नई दिल्ली। अंतरिक्ष में होने वाली खगोलीय घटना का वैज्ञानिक दृष्टि से अत्याधिक महत्व होता है लेकिन पुराणों-वेदों एवं धर्मशास्त्रों में इसे शुभ नहीं माना जाता। साल 2023 का पहला सूर्यग्रहण अगले महीने 20 अप्रैल को लगेगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा।
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। इसे ऑस्ट्रेलिया, पूर्व और दक्षिण एशिया, प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका और हिंद महासागर से देखा जा सकता है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, जिससे पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से सूर्य का दृश्य पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है, तो सूर्य ग्रहण होता है।
जहां पूरे विश्व में खगोलीय दृष्टि से ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है, वहीं धर्म प्राण देश भर सहित अन्य देशों में धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब राहु और केतु द्वारा सूर्य या चंद्रमा का ग्रास करने का प्रयास किया जाता है तो ग्रहण लगता है।
वर्ष 2023 में कुल 4 ग्रहण लगने वाले हैं, जिसमें से 2 सूर्यग्रहण और 2 चन्द्रग्रहण हैं। साल 2023 में कुल चार ग्रहण पड़ने हैं। इनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण हैं। पहला ग्रहण अप्रैल के महीने में पड़ेगा। ये पूर्ण सूर्य ग्रहण है।
इसके बाद मई में चंद्र ग्रहण लगेगा। फिर अक्टूबर के महीने में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों लगेंगे। भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल का पहला ग्रहण 20 अप्रैल को लगेगा। दिन गुरुवार पड़ेगा, जो कि सूर्यग्रहण के रूप में लगेगा।
भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इस यहां सूतक इत्यादि मान्य नहीं होंगे। ये ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।