देश में मानसुन आ चुका है और इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद है। इसी उम्मीद में हमारे अन्नदाता किसान भी हैं और उन्होंने खरीफ के लिए खेती-बाड़ी का अपना काम शुरु कर दिया है क्योंकि अच्छी बारिश बेहतर उपज की उम्मीद लेकर आती है।
किसान मौसम को और इसके फायदे-नुकसान को खूब समझते हैं. इसीलिए वो जोखिमों से बचने के लिए भी तैयारी करते हैं। जोखिमों से बचाव के लिए फसल का बीमा होना बेहद जरुरी है. फसल को सुरक्षा देने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) तथा पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) देश में खरीफ की फसल पर आने वाले जोखिमों से सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सबसे अहम पहलू है किसानो के लिए कम प्रीमियम जिससे किसानों पर बीमा प्रीमियम की राशि का कम बोझ पड़ता है और बाकी के प्रीमियम का भार केंद्र और राज्य सरकार उठाती हैं। फिलहाल यह योजना भारत के 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
कुछ राज्य जैसे ओडिशा, पुडुचेरी, मेघालय और महाराष्ट्र किसानों के पूरे बीमा प्रीमियम को भी वहन करने के लिए आगे आए हैं। इन राज्यों के किसानों की यह सक्रियता उन छोटे और सीमांत किसानों के लिए मददगार साबित होगी। जिन्हें इसके कारण प्रीमियम के लिए अधिक वित्तीय खर्च नहीं उठाना पड़ेगा और इस तरह बीमा कवरेज अधिक सुलभ एवं किफायती होगा।
प्रीमियम लागत साझा करने में केंद्र सरकार और राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने और सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
फसल बीमा योजनाओं में दावे और मुआवजे की प्रक्रिया को और पारदर्शी एवं सरल बनाने के लिए एक प्रौद्योगिकी आधारित डिजी क्लेम नाम की प्रणाली विकसित की गई है जिसके तहत दावों के निपटारे और मुआवज़ा वितरण जैसी प्रक्रियाएं आसान हो गयी हैं।
यही नहीं इसके साथ कागज़ी कार्यवाही भी कम होती है। साथ ही किसानों की फसल को हुए नुकसान की सूरत में उन्हें जल्दी मुआवजा मिलता है। इस प्रणाली के ज़रिए सरकार किसानों को मुआवज़ा भुगतान के लिए डिजिटल समाधान दे रही है।
इस प्रणाली के परिणामों का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्च 2023 में डिजीक्लेम के लॉन्च के दौरान एक ही दिन में किसानों को 1200 करोड़ रुपये से अधिक दावों का भुगतान किया गया था।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को खेती बाड़ी में होने वाले तमाम वित्तीय जोखिमों से बचाने के लिए व्यापक सुरक्षा मिलती है। इसमें पूर्व-बुवाई, मध्य अवधि की प्रतिकूलता, स्थानीय आपदाएं, उपज-आधारित क्षति और मौसम-आधारित क्षति जैसी आपदाएं शामिल हैं। यह बहुआयामी योजना पूरे फसल चक्र के दौरान किसानों को एक सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
इस तरह हमारे किसान अप्रत्याशित मौसम की स्थिति और अन्य चुनौतियों से उत्पन्न अनिश्चितताओं से निश्चिंत रह सकतें हैं। किसानों को इस योजना को लेकर जागरुक रहने की जरुरत है। उन्हें पता होना चाहिए कि योजना में पंजीकरण और अन्य संबंधित प्रक्रियाओं की तय तारीख़ों क्या हैं। वे इसके लिए किसान कॉल सेंटर की भी मदद ले सकते हैं अथवा इलाके की नजदीकी बीमा कंपनी, बैंक ब्रांच, किसान सेवा केंद्र (सी एस सी सेंटर) या फिर कृषि अधिकारी से जानकारी प्राप्त करके योजना के अंतर्गत पंजीकरण करवा सकते है।
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