हाईकोर्ट में भोजशाला सर्वे दो हज़ार पेज की रिपोर्ट पेश, 22 जुलाई को होगी सुनवाई


दावा: 94 खंडित प्रतिमाएं मिलना मंदिर होने का सबूत, 1700 से अधिक अवशेषों को रिपोर्ट में शामिल किया गया


आशीष यादव
बड़ी बात Updated On :

धार की भोजशाला मंदिर है या मस्जिद, इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए 98 दिन वैज्ञानिक सर्वे किया गया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकील हिमांशु जोशी ने सोमवार को रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश की। यह रिपोर्ट मीडिया से साझा नहीं करने के निर्देश सभी पक्षों को दिए गए हैं। हिमांशु जोशी ने कहा कि रिपोर्ट 2 हजार पन्नों की है, जिसमें सर्वे और खुदाई के दौरान मिले 1700 से अधिक प्रमाण और अवशेष शामिल हैं। हाईकोर्ट इस पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगा।

प्रस्तुत 2 हजार पन्नों की रिपोर्ट में व्यापकता है। 194 स्तंभों के 8-8 फोटो हैं। कई भागों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई है। शिलालेखों का भी अनुवाद किया गया है। इसमें करीब 1700 अवशेषों की विशेषज्ञों की रिपोर्ट है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने धार में स्थित भोजशाला की वैज्ञानिक अध्ययन कर रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी है। करीब तीन महीने चली इस अध्ययन के दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्ष ने अपने-अपने दावे किए हैं। 22 जुलाई को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई होगी। दावा किया जा रहा है कि यहां 94 से अधिक क्षतिग्रस्त मूर्तियां बरामद की गई हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कुल 94 मूर्तियों, मूर्तिकला के अंशों और मूर्तिकला चित्रण वाले स्थापत्य सदस्यों का अध्ययन किया। “मौजूदा संरचना में खिड़कियों, स्तंभों और बीमों पर चार-हाथ वाले देवताओं की मूर्तियों को उकेरा गया था। इन पर उकेरी गई छवियों में गणेश, ब्रह्मा अपनी पत्नियों के साथ, नरसिंह, भैरव, देवता और देवियां, मानव और पशु आकृतियाँ शामिल थीं। विभिन्न माध्यमों में उकेरी गई पशु आकृतियों में शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बंदर, सांप, कछुआ, हंस और पक्षी शामिल हैं,” ASI की रिपोर्ट में कहा गया है।

चूंकि “मस्जिदों में मानव और पशु आकृतियों की अनुमति नहीं होती, इसलिए कई स्थानों पर ऐसी छवियों को तराश कर हटाया गया है या विकृत कर दिया गया है,” ASI ने प्रस्तुत किया।

“यह उल्लेखनीय है कि पश्चिमी स्तंभपंक्ति में कई स्तंभों पर मानव, पशु और मिश्रित चेहरों के साथ कीर्तिमुख को नष्ट नहीं किया गया था। पश्चिमी स्तंभपंक्ति की उत्तर और दक्षिण दीवारों में लगे खिड़कियों के फ्रेमों पर उकेरी गई देवताओं की छोटी मूर्तियाँ भी तुलनात्मक रूप से अच्छी स्थिति में हैं,” रिपोर्ट में कहा गया है।

याचिकाकर्ता ने कहा- परमारकालीन मूर्तियां भी मिलीं:

हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी, जिसे वर्ष 1034 में बनाया गया था। एएसआई को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जो परमारकालीन हो सकती हैं। इस तरह यह परमारकालीन इमारत है।

अवशेषों से लगभग तय माना जा रहा है कि इसका निर्माण 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का है। एक गर्भगृह के पास ईंटों से बनी 27 फीट लंबी दीवार भी मिली है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण और भी प्राचीन समय में होता था। मोहनजोदड़ो सभ्यता के समय, यानी यह स्थान और भी प्राचीन हो सकता है।

मंगलवार को पूजा, शुक्रवार को होती है नमाज:

भोजशाला में मंगलवार को हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति है। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को नमाज पढ़ने के लिए दोपहर 1 से 3 बजे तक प्रवेश दिया जाता है। दोनों को नि:शुल्क प्रवेश मिलता है। बाकी दिनों में 1 रुपए का टिकट लगता है। हिंदू पक्ष भोजशाला को वाग्देवी सरस्वती का मंदिर मानता है। मुस्लिम इसे कलाम मौला मस्जिद मानता है।

किस बात के लिए कोर्ट से मांगा गया था समय:

भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा 22 मार्च से शुरू किया गया सर्वेक्षण 27 जून को 98 दिन बाद समाप्त हो चुका है। सर्वेक्षण के बाद एएसआई को 2 जुलाई को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में रिपोर्ट पेश करनी थी, जिस पर 4 जुलाई को सुनवाई होनी थी। लेकिन सर्वे पूरा होने के बाद जीपीएस और जीपीआर रिपोर्ट बनाने के लिए एएसआई ने 2 जुलाई को आवेदन लगाकर रिपोर्ट पेश करने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा था। गुरुवार 4 जुलाई की सुनवाई में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एएसआई को रिपोर्ट पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय देते हुए सर्वेक्षण रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने के आदेश दिए और मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को नियत की।

सार्वजनिक नहीं होगी रिपोर्ट:

एएसआई की रिपोर्ट की प्रतियां दोनों ही पक्षों को सौंपी जाएगी। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न करें। एएसआई ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस सहित अन्य तकनीक इस सर्वे में अपनाई है। भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की गई है। दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष और धार्मिक चिह्न मिले हैं। अफसरों ने सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई है। सर्वे रिपोर्ट में खुदाई में मिले अवशेषों के फोटो भी प्रस्तुत किए गए।

इससे पहले वर्ष 1902 में भी हुआ था सर्वे:

धार भोजशाला का इतिहास वर्षों पुराना है। अंग्रेजों के शासनकाल में एएसआई ने धार भोजशाला का सर्वे किया था। तब की रिपोर्ट में मंदिर के अलावा परिसर के एक हिस्से में मस्जिद का उल्लेख भी किया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नए सिरे से अध्ययन के निर्देश दिए थे। यह सर्वे रिपोर्ट हाईकोर्ट में चल रही याचिका के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

अब भोजशाला से यह मिला…

वैज्ञानिक सर्वे में अंदर 27 फीट तक खुदाई की गई है, जहां दीवार का ढांचा मिला है। सीढ़ियों के नीचे के बंद कमरे में वाग्देवी, मां सरस्वती, हनुमानजी, गणेशजी समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा, शंख, चक्र सहित 79 अवशेष मिले हैं। उत्तर-पूर्वी कोने और दरगाह के पश्चिमी हिस्से से श्रीकृष्ण, वासुकी नाग और शिवजी की प्रतिमा मिली है। उत्तर-दक्षिणी कोने से तलवार, दीवारों के 150 नक्काशी वाले अवशेष मिले हैं। साथ ही यज्ञशाला के पास सनातनी आकृतियों वाले पत्थर मिले हैं। दरगाह के अंडरग्राउंड अक्कल कुइया चिह्नित हुई और भोजशाला के अंदर स्तंभों से केमिकल ट्रीटमेंट के बाद सीता-राम, ओम नमः शिवाय की आकृतियां चिह्नित हुई हैं, जो टीम ने कोर्ट को पेश की हैं।


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