छेड़छाड़ पीड़िता से आरोपी को राखी बंधवाने के एमपी हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में बहस


उज्जैन के इस मामले में एमपी हाईकोर्ट ने फैसला दिया था। जिसके बाद यह फैसला काफी विवादों में भी रहा। कई महिला वकीलों ने इस निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को नोटिस दिया था। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस फैसले पर बहस हो रही है।


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प्रतीकात्मक चित्र


नई दिल्ली। उज्जैन में छेड़छाड़ के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने के लिए कहने वाला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बहस हो रही है। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद  कई महिला वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किए थे।  बुधवार को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह यौन हिंसा से जुड़े मामलों में ज्यादा संतुलित और सशक्त दृष्टिकोण अपनाया जा सकेगा।

इससे पहले जब पिछली सुनवाई हुई थी तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस नाटक  की निंदा की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि अदालत अपने दायरे से बाहर चली गई है और ऐसी स्थिति में जजों को शिक्षित करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जजों की भर्ती के दौरान लैंगिक संवेदनशीलता को लेकर उनकी समझ पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। जजों,  राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमी के लिए परीक्षा में लैंगिक संवेदनशीलता पर कार्यक्रम होने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नीचे की अदालतों में इस विषय पर ध्यान देने की जरूरत है।

यह था पूरा मामला…
मप्र हाईकोर्ट का यह निर्णय 30 जुलाई 2020 को आया था। इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस रोहित आर्य की पीठ ने की थी और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी विक्रम बागरी को जमानत दी थी। हालांकि आरोपी ने अपनी जमानत याचिका में यह तर्क भी दिया था कि शिकायतकर्ता महिला के पति ने उससे लिए गए कर्ज के पैसे लौटाने के बजाए उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करा दिया है।
आरोपी दो महीनों से जेल में बंद था और उसे जमानत पचास हजार के मुचलके पर दी गई थी।  कोर्ट ने ग्यारह अगस्त को रक्षा बंधन के दिन आरोपी को सुबह ग्यारह बजे अपनी पत्नी के साथ राखी और मिठाई लेकर  पीड़िता के घर जाकर उससे राखी बंधवाने का आग्रह करने को कहा था। इसके के साथ आरोपी पीड़िता की रक्षा का वचन देकर भाई के रूप में परंपरा निभाते हुए उसे  11 हजार रुपए देगा और पीड़िता के बेटे को भी 5 हजार रुपये कपड़े और मिठाई के लिए देगा। इसके बाद पूरी प्रक्रिया की तस्वीरें रजिस्ट्री में जमा करवाने के लिए भी कोर्ट ने कहा था।

 


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