हर तीन वर्षों में आता अधिक मास। चूंकि ये महीना श्रावण मास के साथ लगेगा, इसलिए श्रावण अधिक कहा जाएगा। अनुष्ठान का 10 गुना फल मिलता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार, श्रावण अधिक आखिरी बार साल 2004 में लगा थाऔर अब यह संयोग पूरे 19 साल बाद बनने जा रहा है।
इस वर्ष अधिक मास लगेगा, जो लगभग हर तीन वर्ष बाद आता है। ऐसे में हिंदू कैलेंडर 12 की जगह 13 महीने का हो जाएगा। अधिक मास 18 जुलाई से प्रारंभ होगा और 16 अगस्त 2023 तक रहेगा।
चूंकि ये महीना श्रावण मास के साथ लगेगा, इसलिए इसे श्रावण अधिक कहा जाएगा। ज्योतिष गणना के अनुसार श्रावण अधिक आखिरी बार साल 2004 में लगा था और अब यह संयोग पूरे 19 साल बाद बनने जा रहा है।
डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 5 महीने का चातुर्मास रहेगा। हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व बताया गया है। चातुर्मास में भगवान विष्णु योग निंद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है।
चातुर्मास में श्रावण, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास आते हैं। इस बार चातुर्मास पांच महीने का होगा। श्रावण, भादौ, आश्विन और कार्तिक मास के साथ अधिक मास भी जुड़ जाएगा। 2023 से पहले श्रावण अधिक का संयोग 1947, 1966, 1985 और 2004 में बना था।
देर से आएंगे ये प्रमुख त्योहार –
बीते वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया गया था, लेकिन 2023 में यह पर्व 30 अगस्त को पड़ रहा है यानी त्योहार की तिथि में पूरे 19 दिन का अंतर है। ऐसा अधिक मास की वजह से हो रहा है।
इतना ही नहीं, इस वर्ष जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, पितृपक्ष, शारदीय नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस, दीपावली और भाई दूज जैसे बड़े पर्व भी देरी से आएंगे।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि अधिकमास का विशेष महत्व है। वशिष्ठ सिद्धांत के अनुसार भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्र की गणना पर आधारित हैं। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घड़ी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है।
प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर हो जाता है।
इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास का कहा जाता है इसलिए इस माह में पूजा, पाठ, व्रत, उपवास, जप आदि धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है, लेकिन हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह, गृह प्रवेश, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीदारी नहीं होती है।