नई दिल्ली। किसान संगठनों के आंदोलन के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में केंद्र सरकार से सातवें दौर की पांच घंटे लंबी चली बैठक की बातचीत में किसान नेता व यूनियन चार में से दो मुद्दों पर रजामंद हो गए हैं।
पांच घंटे चली बैठक के खत्म होने के बाद बाहर निकले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि आज की बैठक अच्छे वातावरण में हुई। किसान नेताओं ने चार मुद्दे चर्चा के लिए रखे थे, उनमें से दो पर सरकार और किसान यूनियनों के बीच आपसी रजामंदी बन गई है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि तीन कानूनों को वापस लेने की बात यूनियन करती रही है। सरकार उन्हें अपने तर्कों से यह समझाने की कोशिश कर रही है कि किसान की कठिनाई कहां है, जहां कठिनाई है, वहां सरकार खुले मन से विचार को तैयार है।
Govt has been saying that MSP will continue. We are ready to give this in writing. But farmers' unions feel MSP should get legal status. So the discussion will continue on the legal aspect of MSP & other issues on Jan 4 at 2 pm: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar https://t.co/BoRiBMaoxw
— ANI (@ANI) December 30, 2020
एमएसपी को लेकर जो शंकाएं हैं, उसे लेकर सरकार पहले भी कहती रही है कि ये कभी खत्म नहीं होगा और पहले की तरह ही जारी रहेगी। इसे सरकार उन्हें लिखित में देने के लिए तैयार है।
किसान नेताओं को लगता है कि एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलना चाहिए। कृषि कानूनों और एमएसपी पर फिलहाल कोई रजामंदी नहीं बन पाई है और इस पर चर्चा जारी है। सरकार और किसान नेताओं के बीच अब चार जनवरी को दो बजे एक बार फिर से इन विषयों पर चर्चा आगे बढ़ाई जाएगी।
There's still a deadlock over 3 farm laws being scrapped. We couldn't reach a consensus with them on MSP. On issue of stubble burning, govt agreed to exclude farmers from fine. On electricity issue, govt has taken back Power Bill 2020: Krantikari Kisan Union President Darshan Pal pic.twitter.com/lBqQgD53JD
— ANI (@ANI) December 30, 2020
तोमर ने बताया कि किसानों की मांग में पहली पर्यावरण से संबंधित अध्यादेश में किसान और पराली से संबंधित हैं। किसानों को चिंता थी कि किसान को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए। दोनों पक्षों के बीच इस मुद्दे पर रजामंदी बनी है।
दूसरा मसला इलेक्ट्रिसिटी एक्ट का था, जो फिलहाल अस्तित्व में भी नहीं है। फिर भी उन्हें लगता है कि किसानों को इससे नुकसान होगा। किसानों को सिंचाई के लिए जो सब्सिडी दी जाती है, वैसी ही चलनी चाहिए। इस मांग पर भी सरकार और किसान नेताओं के बीच रजामंदी बन गई है।
Issues related to stubble burning & electricity were sorted in today's meeting. 2 of our main issues still need to be resolved. We'll discuss topics related to MSP & repealing of 3 Farm laws in the next meeting on 4th Jan: Rakesh Tikait, Spokesperson, Bhartiya Kisan Union (BKU) pic.twitter.com/NHV66H5BBe
— ANI (@ANI) December 30, 2020