NDTV का अधिग्रहण, संस्थापकों ने ली विदा, अडानी समूह के अधिकारियों ने संभाला ज़िम्मा


दर्शकों को लगता है कि अब NDTV का फोकस व्यवसायिक न्यूज पर अधिक होगा


DeshGaon
बड़ी बात Updated On :

भोपाल। मीडिया जगत में अब पूरी तरह कॉरपोरेट का कब्ज़ा हो चुका है। अडानी समूह ने एनडीटीवी पर नियंत्रण हासिल कर लिया है और इसके साथ ही एनडीटीवी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में से संस्थापक डॉ प्रणव रॉय और राधिका रॉय ने इस्तीफा दे दिया है। माना जा रहा है आने वाले दिनों में कई और पत्रकार संस्थान से इस्तीफा देंगे। इनमें नामचीन पत्रकार रवीश कुमार भी हो सकते हैं।

एनडीटीवी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को प्रणय रॉय और राधिका रॉय के इस्तीफे की जानकारी दी है। डॉ प्रणय रॉय और राधिका के कंपनी की निदेशक के पद से इस्तीफा देने के बाद संजय पुगलिया सुदीप्ता भट्टाचार्य और सेंथिल सिनेमा सिनेया चेंगलवार्यन को तत्काल प्रभाव से आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त किया है।

दरअसल, बीते 23 अगस्त को गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी समूह ने एनडीटीवी में 29.18 प्रतिशत हिस्सा अधिग्रहित कर लिया था। तभी अडानी ग्रुप ने एनडीटीवी में और 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए मार्केट में ओपन ऑफर लाने का ऐलान किया था। इसी कड़ी में अडानी ग्रुप बीते 22 नवंबर को ओपन ऑफर लाया था, जो आगामी 5 दिसम्बर तक खुला है।

स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, 22 नवंबर को शुरू हुई ओपन ऑफर में अब तक 53 लाख शेयर या 31.78 फीसदी शेयरों की पेशकश की जा चुकी है।

SEBI ने सात नवंबर को प्रस्तावित 492.81 करोड़ रुपए की ओपन ऑफर को मंजूरी दी थी। ओपन ऑफर के तहत 294 रुपए प्रति शेयर की कीमत पर 1.67 करोड़ शेयरों की पेशकश की जा रही है।

अडानी समूह काफी समय से मीडिया में अपना नियंत्रण स्थापित करने नियंत्रण के लिए कोशिश कर रहा था और एनडीटीवी काफी पहले से समूह की नजर में था।

कुछ समय पहले अडानी समूह ने इस साल अगस्त में विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (VCPL) का अधिग्रहण करने की घोषणा की थी। VCPL ने NDTV के संस्थापक प्रणय रॉय और राधिका रॉय को एक दशक पहले 400 करोड़ रुपए से अधिक राशि कर्ज के तौर पर दी थी। इस कर्ज के एवज में ऋणदाता को किसी भी समय NDTV में 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने का प्रावधान रखा गया था।

NDTV भारत के मौजूदा मीडिया संस्थानों में एक बेहद विश्वसनीय नाम माना जाता रहा है इनकी छवि काफी हद तक स्वतंत्र भी रही। इस अधिग्रहण से भारतीय दर्शकों में खासी निराशा है। दर्शकों का मानना है कि अब चैनल का फोकस जनहित के मुद्दों पर न होकर व्यवसायिक मुद्दों पर अधिक होगा।

 

 



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