मप्र की सबसे बड़ी मंडी इंदौर का हालः महंगा होते टमाटर के साथ टूट रही आम आदमी की आर्थिक कमर


फेरी लगाकर सब्जी बेचने वाले छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यापारी भी परेशान, हम्मालों की मजदूरी भी नहीं निकल रही।


आदित्य सिंह
स्पेशल स्टोरी Updated On :

इंदौर की चोईथराम मंडी में इन दिनों कारोबार धीमा है, इसकी वजह है कि तमाम सब्जियों का महंगा होना। इस समय सब्जियां आम दिनों से करीब तीन गुना महंगी हैं। इसका असर व्यापार पर भी पड़ रहा है लिहाज़ा लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है। मंडी में छोटे से लेकर बड़े व्यापारियों पर इसका असर दिखाई दे रहा है और वहीं सबसे ज्यादा परेशान वे सब्जीवाले हैं जो मोटरसाईकिलों और हाथठेलों पर सब्जी बेच रहे हैं। इनकी कमाई फिलहाल करीब आधे से भी कम रह गई है। ऐसे में इनके सामने जीवन संकट खड़ा हो गया है। सबसे ज्यादा चर्चा में टमाटर है जो करीब तीन महीने पहले तक इसी मंडी में 6-10 रुपए प्रतिकिलोग्राम तक बिक रहा है और अब इसके भाव 140 से 200 रुपये तक पहुंच गए हैं। टमाटर के बड़े व्यापारी बताते हैं कि पहले के मुकाबले केवल इंदौर की इसी मंडी में ही टमाटर की खपत करीब 90 प्रतिशत कम हो चुकी है। रोज़ करोड़ों का कारोबार करने वाली यह मंडी में इस समय काफी कम काम हो रहा है।

इंदौर की चोइथ राम मंडी में सब्जियों की छोटी सी दुकान लगाकर बैठी एक वृद्ध महिला

इंदौर की इस मंडी से कुछ किमी दूर महू शहर यहां एक उपनगर ही है। यहां शहर की ही सब्जीमंडी में दुकान लगाने वाले मोहम्मद आसिफ ने रविवार को अपनी दुकान करीब एक महीने बाद खोली है। उन्होंने बताया कि पिछले एक-डेढ़ महीने में सब्जियों के दाम काफी बढ़े हैं और ग्राहकी कम हुई है। एक महीने पहले जब उन्होंने दुकान बंद की थी तब वे इससे परेशान हो गए थे। रोजाना घाटा हो रहा था। टमाटर लाकर भी नहीं बिक रहा था लोग यहां नहीं खरीदते थे।

आसिफ़, महू के सब्जी विक्रेता

आसिफ बताते हैं कि सब्जी के व्यापार में मुनाफा हो या न हो लेकिन घाटा जरुर होता है क्योंकि दुकान में बची हुई सब्जियां अगले दिन काम की नहीं रहती हैं। उनकी उम्र केवल खेत से टूटने से लेकर दुकान पर आकर एक दिन के अंदर बिकने की ही होती है। ऐसे में उन्होंने दुकान बंद करना ही बेहतर समझा। आसिफ बताते हैं कि इस डेढ़ महीने के दौरान उन्हें करीब पचास से साठ हजार रुपये का नुकसान हो चुका है।

आसिफ अकेले नहीं है इसी महू शहर में कई ठेले और मोटरसाईकिल पर सब्जियां बेचने वाले कई सब्जी विक्रेता हमें मिले। उन्होंने हमें बताया कि महंगाई से स्थिति काफी खराब है और परिवार का भरण पोषण भी मुश्किल हो रहा है।

इनमें से एक हीरालाल हैं, जो मोटरसाईकिल पर अपनी सब्जियां बेचते हैं। वे कहते हैं कि पहले रोजाना सुबह 6 बजे से 2 बजे तक सब्जी बेचने पर करीब पांच से छह सौ रुपये तक मिल जाते थे लेकिन अब यह कमाई तीन सौ के आसपास आ गई है। इसमें भी पेट्रोल पर कम से कम सौ रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

हीरालाल, इंदौर के महू में फेरी लगाकर सब्जी बेचने वाले व्यापारी हैं जो सुबह से दोपहर तक की अपनी कमाई बता रहे हैं।

रविवार को हीरालाल अपना बटुआ दिखाते हुए कहते हैं कि वे सुबह 7 बजे से घूम रहे हैं और बारह बजे तक उनकी कुल 190 रुपए की सब्जी बिकी है। हीरालाल बताते हैं कि ऐसे में गुजारा चलाना मुश्किल है वे कहते हैं कि यही अच्छी बात है कि उनके पास गांव में अपना घर है वर्ना कई लोगों को तो किराया देना और बच्चों की फीस भरना भी मुश्किल हो रहा है।

