इस बार नौतपा 25 मई से शुरू हो गया है, लेकिन इस बार का नौतपा खास है। आम तौर पर ज्येष्ठ माह में लगने वाला नौतपा इस बार वैशाख माह में ही लग गया है। इसका असर मौसम और प्रकृति पर विपरीत पड़ेगा। अपनी तपिश के लिए पहचाने जाने वाले नौतपा इस बार तपेंगे नहीं।
पंडित कपिल बिल्लोरे के मुताबिक, आम तौर पर ज्येष्ठ के माह में ही नौतपा आते थे, लेकिन इस बार सूर्य की तेज गति के चलते यह वैशाख में ही आ गए। चूंकि सूर्य 14 मई को ही मेष राशि से बदलकर वृषभ राशि में आ गए इसलिए नौतपा जल्दी आ गए।
ज्येष्ठ का मतलब वृषभ के सूर्य। मेष का मतलब वैशाख का महीना। अधिकमास आने और तिथियों के क्षय होने से ऐसे योग बन जाते हैं कि सूर्य की गति तेज हो जाती है इसीलिए सूर्य को ज्येष्ठ में वृषभ के सूर्य में जाना था, जबकि वे वैशाख में ही आ गए।
ज्येष्ठ के तपा लगने पर तेज गर्मी पड़ती है जबकि इस बार वैशाख में ही नौतपा लगेंगे इसीलिए इस बार के नौतपा में गर्मी नहीं पड़ेगी और न ही लू चलेगी। पंडित बिल्लौरे ने बताया कि उनके पास जो पंचांग उपलब्ध है, उसके अनुसार ऐसा पहली बार हो रहा है, जब नौतपा जयेष्ठ की जगह वैशाख माह में ही आ रहे हों।
सूर्य चंद्र की शीतलता को समाप्त कर बढ़ा देता है ताप –
पंडित बिल्लोरे बताते हैं कि सूर्य 12 राशियों 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है, उसके प्रभाव को अस्त कर देता है। रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है।
ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो वह चंद्र की शीतलता के प्रभाव पूर्णत: समाप्त कर ताप बढ़ा देता है यानी पृथ्वी को शीतलता प्राप्त नहीं हो पाती। इस कारण ताप अधिक बढ़ जाता है। यही वजह है कि पूरे साल में नौतपा सबसे ज्यादा तपने यानी कि गर्मी के लिए जाने जाते हैं।
तपन के अनुसार होती है बारिश –
नौतपा में बारिश होने यानी कि खंडित होने को लेकर भी अलग-अलग मान्यता है। नौतपा में जितनी अधिक तपन होती है, उतनी ही अच्छी बारिश होती है। यदि नौतपा खंडित होते हैं तो अनुमान लगाया जाता है कि बारिश भी अच्छी नहीं होगी।
ऐसे शुरू होते हैं नौतपा –
सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आते हैं तो उसके शुरुआती 9 दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हें ही नौतपा कहा जाता है। यदि नौतपा में बारिश न हो और न ही ठंडी हवा चले तो यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी।