सरकार से पांच घंटे की मीटिंग के बाद दो मुद्दों पर किसान रजामंद, अब 4 जनवरी को अगली बैठक


पांच घंटे चली बैठक के खत्म होने के बाद बाहर निकले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि आज की बैठक अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने चार मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें से दो पर सरकार और किसान यूनियनों के बीच आपसी रजामंदी बन गई है।


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नई दिल्ली। किसान संगठनों के आंदोलन के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में केंद्र सरकार से सातवें दौर की पांच घंटे लंबी चली बैठक की बातचीत में किसान नेता व यूनियन चार में से दो मुद्दों पर रजामंद हो गए हैं।

पांच घंटे चली बैठक के खत्म होने के बाद बाहर निकले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि आज की बैठक अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने चार मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें से दो पर सरकार और किसान यूनियनों के बीच आपसी रजामंदी बन गई है।

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि तीन कानूनों को वापस लेने की बात यूनियन करती रही है। सरकार उन्हें अपने तर्कों से यह समझाने की कोशिश कर रही है कि किसान की कठिनाई कहां है, जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है।

एमएसपी को लेकर जो शंकाएं हैं, उसे लेकर सरकार पहले भी कहती रही है कि ये कभी खत्म नहीं होगा और पहले की तरह ही जारी रहेगी। इसे सरकार उन्हें लिखित में देने के लिए तैयार है।

किसान नेताओं को लगता है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। कृषि कानूनों और एमएसपी पर फिलहाल कोई रजामंदी नहीं बन पाई है और इस पर चर्चा जारी है। सरकार और किसान नेताओं के बीच अब चार जनवरी को दो बजे एक बार फिर से इन विषयों पर चर्चा आगे बढ़ाई जाएगी।

तोमर ने बताया कि किसानों की मांग में पहली पर्यावरण से संबंधित अध्यादेश में किसान और पराली से संबंधित हैं। किसानों को चिंता थी कि किसान को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर रजामंदी बनी है।

दूसरा मसला इलेक्ट्रिसिटी एक्ट का था, जो फिलहाल अस्तित्व में भी नहीं है। फिर भी उन्हें लगता है कि किसानों को इससे नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, वैसी ही चलनी चाहिए। इस मांग पर भी सरकार और किसान नेताओं के बीच रजामंदी बन गई है।


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