सोसायटी की ओर से अब्दुल समद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2024 को आदेश दिया कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार सर्वे जारी रहेगा, लेकिन इमारत को अपने मूल स्वरूप में रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ASI की रिपोर्ट पेश की जाए, लेकिन इस पर हाई कोर्ट कोई कार्रवाई नहीं करेगा।

अब हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस अगली सुनवाई में तर्क रखेगा कि भोजशाला पर 1991 का धर्मस्थल अधिनियम लागू नहीं होता, क्योंकि यह ASI संरक्षित स्थल है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह मामला काशी और मथुरा की तरह है और इसे अन्य धार्मिक स्थलों के विवादों के साथ न जोड़ा जाए। सुप्रीम कोर्ट की रोक हटाने की भी मांग की जाएगी, ताकि ASI की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई हो सके।

 



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