मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ में हाथियों की मौत अब तक रहस्यमयी ही बनी हुई है। हालांकि पहली नजर में इसकी वजह जहरीली कोदो की फसल को माना जा रहा है जिसे हाथियों ने खाया था लेकिन सरकार इसे लेकर नाराज और चिंतित दोनों दिखाई दे रही है। अब इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्त कदम उठाते हुए बाघ अभ्यारण्य के दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। टाइगर रिजर्व में हुए इन हादसों ने न सिर्फ राज्य बल्कि केंद्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है।
10 हाथियों की मौत, रिपोर्ट के बाद एक्शन
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के भीतर पिछले तीन दिनों में 10 हाथियों की मौत की उच्चस्तरीय जांच की गई, जिसके बाद उन्हें लापरवाही बरतने के आरोप में रिजर्व के निदेशक गौरव चौधरी और सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) फतेह सिंह निनामा को निलंबित करना पड़ा। गौरव चौधरी पर फोन बंद रखने और छुट्टी के बाद काम पर वापस न लौटने का आरोप है, वहीं फतेह सिंह पर अपने अधीनस्थों को जिम्मेदारी न सौंपने और नेतृत्व की कमी का आरोप है।
सीएम ने दिए सुरक्षा उपायों के निर्देश
मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक में हाथियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए निर्देश जारी किए। उन्होंने हाथियों के स्थायी प्रबंधन के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया, जिसमें अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, बफर क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों की फसलों को सुरक्षित रखने के लिए सोलर फेंसिंग लगाने का भी निर्णय लिया गया है।
हाथी के हमले में तीन लोग घायल, दो की मौत
बांधवगढ़ के निकट चंदिया वन परिक्षेत्र में जंगली हाथियों के हमले में तीन ग्रामीण घायल हुए थे, जिनमें से दो की मृत्यु हो गई। वन विभाग ने तत्काल एक बड़ी टीम गठित कर हमलावर हाथी को रविवार शाम पकड़ लिया, जिसे फिलहाल पेड़ से बांधकर रखा गया है। इस अभियान में 4 प्रशिक्षित हाथियों और 10 गाड़ियों के साथ 100 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी तैनात किए गए थे।
आर्थिक सहायता में बढ़ोतरी
प्रदेश सरकार ने हाथियों के हमले में हुई जनहानि के लिए मुआवजे को 8 लाख रुपए से बढ़ाकर 25 लाख रुपए करने का निर्णय लिया है। इसी के तहत, हालिया हमले में जान गंवाने वाले दोनों पीड़ित परिवारों को 25-25 लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। बांधवगढ़ में हाथियों की रहस्यमयी मौतों और उनके हमलों के बाद सरकार का यह कड़ा कदम वन्यजीव प्रबंधन में सुधार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
बांधवगढ़ में हाथियों की मौत गंभीर मामला क्यों है?
मध्य प्रदेश में पहले से ही हाथियों की संख्या सीमित है, और ऐसे में इनकी अचानक हुई मौतें पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। हाथियों का प्राकृतिक आवास और उनके सुरक्षित संरक्षण के लिए बांधवगढ़ जैसे क्षेत्र आवश्यक हैं, जहां वे अपने प्राकृतिक परिवेश में स्वतंत्र रूप से रह सकें। इस घटना ने वन्यजीवन के प्रबंधन में सुधार और हाथियों की सुरक्षा के लिए नए उपायों की आवश्यकता को हमारे सामने पेश किया है। मप्र में सबसे बड़ा जंगल इलाका है ऐसे में इसे बचाए रखने के लिए वन्य जीवों की सुरक्षा सबसे अहम और जरूरत है। हाथियों की भूमिका न केवल जंगलों के विस्तार में मदद करती है, बल्कि वे अन्य वन्यजीवों के लिए भी एक संतुलित वातावरण बनाए रखते हैं। ऐसे में इनकी मौतें न केवल वन्यजीवन के लिए, बल्कि वन संरक्षण प्रयासों और स्थानीय पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी एक बड़ा झटका हैं।