बच्चों में मोबाइल की आदत बन सकती है बड़ी परेशानी, जानिये इससे कैसे निपटें?


बच्चों में मोबाइल की लत एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। अधिक स्क्रीनटाइम से आंखों की थकावट, ध्यान की कमी, और सामाजिक संबंधों में बाधा आ सकती है। माता-पिता के लिए यह ज़रूरी है कि वे बच्चों के मोबाइल उपयोग को नियंत्रित करने के प्रभावी उपाय अपनाएं।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
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Mobile addiction in children www.deshgaon.com

डिजिटल युग ने दुनिया को काफी अलग बना दिया है, हम कह सकते हैं कि मोबाइल या स्मार्ट फोन जैसी तकनीक ने दुनिया में कामकाज को आसान कर दिया है। हमारे रोज के जीवन में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं जो बताते हैं कि इन्फॉर्मेशन टैक्नॉलॉजी ने हमारी कई मुसीबतों को हल या फिर कम कर दिया है। इस बीच हमारे बच्चों ने भी मोबाइल फोन का उपयोग करना शुरू कर दिया है, कई बच्चों में मोबाइल की लत लग चुकी है।

पढ़ाई से लकर मनोरंजन तक हर चीज़ मोबाइल फोन पर सुलभ है और इसके चलते गांव और शहर हर कहीं मां-बाप अपने बच्चों के मोबाइल फोन के एडिक्ट होते देख रहे हैं और वे चाहकर भी उनकी ये लत नहीं छुड़ा पा रहे हैं। Covid-19 के बाद तो यह परेशानी और भी बढ़ी है क्योंकि अब बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग पहले से ज्यादा कर रहे हैं।

यह एक चिंता का विषय है क्योंकि रिसर्च कहती है कि लगातार मोबाइल के उपयोग से बच्चों की सेहत, मानसिक विकास, और सामाजिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। तो, यह समझना ज़रूरी है कि बच्चों में मोबाइल की आदत कैसे लगती है और इसे नियंत्रित करने के लिए माता-पिता क्या कदम उठा सकते हैं।

 

 

मोबाइल की लत के नकारात्मक प्रभाव:

  1. शारीरिक स्वास्थ्य पर असर: विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि बच्चों को मोबाइल का उपयोग अधिकतम २ घंटे तक ही करना चाहिए इससे ज्यादा उपयोग करना उनके लिए कई तरह से हानिकारक हो सकता है। इसका सबसे ज्यादा खराब असर बच्चों की आंखों पर होता है।

    कनाडा के एक शोध में पाया गया कि जिन बच्चों का स्क्रीनटाइम प्रतिदिन दो घंटे से अधिक होता है, उनमें ADHD की संभावना आठ गुना बढ़ जाती है। यह शोध माता-पिता को बच्चों के स्क्रीन उपयोग को सीमित करने की चेतावनी देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकी बाल रोग अकादमी (AAP) ने भी बच्चों के लिए सीमित स्क्रीनटाइम की सिफारिश की है। WHO के अनुसार, 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोई स्क्रीनटाइम नहीं होना चाहिए। यह शोध बताता है कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्क्रीनटाइम नियंत्रित रखना आवश्यक है।

    लगातार मोबाइल का उपयोग बच्चों की आँखों पर बुरा असर डालता है। लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से आंखों में थकावट, सिरदर्द, और नींद की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधियों की कमी भी होती है, जिससे बच्चों में मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

