नई दिल्ली। अग्निपथ योजना का देशभर में विरोध जारी है। ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति की समीक्षा करने जा रहे हैं। मंगलवार को वे तीनों सेनाओं के प्रमुखों से बात करेंगे। तीनों सेनाओं के शीर्ष अधिकारियों को मीडिया में जाकर लोगों तक योजना के बारे में जानकारी पहुंचाने की ज़िम्मेदारी दी गई है। भर्ती तारीख़ों के ऐलान के साथ अग्निपथ योजना को लागू तो कर दिया गया है लेकिन इसका विरोध हो ओर हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि 14 जून को योजना के ऐलान के बाद से ही देशभर में कई स्थानों पर इस योजना को लेकर प्रदर्शन या विरोध हो रहा है। बिहार, उत्तर प्रदेश में कई हिंसक प्रदर्शन भी हुए। इनमें रेलवे की करीब एक हजार करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है। इसके बाद सेना के कई अधिकारियों ने युवाओं को इसके लाभ समझाने की कोशिश की लेकिन मामला अब तक शांत नहीं हुआ है। ऐसे में प्रधानमंत्री और सैन्य प्रमुखों के बीच होने वाली यह बैठक अहम है। इस दौरान विरोध को शांत करने के लिए कुछ नए उपायों पर भी विचार होगा जो संभवतः बाद में लागू भी किये जा सकेंगे।
हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार के गृह और रक्षा मंत्रालयों ने अपने संस्थानों की नौकरियों में रिटायर होने वाले अग्निवीरों को दस-दस प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। इसके तहत गृह मंत्रालय में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और असम राइफल्स में और रक्षा मंत्रालय में अन्य दूसरे पदों के लिए यह आरक्षण दिया जाएगा। इस कदम से अर्धसैनिक बलों में दमकलकर्मियों को नौकरी देने की राह भी आसान हो जाएगी। भारतीय नौसेना, अग्निशामकों के लिए मर्चेंट नेवी में रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। इसके लिए जहाजरानी मंत्रालय की ओर से छह सर्विस रूट को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने अपने यहां की पुलिस भर्तियों में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की बात कही है।