मुंबई। भीमा कोरेगांव हिंसा केस में गिरफ्तार आंदोलनकारी फादर स्टेन स्वामी (84 वर्ष) का सोमवार को निधन हो गया। बॉम्बे हाईकोर्ट को उनके वकील ने जानकारी दी कि रविवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
स्वामी अक्टूबर 2020 से मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे और लगातार उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 28 मई 2021 को उन्हें प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाने का आदेश दिया था और आदेश के तीन दिन बाद उन्हें मुंबई के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था।
स्टेन स्वामी सुनने की क्षमता पूरी तरह खो चुके थे और लाइलाज पार्किंसन बीमारी से भी जूझ रहे थे। उन्हें स्पॉन्डलाइटिस की समस्या भी थी और पिछले साल मई में वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, जिसके बाद से उनकी तबीयत लगातार गंभीर थी।
इलाज के बाद भी उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और पांच जुलाई को उनका निधन हो गया।
फादर स्टेन स्वामी के निधन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दुख जताते हुए ट्वीट किया- ‘फादर स्टेन स्वामी के निधन पर हार्दिक संवेदना। वह न्याय और मानवता के पात्र थे।’
Heartfelt condolences on the passing of Father Stan Swamy.
He deserved justice and humaneness.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 5, 2021
बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा केस में नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी यानी एनआईए ने आरोप लगाए थे कि स्टेन के नक्सलियों से लिंक हैं और वे खासतौर से प्रतिबंधित माओवादी संगठन के संपर्क में हैं।
आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्टेन ने करीब पांच दशक तक झारखंड में काम किया था। उन्होंने विस्थापन, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों को लेकर संघर्ष किया। उन्होंने दावा किया था कि नक्सलियों के नाम पर 3000 लोगों को जेल भेजा गया। इनका केस अभी पेंडिंग है और स्टेन इनके लिए हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे थे।