भोपाल के पास 1800 करोड़ की ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़, NCB और गुजरात ATS के इस ऑपरेशन की खबर मप्र के खूफिया विभाग तक को नहीं


भोपाल के पास बगरोदा गांव की एक फैक्ट्री में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और गुजरात एटीएस की संयुक्त टीम ने छापा मारकर 1800 करोड़ रुपये की ड्रग्स बरामद की है। इस दौरान दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। फैक्ट्री में पिछले छह महीनों से रोजाना 25 किलो मेफेड्रोन (एमडी) ड्रग तैयार की जा रही थी। मामले में कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए हैं।


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बड़ी बात Updated On :

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक एक फैक्ट्री से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और गुजरात एटीएस की संयुक्त टीम ने 1800 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग्स बरामद की है। इस दौरान दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। फैक्ट्री बगरोदा गांव के इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित थी, जो कटारा हिल्स थाना इलाके में आती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस बड़ी कार्रवाई की खबर मध्य प्रदेश के खुफिया विभाग तक नहीं पहुंच पाई।

कोर्ट में पेशी और 8 दिन की रिमांड: गुजरात एटीएस ने दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रविवार को भोपाल न्यायालय में पेश किया। इसके बाद दोनों को गुजरात ले जाया गया। पुलिस को आरोपियों की 8 दिन की रिमांड मिली है। डीसीपी जोन-2 संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि फैक्ट्री मालिक की जानकारी के लिए उद्योग विभाग से संपर्क किया जाएगा।

 

ड्रग्स निर्माण और बरामदगी: एटीएस गुजरात के डीएसपी एस.एल. चौधरी ने जानकारी दी कि भोपाल के अमित चतुर्वेदी और नासिक, महाराष्ट्र के सान्याल बाने बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री की आड़ में मादक पदार्थ मेफेड्रोन (एमडी) के अवैध निर्माण और बिक्री में शामिल थे। जानकारी मिलते ही गुजरात एटीएस ने एनसीबी के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर कार्रवाई की। फैक्ट्री पर छापेमारी 5 अक्टूबर को की गई थी, जिसमें ड्रग्स बनाने के लिए उपयोग किए जा रहे 5000 किलोग्राम कच्चा माल और उपकरण जब्त किए गए। इनमें ग्राइंडर, मोटर, ग्लास फ्लास्क, हीटर आदि शामिल हैं।

907 किलो मेफेड्रोन बरामद: फैक्ट्री की तलाशी में कुल 907.09 किलोग्राम मेफेड्रोन (ठोस और तरल रूप में) मिला, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत 1814.18 करोड़ रुपये बताई जा रही है। एटीएस का दावा है कि आरोपी रोजाना 25 किलो ड्रग्स तैयार कर रहे थे और पिछले छह महीनों से इस काम में जुटे थे। फैक्ट्री का किराया छह महीने पहले ही लिया गया था, जो भोपाल के एक ए.के. सिंह की बताई जा रही है।

मुख्य आरोपी का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड: गिरफ्तार आरोपियों में से एक, सान्याल प्रकाश बाने (40 वर्ष) नासिक, महाराष्ट्र का रहने वाला है, जो 2017 में महाराष्ट्र के अंबोली पुलिस स्टेशन इलाके में एक किलो एमडी ड्रग्स के साथ पकड़ा गया था। इस मामले में उसे पांच साल की जेल हुई थी। जेल से छूटने के बाद उसने अपने साथी अमित चतुर्वेदी (57 वर्ष) के साथ मिलकर ड्रग्स बनाने और बेचने की योजना बनाई।

कांग्रेस ने उठाए सवाल: इस बड़े ड्रग्स मामले पर कांग्रेस ने सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट कर पूछा, “युवा पीढ़ी को नशे में धकेलने का षड़यंत्र किसके संरक्षण में हो रहा है?”

“मध्य प्रदेश अब माफियाओं का प्रदेश बन चुका है। शराब, रेत के बाद अब ड्रग माफिया भी सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश की पुलिसिंग व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है।” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि युवा पीढ़ी को नशे में धकेलने का षड़यंत्र किसके संरक्षण में हो रहा है?

कांग्रेस नेता अरुण यादव ने ‘एक्स’ पर लिखा, “मध्य प्रदेश अब माफियाओं का प्रदेश बन चुका है। शराब, रेत के बाद अब ड्रग माफिया भी सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश की पुलिसिंग व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है।” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य सरकार से सवाल किया कि युवा पीढ़ी को नशे में धकेलने का षड़यंत्र किसके संरक्षण में हो रहा है?

इस घटना ने मध्य प्रदेश के प्रशासन और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कैसे इतनी बड़ी ड्रग्स फैक्ट्री महीनों से बिना किसी जानकारी के चल रही थी? गुजरात एटीएस और एनसीबी की इस संयुक्त कार्रवाई ने न सिर्फ मादक पदार्थों के नेटवर्क को उजागर किया है, बल्कि स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।



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