गाँव-गाँव में संघर्ष-कमेटी बनाएं, काले कानूनों की होली जलाएं
इंदौर। देशभर के 500 से ज्यादा किसान संगठनों के व्यापक समन्वय ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग कमेटी सदस्य तथा नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने दिल्ली में आगामी 26 नवम्बर को देशव्यापी मजदूर-किसान हड़ताल और 26-27 नवम्बर किसान आंदोलन को सफल बनाने की अपील की है। उन्होंने दावा किया है कि देश के कोने-कोने से 26 नवम्बर को करीब 10 लाख से ज्यादा किसान दिल्ली पहुंचेंगे तथा डेरा डालो आंदोलन करेंगे। किसानों के इस आंदोलन का मजदूर संगठनों ने भी समर्थन किया है। साथ ही 26 नवम्बर को होने वाली मजदूर हड़ताल का किसान संगठनों ने समर्थन किया है।
मेधा पाटकर ने इंदौर में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में कोरोना संक्रमण की आपदा को देशी विदेशी कारपोरेट के लिए मुनाफा कमाने के अवसर में तब्दील कर दिया है। देश के लाखों श्रमिकों के मूलभूत अधिकारों में कटौती करते हुये 44 से ज्यादा श्रम कानूनों को निरस्त कर पूंजीपतियों और उद्योग मालिकों के अनुरुप बना दिया है जबकि कृषि सुधार के नाम पर तीन किसान विरोधी कानून संसद में अलोकतांत्रिक तरीके से पास किये गये हैं, जिसके तहत पहले से ही बड़ी कम्पनियों के मुनाफे के जाल में फंसा किसान अब पूरी तरह इन कम्पनियों की गिरफ्त में आ जायेगा। उन्होंने किसानों से दिल्ली चलो की अपील की है।
NO CHANGE IN FARMERS' "26-27 NOVEMBER DILLI CHALO" AGITATION PROGRAM
~ Working Group, All India Kisan Sangharsh Coordination Committee (AIKSCC) @SardarVm @kkuruganti @medhanarmada @DSunilam @KisanSabha @_YogendraYadav pic.twitter.com/pLiJNAAwAz— All India Kisan Sangharsh Coordination Committee (@aikscc) November 22, 2020
इस दौरान किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि पहली बार देश के किसान और मजदूर एकजुट होकर नरेंद्र मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने वर्षों के संघर्ष के बाद हासिल किए गए श्रम कानूनों और श्रम अधिकारों को जमींदोज कर श्रमिकों को बंधुआ बनाने की साजिश रची है। वहीं किसानी को बर्बाद करने का संकल्प लिया है। इसी के तहत पूरे देश में किसानों में आक्रोश है। 26 व 27 तारीख को घेरा डालो डेरा डालो के तहत देश के कोने-कोने से लाखों किसान दिल्ली पहुंचेंगे। महाराष्ट्र और निमाड़ से जाने वाले किसानों के जत्थे इंदौर होकर गुजरेंगे।
वही इंदौर में सभी किसान संगठन मिलकर दिल्ली जाने वालों का स्वागत करेंगे। 24 नवम्बर को सुबह 8.00 बजे अंबेडकर प्रतिमा गीता भवन चौराहे पर स्वागत किया जाएगा। अखिल भारतीय किसान सभा इंदौर इकाई के सचिव अरुण चौहान ने कहा कि सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन मिलकर 26 तारीख को हड़ताल करेगी तथा इंदौर के संभाग आयुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन होगा। साथ ही 27 को किसान और मजदूर एकजुटता के साथ दिल्ली में तो भागीदारी करेंगे।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) का आह्वान
Jharkhand News: 26 नवंबर को आम हड़ताल, 27 को राजभवन मार्च करेंगे किसान संगठन https://t.co/TOrE7FlFQL
— All India Kisan Sangharsh Coordination Committee (@aikscc) November 17, 2020
किसान भाइयों व बहनों,
भाजपा की मोदी सरकार किसान-विरोधी तीन काले कानून बना कर अब खुल्लमखुल्ला बड़ी व्यापारिक कंपनियों, कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में खड़ी हो गई है और शोषित-पीड़ित किसानों को बाज़ार के चक्रव्यूह में अलेके लाचार छोड़ दिया है। इन कानूनों का मकसद खेती पर पूर्ण रूप से पूंजीपतियों का शिकंजा कायम करना है ताकि वे बेतहाशा मुनाफा लूट सकें। यदि इन्हें रोका नहीं गया तो इसमें देश के 86 प्रतिशत छोटी व मध्यम दर्ज के जोत के किसानों का तबाह होना तय है।