यहीं पास से गुजरने वाले अशोक कौशल बताते हैं कि वे पांच कॉलोनियों में घूम चुके हैं लेकिन ठेले से बीस प्रतिशत सब्जियां भी नहीं बिकी हैं। अशोक बताते हैं कि बीते करीब दो महीनों से हाल यही है। ठेले वाले अपना मुनाफा जोड़कर सब्जी बेचते हैं तो कुछ और दाम बढ़ जाते हैं ऐसे में लोग या तो लेना कम कर देते हैं या फिर मंडी चले जाते हैं लेकिन इस बार उन्होंने लेना बहुत ही कम कर दिया है। वे कहते हैं कि साल में कुछेक बार ऐसा होता रहता है लेकिन यह पहली बार हुआ है कि भाव इस कदर बढ़े और लोगों ने इतने लंबे समय तक खर्च रोक लिया।

टमाटर की महंगाई से लोगों की रसोई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। रसोई में टमाटर न के बराबर है। महू की ही एक गृहणी सीमा सोलंकी बताती हैं कि उन्होंने बीते एक महीने में शायद एक बार ही एक पाव टमाटर खऱीदा था और उस समय टमाटर उन्हें पचास रुपए किलोग्राम मिला था। ऐसे में उन्होंने टमाटर का इस्तेमाल ही बंद कर दिया है। वे बताती हैं कि टमाटर ही नहीं सभी हरी सब्जियां महंगी हैं शिमला मिर्च 120 रुपये किलो है, मिर्ची 80 रुपये किलो है, लौकी करीब 40 रुपये किलो और अदरक करीब दो सौ रुपये किलो है। ऐसे में घर का बजट बिगड़ चुका है।

इंदौर की चोईथराम मंडी में सब्जी व्यापारियों के अलावा आम लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। इस रविवार को यहां कामकाजी लोगों की संख्या पहले से कुछ ज्यादा दिखाई दी। ये इस उम्मीद में यहां पहुंचे थे कि मंडी से कम दाम में सब्जी मिल जाएगी तो अगले कुछ दिनों के लिए खरीद लेंगे लेकिन ऐसा नहीं था।

इंदौर की सब्जी मंडी

चोईथराम मंडी में इंदौर की ही रहने वाली एक कामकाजी महिला भूमिका छाबड़ा मिलीं उन्होंने बताया कि उन्होंने सुना था कि सरकार कम दाम पर टमाटर उपलब्ध करा रही है और ऐसे में उन्होंने इसके बारे में खोजबीन की लेकिन टमाटर नहीं मिला फिर अब वे थोक मंडी में पहुंचीं हैं ताकि सस्ता टमाटर ले जा सकें लेकिन यहां भी इस बार उम्मीद नहीं है, टमाटर 160 रुपये किलो मिल रहा है। ऐसे में वे इस बार केवल एक किलोग्राम टमाटर ही खरीद रहीं हैं।

छाबड़ा जिस दुकान से यह टमाटर खरीद रहीं हैं वहां मंजू तोमर चला रहीं हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने 2800 रुपये प्रति कैरेट का टमाटर खरीदा है और हर कैरेट में करीब 2 किलो टमाटर खराब निकल रहा है। वे बताती हैं कि अब तीन सौ रुपए के आसपास घर ले जाती हैं, ऐसी महंगाई है कि यहां की कमाई घर की बचत में नहीं जा पाती, जो कुछ आता है खर्च हो जाता है।

इंदौर में ही रहने वाले अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी कहते हैं कि निश्चित रुप से खाद्य पदार्थों में महंगाई बढ़ी है और यह आम आदमी को परेशान कर रही है। सब्जियों में महंगाई का कारण बारिश है और इसके अलावा राज्यों के पास स्टोरेज क्षमता की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार है। वे कहते है कि सरकार अच्छा काम कर रही है कि 80 करोड़ लोगों को राशन मिल रहा है वर्ना स्थिति और भी परेशान करने वाली हो सकती थी। भंडारी के मुताबिक इस महंगाई में लोगों को राशन मिलने से मदद मिली है वहीं वे कहते हैं कि इस समय सरकारों के पास मौका है कि वे पेट्रोल-डीजल के दाम कम करें ताकि लोगों को राहत मिल सके। भंडारी बताते हैं कि किसानों के कारण ही देश, दुनिया में एक आर्थिक महाशक्ति नजर आता है।

