उत्तरकाशी की सिलक्यारा की सुरंग से 17 दिन बाद बाहर आए 41 मज़दूर, 400 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन


अंदर फंसे मजदूरों और बाहर बचाने वाली एजेंसियों के हौसले की परीक्षा


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बीते 12 नवंबर से उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 कर्मियों की मंगलवार शाम बाहर निकाल लिया गया। इन्हें बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चार सौ घंटे तक चला।  यह 57 मीटर मलबे के दोनों किनारों पर मौजूद लोगों के लिए धैर्य और दृढ़ता की परीक्षा थी  इस दौरान बचाव अभियान में कई बाधाएं आईं लेकिन आखिरकार यह ऑपरेशन सफल हुआ।  शाम को लगभग 8 बजे, पहले कर्मचारी को बाहर निकाला गया और एम्बुलेंस में मेडिकल सेंटर ले जाया गया।

इससे पहले देशभर में इन कर्मियों के लिए प्रार्थनाएं की जा रहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेताओं ने इन कर्मियों के सुरक्षित बाहर आने के लिए दुआ मांगी। दोपहर में, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सोशल मीडिया पोस्ट की। इसके बाद अभियान की सफलता की उम्मीद बंधी। उन्होंने लिखा कि  “बाबा बौख नाग जी की अपार कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थनाओं और सभी बचाव टीमों के अथक परिश्रम का परिणाम है।”  मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सुरंग में पाइप बिछाने का काम पूरा हो चुका है, जल्द ही सभी भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रेस्क्यू मिशन की सफलता को भावुक कर देने वाली बताया। उन्होंने कहा कि टनल में जो लोग फंसे हुए थे उनका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित करने वाला है। वहीं कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस बचाव अभियान की सफलता पर खुशी जताई।

इसके बाद शाम को धामी रेस्क्यू मिशन के आखिरी चरण में सुरंग के अंदर पहुंचे और इसके बाद एक एक करके सभी कर्मियों को बाहर निकाला गया। इस दौरान राष्ट्रीय आपदा राहत बल के कर्मियों ने मोर्चा संभाल रखा था। इसके अलावा राज्य सेवा के कर्मचारी भी इस दौरान मुस्तैद थे। लोगों को बाहर निकालने से पहले, अंदर एक उनके स्वास्थ्य की जांच की गई। इस दौरान उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तमाम इंतज़ाम किए गए थे।

एम्बुलेंस ड्यूटी पर मौजूद फार्मासिस्ट डीसी नौटियाल ने मीडिया से कहा कि वे बचाए गए श्रमिकों को सुरंग से 30 किमी दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे हैं, जहां उनके लिए 41 बिस्तरों वाला एक अलग सेक्शन तैयार किया गया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि कर्मियों को 48-72 घंटों तक चिकित्सा निगरानी में रखा जाएगा। जरूरत पड़ने पर बचाए गए कर्मियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए वायु सेना को भी तैयार रखा गया था।

बचाव कार्य से 41 परिवारों पर को भी भारी चिंता से मुक्ति मिली। सभी के परिजन काफी समय से इसी इलाके में उनके इंतज़ार में रह रहे थे। वहीं जिन बचाव कर्मियों ने इस अभियान को पूरा किया उन्होंने भी इसका जश्न मनाया।



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