AIKSCC: मुद्दों से बाहर कोई वार्ता नहीं, कल जंतर मंतर पर किसानों के समर्थन में प्रदर्शन


कृषि मंत्री ने 3 दिसम्बर को बातचीत का जो आमंत्रण दिया था उसे किसान समूहों ने स्वीकार नहीं किया है। क्योंकि केंद्र की ओर से बातचीत के एजेंडे पर कुछ भी साफ़ आश्वासन नहीं दिया गया है।  जबकि किसानों का एजेंडा साफ़ है, तीन कृषि विधेयक और बजली बिल 2020 ही बातचीत का मुद्दा है। ये सभी विधेयक निरस्त होने चाहिए।  यदि केंद्र इस पर बात करना चाहता है तो कहना चाहिए। सरकार इन मुद्दों पर बात करने को इच्छुक हों तो माहौल बने वर्ना पूरे देश को धोखे में न रखें। 


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बड़ी बात Updated On :

कृषि अध्यादेश 2020 के विरुद्ध  लाखों किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च के आगे केंद्र सरकार के झुकने और दिल्ली में घुसने की अनुमति देने के बाद ऑल इंडिया किसान संघर्ष कार्डिनेशन कमिटी (AIKSCC) ने  एक विज्ञप्ति जारी किया है। इस विज्ञप्ति में कमिटी ने कहा  है कि, केंद्र के किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन की मांग के आगे आखिर भारत सरकार को झुकना ही था। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने किसानों को बिना रूकावट दिल्ली में आने और बुरारी के निरंकारी मैदान में प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है। 

कमिटी ने कहा कि आज सुबह से जब  लाखों किसानों ने दिल्ली की तरफ बढ़ना शुरू किया तो आरएसएस-बीजेपी की निरंकुश सरकार ने अमानवीय तरीके से किसानों को रोकने केलिए उन पर इस ठण्ड में पानी के तेज धार मारे, आंसू गैस के गोले फैंके, इसके बावजूद किसानों ने धैर्य और शांति कायम रखते हुए अनुशासनात्मक तरीके से दिल्ली की ओर बढ़ते रहे। यहाँ  तक कि हरियाणा सरकार ने किसानों की यात्रा को रोकने के लिए सड़कों पर गहरे गड्ढे खुदवाये जिन्हें किसानों ने अपने हाथों से फिर भरा। यह गड्ढे खुद सरकार के लिए खाई बन गई।

कमिटी ने कहा कि, हरियाणा के किसान पहले ही भारी संख्या में पंजाब से आते हुए किसानों के साथ मिलकर दिल्ली पहुँच रहे हैं। कल  से उत्तर प्रदेश तथा देश के अन्य राज्यों से भी बी भारी संख्या में दिल्ली पहुंचेंगे।

इस वक्तव्य में कहा गया है कि  दिल्ली चलो मार्च के लिए गठित संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों को दिल्ली आने की अनुमति देने और  उनके ठीक से ठहरने  की व्यवस्था करने की मांग की थी।  सरकार ने जो भी कानून बनाये हैं और जिनके खिलाफ  यह आक्रोश है, सरकार को बिना  रूकावट खड़े किये इन पर लोगों  बुलाकर  उनकी बात सुननी चाहिए।

कृषि मंत्री ने 3 दिसम्बर को बातचीत का जो आमंत्रण दिया था उसे किसान समूहों ने स्वीकार नहीं किया है। क्योंकि केंद्र की ओर से बातचीत के एजेंडे पर कुछ भी साफ़ आश्वासन नहीं दिया गया है। जबकि किसानों का एजेंडा साफ़ है, तीन कृषि विधेयक और बजली बिल 2020 ही बातचीत का मुद्दा है। ये सभी विधेयक निरस्त होने चाहिए।  यदि केंद्र इस पर बात करना चाहता है तो कहना चाहिए। सरकार इन मुद्दों पर बात करने को इच्छुक हों तो माहौल बने वर्ना पूरे देश को धोखे में न रखें।

इस वक्तव्य में कहा गया है कि कल सुबह अनेक ट्रेड यूनियन, छात्र, महिला और लोकतांत्रिक संगठन  जंतर-मंतर पर  किसानों के समर्थन में जुटेंगे और उनकी मांगों के लिए प्रदर्शन करेंगे।

 

 



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