मप्र के कई इलाकों में किसान टमाटर लगाते हैं। यहां मालवा-निमाड़ के खरगोन, खंडवा, झाबुआ, अलीराजपुर, राजगढ़, जबलपुर, नरसिंहपुर आदि कई जिलों में टमाटर होता है। मप्र में यह फसल सर्दियों के मौसम में लगाई जाती है और बाकी मौसम में टमाटर महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों से आता है। मप्र के कुछेक किसान गर्मी और बारिश में भी नेट हाउस और पॉली हाउस में टमाटर उगाते हैं लेकिन अब तक यह बहुत ज्यादा मुनाफेदार साबित नहीं हुआ है। ऐसे में इस बार इन किसानों ने ज्यादा टमाटर नहीं लगाया है। साल की शुरुआत में झाबुआ के किसानों को टमाटर का अच्छा दाम नहीं मिला ऐसे में उन्होंने टमाटर फेंका, इसी चरह नरसिंहपुर के किसानों को टमाटर एक रुपए किलो में बेचना पड़ रहा था ऐसे में उन्होंने खेत से फसल तोड़ने पर और भी पैसे खर्च करना पड़ते लिहाज़ा इन किसानों ने फसल सीधे उखाड़ कर फेंक दी। वहीं दूसरे प्रदेशों से आने वाले टमाटर की कीमतें बारिश के कारण बढ़ गई हैं। रास्ते रुके और वहां भी बारिश से फसल का नुकसान हुआ लिहाजा मांग और आपूर्ती का रेशियो बिगड़ गया।

प्रदेश के किसानों का यह अनुभव वजह है कि करीब पचास ट्रक टमाटर की खपत करने वाली इंदौर मंडी में इस समय केवल 5-10 ट्रक ही आ पा रहे हैं। मंडी में टमाटर के बड़े व्यापारी योगेश विरहे बताते हैं कि मप्र के किसी भी इलाके से इस समय टमाटर नहीं आ रहा है और फिलहाल जो टमाटर मंडियों तक पहुंचा है वह सभी पुणे और बैंगलोर का है ऐसे में काफी महंगा है। विरहे बताते हैं कि वे दो महीने पहले तक रोजाना ढ़ाई हजार कैरेट टमाटर का व्यापार कर रहे थे लेकिन अब उनका काम केवल दो सौ कैरेट ही ला पा रहे हैं और वह भी बहुत अच्छी क्वालिटी नहीं कही जा सकती है।

योगेश विरहे, व्यापारी

विरहे बताते हैं कि बाजार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, उनके यहां काम करने वाले छोटे कर्मचारियों को अब नियमित काम नहीं मिल रहा है।

रीवा के रहन वाले ललित मिश्रा चोईथराम मंडी में टमाटर व्यापारियों के पास ही हम्माली का काम करते हैं। वे बताते हैं कि पहले वे दिन में ग्राहकी ज्यादा होती थी अब एक दिन में चार सौ रुपये कमाना भी मुश्किल हो रहा है लेकिन पहले वे करीब 800 से हजार रुपये तक कमा लेते थे। ललित को दस रुपये कमाने के लिए पच्चीस किलोग्राम वजनी एक कैरेट उठाकर वाहनों में लादनी होती है। इसके लिए उन्हें दस रुपये मिलते हैं।

ललित मिश्रा, मंडी में मजदूरी करते हैं।

इंदौर मंडी में बड़े पैमाने पर कम क्वालिटी का टमाटर आ रहा है। हर ट्रक में काफी मात्रा में ऐसा टमाटर निकलता है, पहले भी ऐसा होता था और उसे फेंक दिया जाता या जानवरों को दे दिया जाता था लेकिन महंगाई के इस दौर में कुछ भी खराब नहीं किया जा सकता। अब इस खराब टमाटर की भरपाई करने के लिए बाजारों में बिकने वाले टमाटर का भाव भी बढ़ जाता है। हालांकि खराब टमाटर भी फेंका नहीं जाता उसे होटल रेस्टोरेंट वाले खरीद रहे हैं। वे कहते हैं कि खाने की ग्रेवी में टमाटर का होना जरूरी होता है। एक बड़े नामी रेस्टोरेंट संचालक ने नाम प्रकाशित न करने के आगृह पर बताया कि वे खराब तो नहीं लेकिन हल्के दर्जे के टमाटर खरीद रहे हैं ताकि सब्जियों की ग्रेवी में इसकी कमी पूरी हो सके।

 

टमाटर के उत्पादन के बारे में खरगोन जिले में नांदरा गांव के किसान सतीष पाटीदार बताते हैं कि इस बार उन्होंने टमाटर नहीं लगाया है क्योंकि पिछले बार दाम अच्छे नहीं मिले थे हालांकि वे आने वाले दिनों में टमाटर लगाएंगे। वहीं इंदौर के मानपुर में किसान सुशील पाटीदार बताते हैं कि उन्होंने इस मौसम में भी टमाटर की सप्लाई की है लेकिन मुनाफा वैसा नहीं हुआ जैसी अखबारों में खबरे आ रहीं हैं। सुशील बताते हैं कि उन्होंने तीन बीघा में नेट हाउस में टमाटर लगाया था लेकिन ज्यादा बारिश के कारण फसल में रोग लगने लगे। ऐसे में टमाटर की क्वालिटी खराब होने लगी। वे बताते हैं कि उन्होंने कुछ ही समय तक अच्छी कीमत में टमाटर बेचा है क्योंकि मौसम से उत्पादन भी गिर गया है।

