केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी है। यह निर्णय गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में लिया गया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि आयोग के अध्यक्ष और दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति जल्द की जाएगी।
7वें वेतन आयोग, जिसकी अवधि 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही है, को ध्यान में रखते हुए यह कदम समय से पहले उठाया गया है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि आयोग को सिफारिशें तैयार करने और सरकार को उनकी समीक्षा के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
वेतन आयोग क्या है?
वेतन आयोग केंद्र सरकार द्वारा हर दशक में एक बार गठित किया जाता है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और पेंशन भुगतान में संशोधन करना होता है। भारत में स्वतंत्रता के बाद से अब तक सात वेतन आयोगों का गठन हो चुका है। वेतन आयोग की सिफारिशें सीधे तौर पर लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवन पर प्रभाव डालती हैं। यह सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों को समय के साथ उचित और प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास करता है।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशें और प्रभाव
7वें वेतन आयोग का गठन 2016 में हुआ था और इसकी सिफारिशों को जनवरी 2016 में लागू किया गया। इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में औसतन 14 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। इससे पहले 4वें, 5वें और 6वें वेतन आयोगों का कार्यकाल भी 10 वर्षों का था।
आयोग के गठन से उम्मीदें
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 में लागू होने की संभावना है। इससे सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में और सुधार होने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम सार्वजनिक क्षेत्र में अधिक दक्षता और संतुष्टि सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। सरकार के इस फैसले ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के बीच सकारात्मक चर्चा शुरू कर दी है, और वे आयोग की सिफारिशों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।