भिंड में रेत माफिया का आतंक: कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव पर हमला, कानून व्यवस्था पर बड़े सवाल


मध्य प्रदेश के भिंड जिले में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव पर रेत माफिया ने हमला किया। पथराव और हिंसा के बीच प्रशासन बेबस नजर आया।


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बड़ी बात Published On :

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में रेत माफिया के बढ़ते दुस्साहस का ताजा उदाहरण सामने आया है। उमरी इलाके में अवैध रेत खनन रोकने गए कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव पर गुरुवार देर रात हमला हुआ। बदमाशों ने रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को छुड़ाने के लिए पत्थरबाजी की, जिससे स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई। इस घटना ने प्रशासन की कमजोरियों को उजागर कर दिया है और प्रदेश में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

रेत माफिया का दुस्साहस: कलेक्टर को बनाया निशाना

कलेक्टर श्रीवास्तव रात को अकेले निरीक्षण के लिए निकले थे। उनके साथ न तो कोई पुलिस बल था और न ही राजस्व विभाग का अन्य अमला। यह प्रशासनिक लापरवाही ही थी कि इतनी संवेदनशील कार्रवाई के दौरान कलेक्टर को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई। जब उन्होंने एक खाली ट्रैक्टर-ट्रॉली को रोककर पूछताछ की, तभी रेत से भरी एक और ट्रॉली मौके पर आ गई। जब कलेक्टर ने उसे रोका, तो चालक ट्रॉली छोड़कर भाग निकला।

इसके बाद दो वाहनों से आए रेत माफिया के गुर्गों ने ट्रैक्टर को जबरन छुड़ाने का प्रयास किया और कलेक्टर की गाड़ी पर पथराव शुरू कर दिया। हालात बिगड़ते देख उनके सुरक्षा कर्मियों ने हवाई फायरिंग की, जिसके बाद बदमाश अपनी गाड़ियां छोड़कर भाग निकले।

प्रशासनिक नाकामी और लचर कानून व्यवस्था

यह कोई पहली बार नहीं है जब भिंड-मुरैना इलाके में रेत माफिया ने कानून के रखवालों को निशाना बनाया हो। इससे पहले भी कई बार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर हमले हो चुके हैं, लेकिन हर बार सरकार और प्रशासन सिर्फ कार्रवाई का आश्वासन देकर रह जाते हैं। सवाल उठता है कि आखिर क्यों प्रदेश में रेत माफिया इतने बेखौफ हैं?

कलेक्टर का अकेले, बिना पर्याप्त पुलिस बल के, अवैध खनन क्षेत्र में जाना न केवल उनकी सुरक्षा के लिए खतरा था बल्कि यह प्रशासनिक कुप्रबंधन का भी प्रतीक है। यह घटना दर्शाती है कि या तो प्रशासन को माफिया के हमलों की आशंका नहीं थी या फिर वे इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे।

कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल

इस घटना के बाद थाना प्रभारी शिवप्रताप सिंह राजावत ने बयान दिया कि आरोपियों की तलाश जारी है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि जब सरकार और पुलिस को पता है कि यह इलाका रेत माफिया के कब्जे में है, तो फिर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?

मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन एक बड़ा संगठित अपराध बन चुका है। इसमें स्थानीय प्रशासन, नेताओं और पुलिस की संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं। हर बार बड़ी घटनाओं के बाद कुछ गिरफ्तारी होती हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में माफिया फिर से सक्रिय हो जाता है।

क्या सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम उठाएंगे?

भिंड की यह घटना राज्य सरकार और पुलिस की मंशा पर भी सवाल खड़े करती है। जब एक कलेक्टर तक सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा? पुलिस और प्रशासन को सिर्फ खानापूर्ति करने के बजाय इस पूरे रेत माफिया नेटवर्क को तोड़ने की जरूरत है। वरना ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी और प्रशासनिक अधिकारी खुद को असहाय महसूस करते रहेंगे।

पिछले वर्षों में हुए प्रमुख हमले:

 

1. ग्वालियर (2024): खनिज विभाग की टीम को डंपर से कुचलने की कोशिश

25 जून 2024 को ग्वालियर में अवैध खनन रोकने गई खनिज विभाग की टीम पर माफिया ने लोहे की रॉड से हमला किया। जब अधिकारियों ने कार्रवाई जारी रखी, तो आरोपियों ने उन पर डंपर चढ़ाने की कोशिश की। हालांकि, अधिकारी किसी तरह अपनी जान बचाकर भागे। बाद में पुलिस ने कुछ आरोपियों पर मामला दर्ज किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

 

2. मोरेना (2025): वन विभाग की टीम पर हमला

13 जनवरी 2025 मुरैना में हमला: मुरैना जिले में अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने गई वन विभाग की टीम पर माफिया के गुर्गों ने पथराव किया। इस हमले में तीन वनकर्मी घायल हो गए। माफिया के लोग 50 से ज्यादा की संख्या में पहुंचे थे और टीम को भागने पर मजबूर कर दिया।

 

3. बांधवगढ़ (2024): टाइगर रिजर्व से रेत चोरी, वन विभाग पर हमला

धमोखर क्षेत्र में टाइगर रिजर्व से रेत की चोरी रोकने के लिए वन विभाग की टीम ने जब एक ट्रैक्टर पकड़ा, तो बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया। इस दौरान वनकर्मियों को धमकाने के लिए एक सरकारी वाहन का इस्तेमाल किया गया, जो दर्शाता है कि खनन माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।

4. राजगढ़ (2024): एसडीएम पर हमला, पुलिस बनी तमाशबीन

27 जून 2024 को राजगढ़ जिले में ब्यावरा एसडीएम गीतांजलि शर्मा और नायब तहसीलदार सपना झिलोत्या की टीम पर 25 लोगों ने हमला किया। तीन थानों की पुलिस मौजूद थी, लेकिन वे कुछ नहीं कर पाई। माफिया खुलेआम पोकलेन और ट्रैक्टर लेकर फरार हो गए। यह घटना पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता का स्पष्ट उदाहरण है।


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