  2. मानसिक विकास में बाधा:
    मोबाइल पर अधिक समय बिताने से बच्चों का मानसिक विकास भी प्रभावित होता है। वे वास्तविक दुनिया से कटने लगते हैं और उनका ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घटती जाती है। खेल और अन्य गतिविधियों के बजाए, अगर बच्चे मोबाइल पर ज्यादा समय बिताते हैं, तो उनका मानसिक और सामाजिक विकास रुक सकता है।  दुनिया के एक प्रमुख मेडिकल जर्नल जामा के अनुसार मोबाइल के अधिक उपयोग के कारण बच्चों में होने वाली समस्याओं में छोटे बच्चों में ज्यादा स्क्रीन टाइम (जैसे टीवी या मोबाइल देखना) से उनके व्यवहार और विकास पर असर पड़ सकता है। इससे ध्यान की कमी, चिड़चिड़ापन, और समाज में घुलने-मिलने की क्षमता में कमी हो सकती है। इसके साथ ही, कुछ बच्चों में ध्यान भटकाव (ADHD) और ऑटिज्म जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
  3. सामाजिक संबंधों पर असर:
    मोबाइल की लत के कारण बच्चे परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना कम कर देते हैं। यह उनके सामाजिक संबंधों को कमजोर बना सकता है और वे अकेलेपन का शिकार हो सकते हैं। मोबाइल फोन ने हमारी बातचीत के तरीके को बदल दिया है, लेकिन यह बदलाव बच्चों की सामाजिक क्षमताओं और संवाद कौशल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ज्यादा मोबाइल उपयोग से बच्चों की आमने-सामने बात करने, गैर-शाब्दिक संकेतों को समझने और सहानुभूति विकसित करने की क्षमता घट सकती है। इसके साथ ही, वे वर्चुअल बातचीत पर अधिक निर्भर हो जाते हैं, जिससे उनकी सामाजिक दक्षता और गहरे संबंध बनाने की योग्यता कमजोर हो सकती है।

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समाधान: बच्चों को मोबाइल से दूर कैसे रखें?

बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखना माता पिता के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में इस चुनौती से निपटने के लिए उन्हें कई तरह से खुद को प्रयास करने होंगे।

  1. समय निर्धारित करें:
    बच्चों के मोबाइल उपयोग के लिए एक समय सीमा तय करें। उन्हें समझाएं कि दिन में केवल एक निश्चित समय के लिए ही मोबाइल का उपयोग करना है, और वह भी ज़रूरी कार्यों के लिए जैसे पढ़ाई या जानकारी प्राप्त करना।
  2. विकल्प प्रस्तुत करें:
    बच्चों को मोबाइल के अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल करें। उन्हें बाहर खेलने, किताबें पढ़ने, या कोई नई कला सीखने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका ध्यान मोबाइल से हटेगा और वे अन्य रचनात्मक कार्यों में व्यस्त होंगे।
  3. नियमित ब्रेक दें:
    अगर बच्चा मोबाइल का उपयोग करता है, तो उसे बीच-बीच में ब्रेक लेने के लिए कहें। यह उसकी आँखों और मस्तिष्क को आराम देगा और उसे मोबाइल के दुष्प्रभावों से बचाएगा।
  4. मीडिया प्लान बनाएं: एक पारिवारिक मीडिया प्लान तैयार करें, ताकि बच्चों का मीडिया उपयोग सीमित और जिम्मेदार तरीके से हो।
  5. रोल मॉडल बनें:
    बच्चों को मोबाइल की लत छुड़ाने का एक तरीका माता-पिता का खुद का व्यवहार है, इसके लिए उन्हें भी खुद के मोबाइल उपयोग पर ध्यान देना चाहिए। जब आप खुद मोबाइल का सीमित उपयोग करेंगे, तो बच्चे भी आपसे सीखेंगे और आपका अनुकरण करेंगे।

 

इस मामले में डेटा साइंटिस्ट और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट इमेड बुच्रिका कहते हैं कि बच्चों को स्मार्टफोन देने से पहले सावधानीपूर्वक विचार करना जरूरी है। स्मार्टफोन की लत, जिसे “नोमोफोबिया” के रूप में जाना जाता है, बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को स्मार्टफोन देने का निर्णय सही समय और संतुलित दृष्टिकोण के साथ लिया जाए, जिससे इसके फायदों और नुकसानों को समझा जा सके।



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