सुशील के मुताबिक उत्पादन को देखें तो पहले वे तीन बीघा से दो सौ कैरेट से ज्यादा ले रहे थे लेकिन अब यह तीस भी नहीं निकल रहा है। वे कहते हैं कि उन्होंने टमाटर से मुनाफा तो कमाया है लेकिन कोई बहुत ज्यादा नहीं बस दो-तीन लाख, ये बहुत ज्यादा नहीं होता क्योंकि इसमें कहीं ज्यादा मेहनत औऱ लागत लगती है और लाभ कभी कभार ही मिलता है। किसान बताते हैं कि प्रदेश में अगले एक महीने में टमाटर की एक और फसल तैयार होगी तब टमाटर के भाव में कुछ कमी आएगी लेकिन इसके लिए भी मौसम का अनूकूल होना जरूरी है। इसके बाद सर्दियों में टमाटर भरपूर मात्रा में होगा।

लोगों के ये अनुभव और जमीनी स्थितियां बताती हैं कि आम आदमी को मौसम, महंगाई और नाकाफी इंतजामों ने परेशान कर दिया है। इन विषयों पर कोई सरकारी अधिकारी यह कहकर बात नहीं करता क्योंकि मौसम उनके हाथ में नहीं हैं और महंगाई और फसलों के रखरखाव पूरे इंतज़ाम सरकार के दायरे में आते हैं। वहीं इंदौर की भूमिका छाबड़ा जैसे आम लोग इसके बारे में सरकार से सवाल करते हैं कि महंगाई पर काबू क्यों नहीं है। इस बारे में हमने इंदौर के सांसद शंकर लालवानी से बात की

टमाटर की समस्या को हल करने के लिए सहकारी स्तर पर सप्लाई शुरु की गई है ऐसे में हमारे यहां पहले की तरह स्थिति नहीं है। दूसरी चीज़ों पर महंगाई की बात करें तो हमें देखना होगा हमारी इंकम भी बढ़ी है और इसीलिए खर्चे भी बढ़ रहे हैं।

शंकर लालवानी, सांसद, इंदौर

महंगाई के मुद्दे पर हमने एक और जनप्रतिनिधि और प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर से भी बात की।

केंद्रीय नेतृत्व इन समस्याओं पर ध्यान दे रहा है और इसकी चिंता भी है। ठाकुर बताती हैं कि कोरोना के बाद से दुनिया भर में स्थितियां बिगड़ीं हैं और भारत में भी इसका असर पड़ा है। मंत्री ठाकुर के मुताबिक देश में 80 करोड़ लोगों को राशन दिया जा रहा है ऐसे में जो लोग मजदूरी भी कर रहे हैं उन्हें इससे मदद मिलती है। वे कहती हैं पिछले कुछ समय में यह देखना होगा कि कितने नए घर बने क्या-क्या हुआ, आपको समझना होगा कि लोग सुखी जीवन जी रहे हैं सब ठीक है।

उषा ठाकुर, मंत्री, मप्र शासन

मध्य प्रदेश की मंडियों में अब टमाटर तकरीबन 200 रु किलो बिक रहा है। ज्यादातर सब्जी व्यापारियों ने उम्मीद जताई थी कि करीब 15 दिनों में टमाटर की कीमत कम हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका असर यह हो रहा है की सब्जी बेचने वाले छोटे दुकानदारों की हालत खराब है उनकी बचत लगातार कम होती जा रही है ऐसा इसलिए क्योंकि सब्जी खरीदने वालों की भी आर्थिक स्थिति उन्हें ज्यादा खर्च नहीं करने दे रही है। जाहिर है इसका असर आम आदमी पर पड़ रहा है। घर की थाली से लेकर होटल का खाना सब कुछ महंगा हो चुका है। महू में एक होटल व्यवसाई कैलाश कनौजिया बताते हैं कि सब्जी के अलावा मसालों का खर्च भी लगातार बढ़ रहा है ऐसे में अब वह सब्जियों का कम उपयोग कर रहे हैं। ऐसी महंगाई में उनके व्यवसाय पर भी असर पड़ रहा है।

 

यह खबर मूल रूप से आदित्य सिंह के द्वारा mojo story के लिए लिखी गई थी हम यहां इसे साभार प्रकाशित कर रहे हैं।

 

 


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