इंदौर। किसान आंदोलन के तहत बुलाया गया भारत बंद मध्यप्रदेश में असफल रहा, ऐसा सरकार और बहुत से अख़बार कह रहे हैं लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। भले ही बाज़ार खुले रहे हों और सेवाएं सामान्य रूप से जारी रहीं हों लेकिन इंदौर और आसपास के किसानों ने भारत बंद में हिस्सेदारी की है और इसकी गवाही सरकारी आंकड़ें भी दे रहे हैं।
किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को रोकने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने व्यापक इंतज़ाम किए थे। पुलिस और प्रशासन दोनों ही मुस्तैद रहे। कांग्रेस इस बंद को सर्मथन दे रही थी ऐसे में बाजारों को बंद करवाने जैसे किसी प्रयास करने पर उन्हें पहले ही कार्रवाई की चेतावनी दे दी गई थी। ऐसे में इंदौर जिले और संभाग में कोई ख़ास हंगामा नहीं हुआ।
इंदौर संभाग में प्रदेश की कुछ महत्वपूर्ण कृषि उपज मंडियां शामिल हैं। किसान आंदोलन का असर इन मंडियों में सबसे ज्यादा देखा गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक किसान आंदोलन के दिन मंडी में औसत के मुकाबले केवल 20 से 25 प्रश तक ही आवक रही।
हालात ये रहे कि 34 में से करीब 20 मंडियों में भारत बंद के दिन की आवक नगण्य दर्ज की गई है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि इंदौर धार अलीराजपुर झाबुआ खरगोन बड़वानी और बुरहानपुर के किसानों ने बंद को काफी हद तक समर्थन दिया है।
प्रदेश की सबसे बड़ी मंडी चोईथ राम मंडी में किसान आंदोलन के दिन करीब 8072 क्विंटंल आवक हुई। यहां प्रतिदिन औसतन 70-80 हजार क्विंटल की आवक होती है। वहीं शहर की दो और महत्वपूर्ण मंडियों संयोगिता गंज मंडी और लक्ष्मीबाई मंडी में केवल 15-16 अनाज वाहनों की आवक ही हुई। इसके अलावा जिले की ग्रामीण मंडियों की बात करें तो महू और सांवेर मंडियों में केवल 10-12 वाहन पहुंचे तो वहीं गौतमपुरा मंडी में आवक नगण्य दर्ज की गई है।
किसान आंदोलन का असर धार जिले की मंडियों में भी देखा गया है। धार जिले की सात में से चार मंडियों में आवक नगण्य दर्ज की गई है। इनमें धार शहर के साथ राजगढ़, गंधवानी और बदनावर की मंडियां भी शामिल हैं। वहीं धामनोद मंडी में करीब 500 क्विंटल या 25 वाहन अनाज और 80 वाहनों में करीब 16 कुंटल कपास पहुंचा। कुक्षी मंडी में 40 क्विंटल मक्का 100 क्विंटल लाल मिर्च और करीब 60 क्विंटल कपास पहुंचा। मनावर मंडी में केवल 15 वाहन पहुंचे।
अलीराजपुर शहर की मंडी में केवल 11.5 क्विंटल मूंगफली पहुंची। वहीं झाबुआ जिले की पेटलावाद, जोबट और थांदला तीनों मंडियों में आवक नगण्य दर्ज की गई। यही हाल खंडवा, खरगोन, बड़वानी और बुरहानपुर जिलों की मंडियों का भी रहा। जहां या तो आवक नगण्य दर्ज की गई है और या बेहद कम।
किसान आंदोलन को सर्मथन कर रहे किसान संगठन या राजनीतिक पार्टियां भले ही बाजारों और दूसरे संस्थानों तक अपनी अपील पहुंचाकर उन्हें अपने इस विरोध में सहयोग के लिए न मना सके हों लेकिन किसान ने अपनी ओर से इस बंद को सर्मथन दिया है। वहीं मंडी समितियों के अधिकारी भी दबे मुंह यह मानते हैं कि मंडियों में भारत बंद का ख़ासा असर रहा है।
किसान आंदोलन से जन्मे इस भारत बंद की खबरों को पूरी तरह दबाने का प्रयास किया गया। अख़बारों ने इसे लेकर नकारात्मक रिपोर्टिंग भी की वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने इसे नौटंकी भी बताया लेकिन बंद के दिन मंडियों की स्थिति भारत बंद को असफल तो नहीं बताती।