नई दिल्ली। भारतीय कैलेंडर के हिसाब से आज से नए साल विक्रम संवत 2080 की शुरुआत हुई है। विक्रम संवत को नव संवत्सर भी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में विक्रम संवत का बहुत महत्व है।
चैत्र का महीना भारतीय कैलेंडर के हिसाब से वर्ष का प्रथम महीना है। नवीन संवत्सर के संबंध में अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। वैदिक पुराण एवं शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को आदिशक्ति प्रकट हुई थीं।
आदिशक्ति के आदेश पर ब्रह्मा ने सृष्टि प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन को अनादिकाल से नववर्ष के रूप में जाना जाता है। मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन सतयुग का प्रारम्भ हुआ था।
पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं –
पीएम मोदी ने भी इस अवसर पर देशवासियों को नव संवत्सर की असीम शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट कर लिखा कि आप सभी को नववर्ष विक्रम संवत 2080 की हार्दिक शुभकामनाएं। ये नव संवत्सर देशवासियों के लिए नए-नए अवसर लेकर आए और हमारा भारतवर्ष नित-नई ऊंचाइयों को छुए, यही कामना है।
देशवासियों को नव संवत्सर की असीम शुभकामनाएं। pic.twitter.com/lKoD755COz
— Narendra Modi (@narendramodi) March 22, 2023
देश में अलग-अलग कैलेंडर प्रचलित –
बुधवार से हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष शुरू हुआ है। विविधता से भरे देश में सदियों से अलग-अलग कैलेंडर प्रचलित है। कोल्लम काल का मलियालम कैलेंडर है, तमिल कैलेंडर है जो सैकड़ों वर्षों से भारत को तिथि ज्ञान देते आ रहे हैं।
विक्रम संवत भी 2080 वर्ष पहले से चल रहा है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में अभी वर्ष 2023 चल रहा है लेकिन विक्रम संवत उससे भी 57 वर्ष आगे है।
नववर्ष का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व –
आज यानी 22 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हिंदू नववर्ष का आरंभ हो गया है। इस दिन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इसी दिन मां जगदम्बा की आराधना के दिन नवरात्रि का आगाज होता है।
इसी दिन जगतपिता ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया था। गुरु अंगद देव साहिब का अवतरण भी इसी दिन हुआ था और महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की थी। आराध्य देव वरुण अवतार भगवान झूलेलाल साईं का अवतरण दिवस भी मनाया जाता है।
विक्रम संवत वैज्ञानिक विधि पर आधारित –
विक्रम संवत पूर्ण वैज्ञानिक विधि से सटीक काल गणना पर आधारित है, जो गेग्रेरियन कैलेंडर से ज्यादा प्रमाणिक है। बसंत ऋतु का आगमन हिंदू नववर्ष के साथ ही शुरू होता है।
देश के विभिन्न भागों में हिंदू नववर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। भारतीय कालगणना पूर्णतः: वैज्ञानिक है। इसे अब आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करता है। यह कालगणना प्रकृति के साथ चलने वाली है।
इसके 12 महीने ऋतु चक्र परिवर्तन का भी स्पष्ट आंकलन प्रदर्शित करते हैं, किन्तु भारतीय समाज अपनी इस वैज्ञानिक कालगणना से कुछ दूर हो गया है। इसे पुनः: स्थापित करना जरूरी है और यह तभी संभव होगा जब इसे नित्य-प्रतिदिन की जीवन चर्या में समाहित किया जाए।
हिंदू नव वर्ष 2023 में 13 माह –
आपको बता दें कि साल नव संवत्सर 2080 में 12 माह नहीं बल्कि कुल 13 माह होंगे क्योंकि इस साल अधिक मास लग रहे है। अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है।
वहीं सबसे अधिक मास सावन में लग रहे हैं, इसलिए सावन माह इस बार दो महीने का होगा।
पंचांग के 12 महीनों का क्रम इस प्रकार है:
• चैत्र माह: 22 मार्च 2023 – 6 अप्रैल 2023
• वैशाख माह: 7 अप्रैल 2023 – 5 मई 2023
• ज्येष्ठ माह: 6 मई 2023 – 4 जून 2023
• आषाढ़ माह: 5 जून 2023 – 3 जुलाई 2023
• श्रावण माह: 4 जुलाई 2023 – 31 अगस्त 2023
(सावन में 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक अधिक मास होगा)
• भाद्रपद माह: 1 सितंबर 2023 – 29 सितंबर 2023
• आश्विन माह: 30 सितंबर 2023 – 28 अक्टूबर 2023
• कार्तिक माह: 29 अक्टूबर 2023 – 27 नवंबर 2023
• मार्गशीर्ष माह: 28 नवंबर 2023 – 26 दिसंबर 2023
• पौष माह: 27 दिसंबर 2023 – 25 जनवरी 2024
• माघ माह: 26 जनवरी 2024 – 24 फरवरी 2024
• फाल्गुन माह: 25 फरवरी 2024 – 25 मार्च 2024