मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में दस हाथियों की मौत की चौंकाने वाली घटना से पूरे वन्यजीव संरक्षण जगत में हड़कंप मच गया है। महज तीन दिनों के अंदर खितोली रेंज के साखनी और बकेली इलाकों में हाथियों के शव मिलने से देशभर के पर्यावरणविद, वन्यजीव प्रेमी और सरकारी महकमे हैरान हैं। बांधवगढ़ में बसे यह हाथियों का झुंड 2018 में छत्तीसगढ़ से यहां आया था और यहीं स्थायी रूप से निवास कर रहा था। इस घटना ने वन्यजीवों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और इसे वन विभाग ने एक बड़ी चुनौती के रूप में लिया है।
कैसे हुई हाथियों की मौत!
29 अक्टूबर को जब वन विभाग की टीम बांधवगढ़ के खितोली रेंज में गश्त पर थी, तब साखनी और बकेली इलाकों में चार हाथी मृत अवस्था में मिले। अगले दिन, इसी इलाके में तीन और हाथियों के मृत मिलने से अधिकारियों की चिंता बढ़ गई। तत्काल सहायता पहुंचाए जाने के बावजूद, 30 अक्टूबर तक चार और हाथियों ने दम तोड़ दिया। इससे कुल मौतों की संख्या दस तक पहुंच गई है। इन घटनाओं के बाद बांधवगढ़ में जंगल की निगरानी बढ़ा दी गई है, और शेष हाथियों पर भी वन विभाग की पैनी नजर है ताकि किसी अन्य वन्यजीव की जान को खतरा न हो।
उच्च स्तरीय जांच शुरू
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर वन विभाग ने एक पांच सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति कर रहे हैं। इस समिति को निर्देश दिया गया है कि वे घटना की गहन जांच कर दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। प्रारंभिक साक्ष्य के अनुसार यह संदेह जताया जा रहा है कि हाथियों ने संभवतः किसी विषाक्त पदार्थ का सेवन किया हो।
इस वजह से इन हाथियों की मौत की संभावित वजह को समझने के लिए हाथियों के विसरा, जिगर और गुर्दे जैसे नमूनों के साथ-साथ घटना स्थल से पानी और वनस्पतियों के भी नमूने एकत्र किए गए हैं। इन सभी नमूनों को उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) और मध्यप्रदेश की सागर स्थित फॉरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया है ताकि मौत के सटीक कारणों का पता लगाया जा सके।
ज़हर की वजह से हाथियों मौत की आशंका
प्रारंभिक जांच में वन विभाग और वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि हाथियों की मौत के पीछे विषाक्त कोदो फसल का सेवन कारण हो सकता है। हालांकि, इन अटकलों की पुष्टि के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। विषाक्तता का स्पष्ट कारण पता चलने के बाद ही इस मामले में निर्णायक कदम उठाए जा सकेंगे।
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मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक आपातकालीन बैठक बुलाई और तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने वन विभाग से कहा कि वे अभयारण्य में अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सभी प्रकार की जरूरी सावधानियां बरतें। इसके अतिरिक्त, राज्य के वन मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी घटनास्थल पर भेजा गया है ताकि मौके पर जांच और सुरक्षा के सभी उपाय किए जा सकें। हाथियों की मौत से उपजे संकट को लेकर दिल्ली में भी सरकारी महकमों में हलचल बढ़ गई है, और विशेषज्ञ इस घटना के कारणों को समझने में जुटे हैं।
वन्यजीव संरक्षण पर प्रभाव और आगे की चुनौतियां:
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस प्रकार की घटना से वन्यजीव संरक्षण के दावों और प्रयासों पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एक साथ दस हाथियों की मौत वन विभाग के लिए एक कठिन चुनौती के रूप में उभरी है। ऐसे में सरकारी इंतजामों पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। टाइगर रिजर्व का यह क्षेत्र पूर्वी मध्यप्रदेश के उमरिया और कटनी जिलों में फैला हुआ है, और यह न केवल हाथियों बल्कि बाघों, तेंदुओं और कई अन्य वन्यजीवों का भी निवास स्थान है।
हालांकि यह भी सही है कि यहां हाथियों की मौत की घटनाएं पहले भी कई बार होती रहीं हैं। पिछले कई मामलों में करंट लगने की वजह से भी हाथी मारे गए हैं।