2001 के बाद यानी 19 साल बाद अधिक मास पड़ने के कारण अब नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर 2020 से शुरू होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या तिथि यानी सर्व पितृ अमावस्या के दिन महालया मनाई जाती है। महालया अमावस्या के खत्म होने के बाद शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। महालया के दिन मां दुर्गा से पृथ्वी पर आने की प्रार्थना की जाती है।
नवरात्रि पर दुर्गा पूजन का कार्यक्रम
पंचांग के अनुसार नवरात्रि का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होगा, जो 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से प्रात: 10 बजकर 12 मिनट तक है।
नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री
मां दुर्गा की प्रतिमा अथवा चित्र
लाल चुनरी
आम के पल्लव
चावल
दुर्गा सप्तशती की किताब
लाल कलावा
गंगा जल
चंदन
नारियल
कपूर
जौ
मिट्टी का बर्तन
गुलाल
सुपारी
पान के पत्ते
लौंग
इलायची
नवरात्रि पूजा विधि
सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
पूजा की थाल सजाएं।
मां दर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें।
मिट्टी के बर्तन में जौ बोयें और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।
पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम के पल्लव लगाएं और उपर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें।
फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।
नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।
आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और वेदी से कलश को उठाएं।