विपक्ष के 19 दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की, कहा- लोकतंत्र की आत्मा खींच ली गई


वहीं, ओडिशा की बीजू जनता दल, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल और आंध्र प्रदेश के YSR कांग्रेस ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का फैसला किया है।


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new parliament building boycott by opposition

नई दिल्ली। कांग्रेस समेत विपक्ष के 19 दलों ने बुधवार को ऐलान किया कि वे संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करेंगे। बुधवार को इन दलों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही खींच लिया गया हो, ऐसे में हमें नई इमारत की कोई कीमत नजर नहीं आती है।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से यह घोषणा की है।

वहीं, ओडिशा की बीजू जनता दल, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल और आंध्र प्रदेश के YSR कांग्रेस ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने का फैसला किया है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं।

इन विपक्षी दलों ने दावा किया कि यह ‘अशोभनीय कृत्य’ राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है।

विपक्षी पार्टियों ने कहा कि यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमज़ोर करता है जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था।

संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है। संसद के विपक्षी सदस्यों को अयोग्य, निलंबित और मौन कर दिया गया है जब उन्होंने भारत के लोगों के मुद्दों को उठाया। सत्ता पक्ष के सांसदों ने संसद की कार्यवाही को बाधित किया है।

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि तीन कृषि कानूनों सहित कई विवादास्पद विधेयकों को लगभग बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया और संसदीय समितियों को व्यावहारिक रूप से निष्क्रिय कर दिया गया है।

नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है। भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए यह स्पष्ट रूप से बनाया जा रहा है।

विपक्षी दलों ने कहा कि हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे, और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे।

दूसरी तरफ, भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस यानी एनडीए ने भारत के विपक्षी दलों के फैसले पर कहा है कि यह भारत के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है।

एनडीए ने बयान में कहा कि पिछले नौ सालों में, विपक्ष ने संसदीय प्रक्रियाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया, संसद के सत्रों को बाधित किया, वॉकआउट किया। संसद के प्रति विपक्ष का घोर अनादर बौद्धिक दिवालियेपन को दर्शाता है और लोकतंत्र के लिए अवमानना ​​​​करता है।


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