प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा क्लेम बांटने में राजस्थान का देश में पहला स्थान है।
मौसम का बदलना एक खूबसूरत अनुभव है। अकसर लोग मौसम के बदलने पर बीमार पड़ने लगते हैं। खासकर बच्चों को एलर्जी और इंफेक्शन से सर्दी-खांसी जैसी कई समस्याएं हो जाती हैं। हम बच्चों…
केंद्र द्वारा 8 राज्यों के 5.6 लाख किसानों को 258 करोड़ रु. क्लेम जारी
मध्यप्रदेश के किसानों ने कहा कि प्रीमियम कम है क्लेम लेने के लिए नहीं लगाने पड़ते चक्कर
आईटीआर में अपनी इनकम को कम ना बताएं, गलत जानकारी देने पर भरना पड़ सकता है जुर्माना - सीए अंकुश खंडेलवाल।
27 जुलाई को आएगी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 14वीं किस्त, पीएम मोदी ट्रांसफर करेंगे 2-2 हजार रुपये।
नर्मदा पर बन गए कई बांध, रुक गया बहता हुआ पानी, ताज़े पानी की नदी में अब नहीं मिल रहीं कई ख़ास मछलियां और वनस्पति
सरकार पर भारी शिक्षा माफिया, नर्सरी की फीस हजारों में, ड्रेस-स्टेशनरी की दुकानें फिक्स, पालकों पर बढ रहा खर्चे का बोझ।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कम प्रीमियम के साथ व्यापक सुरक्षा - डिजी क्लेम से आसान दावा निवारण और मुआवज़ा भुगतान - मौसम आधारित बीमा कवरेज का मतलब पूरे फसल चक्र के…
बच्चों का स्कूल जाना, बाहर खेलना आदि सभी कारणों से उन्हें इन तरह की बीमारियां होने का डर अधिक होता है। ऐसे में बच्चों का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है वरना दिक्कत…
बाल आशीर्वाद योजना के लिए पात्र ऐसे बच्चे होंगे जिनके माता-पिता की मौत हो चुकी है। ऐसे बच्चों का करीबी रिश्तेदार या संरक्षक की देख-रेख में पालन-पोषण हो रहा है।
पिछली बार से कम बारिश में किसानों ने कर दी 60 प्रतिशत बोवनी
महू (इंदौर)। बदलती जरुरतों के साथ हमारी दुनिया भी काफी बदल रही है। अब दुनिया में सरल जीवन जैसी बातें करना भी कठिन है। महात्मा गांधी का कहना था कि प्रकृति के पास…
पहली बार लाडली बहना योजना में 3.42 लाख से अधिक महिलाओं को मिला लाभ, अब अन्य एक लाख से अधिक महिलाओं को और मिलेगा लाभ।
Indore-Bhopal Vande Bharat और Jabalpur-Rani Kamlapti Vande Bharat ट्रेन का आधिकारिक समय हुआ घोषित, इंदौर से सुबह 6.30 बजे होगी रवाना जबकि जबलपुर से सुबह 6 बजे होगी रवाना।
टीकमगढ़ और निवाड़ी में हुई बारिश, कई जिलों में होना है इसका असर
नर्मदा नदी पर शहरों की निर्भरता बढ़ रही है, वहीं नर्मदा के आसपास का इकोसिस्टम बिगड़ रहा है और आने वाले कुछ दशकों में इसकी स्थिति भयावह हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक स्तर पर 90% नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशन प्रतिज्ञाओं के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भी अपेक्षित सफलता मिलना मुश्किल है।
मशरुम के माध्यम से बनने वाला यह उत्पाद थर्माकोल की ही तरह होता है, लेकिन पूरी तरह से बायोडीग्रेडबल होता है।
पर्यावरण दिवसः हर साल धार जिले में कटते हैं लाखों पेड़, लगाने के नाम पर होती है बस खानापूर्ति।