अब भाजपा सरकार ने ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955’ में संशोधन करके भोजन की 6 जरुरी चीजों का स्टॉक असीमित मात्रा में जमा करने की इज्जाजत दे दी है। इसमें सभी अनाज, दालें, आलू, प्याज वनस्पति तेल और तिलहन शामिल हैं। यह जमाखोरी व कालाबाजारी की खुली छूट है। किसानों से जमाखोर कंपनियां सस्ता खरीदेंगी और गोदामों में जमा कर बाज़ार में बनावटी कमी पैदा कर उपभोक्ताओं से अर्थात आम लोगों को कई गुणा दामों पर महंगा बेचेंगी। स्पष्ट है की इससे किसानों के साथ-साथ उन सभी पर भी आफत आएगी जिनकी रोजी-रोटी खेती पर निर्भर है।
सरकार ने नया मंडी कानून बनाकर मौजूदा मंडियों को बंद करने का इंतजाम कर दिया है और प्राइवेट कंपनियों को तमाम कृषि उपज पूरे देश में कहीं भी बेरोकटोक खरीदने-बेचने की छूट दे दी है। वे अपनी मनमर्जी के भाव तय करेंगी, पूरा थोक व खुदरा बाज़ार इनकी मुट्ठी में होगा। आढ़यों से आजादी छिनने की बातें बहुत बड़ा छल हैं क्योंकि वे कंपनियां आढ़तियों के मुकाबले हजारों हज़ार गुना बड़ी व ताकतवर व्यापारी हैं। इनका विदेशी कंपनियों से गठजोड़ है। जाहिर है इन कानूनों से ‘आजादी’ या ‘रक्षा कवच’ किसानों को नहीं बल्कि प्राइवेट कंपनियों को मिला है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अर्थात अनुबंध खेती फार्म सर्विस के नाम पर कंपनी किसान को खाद, बीज कीटनाशक और नकदी आदि उधार देगी। फसल आने पर कंपनी सबसे पहले इनके दाम वसूल करेगी। किसान के हाथ में कितना पैसा आएगा, यह कोई नहीं जनता। कमाएगा किसान, मालामाल होंगी कंपनियां। कम्पनियों व किसानों के बीच भाव व लेन–देन का जो करार होगा, उसमें मनमानी कंपनी की चलेगी। बाज़ार में भाव कम होने पर कंपनियां करार से मुकर जाएंगी। फसल में कमी निकाल कर खरीदने से इंकार कर देंगी। तजुर्बा बताता है कि कंपनियां शुरू-शुरू में लुभाती हैं परन्तु बाद में इनके चंगुल से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। विवाद होने पर अदालत में फरियाद करने पर रोक है। किसान मारे जाएंगे और अपनी कृषि भूमि से हाथ धो बैठेंगे।
नये तीन साल कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कोई जिक्र नहीं है। इन कानूनों के आने के बाद इस साल मक्का व सूरजमुखी के दाम समर्थन मूल्य से आड़े भी नहीं मिले। फसल पर टमाटर, प्याज, आलू आदि के दाम किसान को 2 रूपये किलो भी नहीं मिलते जबकि बाज़ार में 40-50-100 रूपये किलो तक बिकते हैं। डीजल, बीज, कीटनाशक दवाइयां, उर्वरक (खाद) तथा कृषि के औजारों का दाम लगातार बढ़ा दिया जाता है। इस प्रकार खेती का लागत खर्च तो लगातार बढता है परन्तु दाम उस अनुपात से नहीं बढ़ते। यही कारण है कि कर्ज में दबकर 4 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
बिजली भी पूरी तरह से प्राइवेट कंपनियों के हाथ में दी जा रही है। घरेलू मीटर, बीपीएल परिवार या खेती के ट्यूबवेल सब के बिजली बिल कामर्शियल आधार पर आएंगे। इसे गरीब लोग बिजली से वंचित हो जाएंगे और किसान बरबाद हो जाएंगे।
आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने देश के 250 किसान संगठनों के साझा मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) आह्वान पर 25 सितम्बर के ‘ग्रामीण भारत बंद’ और 14 अक्टूबर 2020 के ‘अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस’ और 5 नवम्बर के रोड-जाम सफल बनाने में बढ़-चढ़कर भागीदारी की है। इसी कड़ी में 2 नवम्बर 2020 को झज्जर में एक विशाल विरोध विरोध प्रदर्शन किया गया था।
अब हम गाँव-गाँव में जनसभाएं कर रहे हैं। जैसे–जैसे किसानों को इन कानूनों की असलियत मालूम होती जा रही, वे आंदोलन में शामिल होते जा रहे है। आप सबसे अपील है कि आन्दोलन को सशक्त बनने के लिए गाँव-गाँव में संघर्ष कमेटियां बनाओ और इन कानूनों की प्रतियाँ फाड़ कर इनकी होली फूंको। 26-27 नवम्बर 2020 को ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान सफल बनाओ। भारी संख्या में शामिल हो।
संकल्प
यह देश मेहनतकशों का है। हमारे बाप-दादाओं ने बनाया है। इसे पूंजीपतियों की मुट्ठी में हरगिज नहीं जाने देंगे। तीनों काले कृषि कानूनों व बिजली बिल को रद्द करके ही हम दाम लेंगे।
निवेदन
आल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन (AIKKMS)
साभार: जनपथ