इंदौर। केंद्र सरकार आईडीबीआई के साथ देश के दो बड़े सरकारी बैंकों का निजीकरण करने जा रही है। इसके अलावा एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी का भी निजीकरण किया जाएगा। देश के सबसे बड़े बैंक कर्मचारी संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने दो दिनों की हड़ताल का आह्वान किया है। फोरम में भारत के बैंक कर्मचारियों और अफसरों के नौ संगठन शामिल हैं। इसके अलावा सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम से भी कुछ हिस्सेदारी बेचने का ऐलान कर चुकी है। जिसके विरोध में बीमाकर्मी प्रदर्शन करेंगे।
इस हड़ताल का असर इंदौर में भी देखा जा रहा है यहां यूनाईटेड ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 600 बैंक ब्रांच पूरी तरह बंद हैं। इन ब्रांचों में कुल 4800 कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर हैं। इस दौरान इन बैंकों में न तो चैक क्लियर हो सकेंगे और न ही कोई और मदद मिल सकेगी लेकिन एटीएम सेवाएं जारी रहेंगी।
इस बैंक हड़ताल में कुछ सहकारी और निजी बैंक शामिल नहीं हैं। इंदौर में हड़ताल के दौरान एक बड़ा लेनदेन प्रभावित होगा। यहां कोविड के चलते कोई सभा या रैली नहीं निकाली जाएगी और अलग-अलग परिसरों में हड़तालकर्मी पोस्टर, बैनर लेकर मांगों के लिए सुबह 11 से दोपहर एक बजे तक प्रदर्शन करेंगे।
इस हड़ताल से बहुत से लोगों को परेशानी हो रही है। उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी। ग्रामीण इलाकों में बहुत से बैंककर्मी बैंकों के बाहर लोगों को निजीकरण के कारण होने वाले नुकसान बता रहे हैं। वे अब जनता से सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ सर्मथन मांग रहे हैं।
हड़ताल का नेतृत्व करने वाली कर्मचारी संस्था UFBU संस्था नौ यूनियनों का नेतृत्व करती है। इसके सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (AIBEA), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC), नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज (NCBE), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA), बैंक एंप्लॉइज ऑफ इंडिया (BEFI), भारतीय राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी महासंघ (INBEF), भारतीय राष्ट्रीय बैंक अधिकारी कांग्रेस (INBOC), नेशनल बैंक ऑफ बैंक वर्कर्स (NOBW) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (NOBO) शामिल हैं।