भारत में इस समय दुनिया का सबसे बड़ा योजनाबद्ध शहरीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसी क्रम में बीती 16 नवंबर को शहरों में नवाचार, एकीकरण और टिकाऊ विकास के मकसद से निवेश के लिए सिटी इन्वेस्टमेंट टू इनोवेट, इंटीग्रेट एंड सस्टेन (सीआईटीआईआईएस) प्रोग्राम का दूसरा चरण शुरू हुआ है। आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक शहरी विकास में कुल निवेश 2004 और 2014 के बीच 10 साल की अवधि की तुलना में 2014 के बाद से अब तक 10 गुना बढ़कर 18 लाख करोड़ से अधिक हो गया है।
18 परियाजनाओं को मिलेगी सहायता
सीआईटीआईआईएस 2.0 प्रोग्राम स्मार्ट सिटीज़ मिशन का स्थान लेगा और स्वच्छ भारत मिशन के साथ जुड़ जाएगा। इसका उद्देश्य जैविक कचरे से जैव-ईंधन बनाने के लिए गोबर धन मिशन के साथ जुड़ना भी है। स्मार्ट सिटी मिशन के सभी 100 स्मार्ट शहरों से आग्रह किया गया है कि वे सीआईटीआईआईएस 2.0 चैलेंज के लिए आवेदन करें। इसके तहत एकीकृत कचरा प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने वाली 18 नवीन (इनोवेटिव) परियोजनाओं को सहायता के लिए चुना जाएगा। यानी सीआईटीआईआईएस 2.0 चैलेंज के तहत देश के शहर उम्दा परियोजनाओं के साथ आपस में प्रतिस्पर्द्धा करेंगे।
इंदौर स्मार्ट सिटी से सबक
बीती सितंबर इंदौर में आयोजित बेस्ट स्मार्ट सिटीज़ कॉन्क्लेव में स्पष्ट हुआ कि वायु गुणवत्ता सुधार, स्वच्छता और जल प्रबंधन में अव्वल “बेस्ट स्मार्ट सिटी” इंदौर से देश के दूसरे शहर बहुत कुछ सीख सकते हैं। इंदौर के अलावा अन्य स्मार्ट सिटीज़ के कुछ नवाचार भी अनुकरणीय हैं। आइये अब योजनाबद्ध विकास के इस दौर में इंदौर और दूसरे स्मार्ट शहरों को मिल रही तारीफ के कारणों को तथ्यों के साथ जानें।
बीती 14 नवंबर को एक रोडशो के दौरान इंदौर की जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत में फूल बरसाए। रोडशो के बाद झाड़ू लेकर सड़क साफ करने के लिए सफाई मित्रों के साथ महापौर पुष्यमित्र भार्गव का उतरना महज सांकेतिक भाव नहीं है। ऐसा रंगपंचमी के दिन भी हुआ था और दिवाली के दूसरे दिन भी, क्योंकि स्वच्छता इंदौर में अब एक संस्कार है। इंदौर अपने यहां लगातार नवाचारों के साथ बुनियादी ढ़ांचे का विकास करते हुए नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बना रहा हैं।
हवा, पानी और “वेस्ट से वेल्थ” में नंबर वन
अगर कुछ मिसालों पर गौर करें तो शहरी पर्यावरण में बेहतरीन प्रदर्शन, स्वच्छता (सेनिटेशन) में गोबर धन बायो सीएनजी प्लांट और घर-घर से निकलने वाले वेस्ट (कचरे) को वेल्थ में बदलने के कारण इंदौर अव्वल है। वायु गुणवत्ता सुधार के लिए इंदौर नगर निगम ने युनाइटेट स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के साथ क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोग्राम के तहत करीब साढ़े तीन साल से वैज्ञानिक समाधानों पर लगातार काम कर रहा है। यही वजह है कि स्वच्छ वायु सर्वेक्षण और स्मार्ट सिटीज़ सर्वे की एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कैटेगरी में भी इंदौर देश के दूसरे शहरों के लिए मिसाल है। ग्रीन कवर पर भी इंदौर में खासा काम हुआ है। अहिल्या वन और वर्टिकल गार्डन विकसित करन की वजह से इंदौर को गौरव हासिल हुआ है।
उम्दा जल प्रबंधन, फाइनेंसिंग मॉडल
देश के अन्य शहरों की तुलना में जल प्रबंधन के लिए इंदौर ने कई कदम उठाए जैसे सरस्वति ओर कान्ह नदी लाइफलाइन प्रोजेक्ट (संकल्प) का सफल क्रियान्वयन, बारिश के पानी को बचाकर (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) शहर को ‘वाटर प्लस’ से ‘वाटर सरप्लस’ सिटी बनाना और झीलों के साथ ही कुओं और बावड़ियों को पुनर्जीवित करना। इंदौर का रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट नदी स्वच्छता की मिसाल है। इंदौर के रामबाग पुल से लेक कृष्णपुरा छतरियों के बीच कान्ह और सरस्वति नदियों के किनारों पर स्थित 7370 घरों के सीवेज आउटफॉल्स को बंद कर इन घरों को सीवरेज पाइप नेटवर्क्स से जोड़ा गया, जो आगे अलग-अलग जगह ट्रीटमेंट प्लांट के साथ जुड़े। इस ट्रीटमेंट के बाद 67 फीसदी उपचारित पानी को फिर से इन नदियों में छोड़ दिया जाता है।
सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की बेहतरी के लिए बना इंदौर का वैल्यू केप्चर फाइनेंसिंग मॉडल दूसरे शहरों के लिए उदाहरण बना है। नवाचार के साथ तैयार किया गया यह अच्छा वित्त पोषण (फाइनेंसिंग) मॉडल है जो राज्य या केंद्र सरकार पर कम निर्भर है। इंदौर ने इस मॉडल के तहत राजस्व हासिल करना शुरू कर दिया है।
भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर से मिली सीख
भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर सहित देश की कुछ दूसरी स्मार्ट सिटीज़ ऐसी हैं, जिनसे इंदौर शहर भी बहुत कुछ सीख सकता है। इनकी प्रयासों की तरह इंदौर को अतिरिक्त प्रयास करने होंगे, जैसे- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, स्मार्ट प्रशासन, इंटिग्रेटेड कंट्रोल ऐंड कमांड सेटर (आईसीसीसी) बिजनेस मॉडल, मोबिलिटी, सामाजिक बुनियादी ढांचा और इनोवेटिव आइडियाज़ या अभिनव विचार। कोयंबटूर ने अपनी आठ झीलों को जोड़ कर इनके लिए उम्दा वातावरण तैयार करने और सबसे बड़ी झील सेल्व चिंतामणी को कचरे और गंदगी से मुक्त कराने का संकल्प पूरा किया। इस प्रोजेक्ट के जरिये पर्यावरण विकास में यह शहर नंबर वन है।
विरासत सहेजने में भोपाल सिरमौर
सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की वजह से अहमदाबाद, भोपाल और तंजावुर बेहतर साबित हुए हैं। भोपाल के सदर मंजिल जीर्णोद्धार और हैरिटेज वाक प्रोजेक्ट अनुकरणीय माना गया है। इसी तरह, शहर की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के मोर्चे पर जबलपुर स्मार्ट सिटी का 2017 से चल रहा इन्क्यूबेशन सेंटर अव्वल है। इसमें 200 से ज्यादा स्टार्टअप्स 100 से ज्यादा मेंटर्स और 20 से ज्यादा निवेशक साथ काम कर रहे हैं। इसने ऑनलाइन स्टार्टअप पाठशाला के जरिए कोविड काल में 10 हजार से ज्यादा छात्रों को उद्यमिता का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा कोडिंग पाठशाला और लीगल पाठशाला भी काम कर रही हैं। लखनऊ के रोजगार ट्रेनिंग सेंटर अन्य शहरों के लिए मिसाल है।
चंडीगढ़ का ई-गवर्नेंस, अहमदाबाद का कंट्रोल सेंटर बेस्ट
शासन प्रणाली (गवर्नेंस) को चाक-चौबंद बनाने में नागरिक सेवाओं के लिए मोबाइल ऐप्स का इस्तेमाल हो रहा है। चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी का ई-गवर्नेंस सबसे अच्छा माना गया है। पिंपरी-चिंचवड़ की स्मार्ट सारथी ऐप और उदयपुर की स्मार्ट एप्लिकेशन के साथ जबलपुर 311 ऐप अन्य स्मार्ट शहरों की तुलना में बेहतर हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) की स्थापना देश के सभी स्मार्ट शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सेंटर के जरिए अहमदाबाद ने ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए 32 जगह एलईडी लगाकर मिसाल कायम की है। सूरत का आईसीसीसी रेवेन्यू पैदा करने के लिए, ग्वालियर ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए तो आगरा रेवेन्यू बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए आईसीसीसी का उपयोग कर रहे हैं। मोबिलिटी के मामले में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत पब्लिक बाइक शेयरिंग और साइकिल ट्रैक का निर्माण करने के लिए चंडीगढ़, बिना मोटर वाले परिवहन को बढ़ावा देने की वजह से न्यू टाउन कोलकाता और सड़क सुरक्षा के साथ ही इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने के लिए मध्यप्रदेश का सागर आगे है।
वडोदरा और आगरा के हेल्थ सेंटर सबसे स्मार्ट
सामाजिक मामलों में वडोदरा का हॉस्पिटल मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस।) अव्वल है। इसके आगरा स्मार्ट सिटी का काम भी अच्छा है। पीपीपी आधारित स्मार्ट हेल्थ सेंटर और स्थानीय निकायों के स्कूलों को बेहतर बनाने की वजह से आगरा आगे है। स्कूल उन्नयन के लिए रायपुर और स्मार्ट क्लासरूम तथा ई-मॉनीटरिंग के लिए तूतुक्कुडी की तारीफ हुई है। शिवमोगा ने घनी आबादी को न केवल साफ सुथरा किया है बल्कि वहां ई-टॉयलेट, जिम ओर बच्चों के खेलने के लिए साधन स्थापित किए हैं। पुराने शहर में सफलतापूर्वक ई-ऑटो के सफल संचालन के कारण वजह से जम्मू स्मार्ट सिटी ने तारीफ बटोरी है।
जल आपूर्ति में आगरा, राजकोट, सूरत शीर्ष पर
आगरा शहर ने अपने प्राधिकरण क्षेत्र में 24 घंटे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के अलावा स्मार्ट मीटर और पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण प्रणाली स्थापित करने के लिए सराहा जाता है। अटल सरोवर को पुनर्जीवित कर राजकोट ने ख्याति अर्जित की है। नवाचार में हुबली-धारवाड़ नंबर वन है, जहां खुली जगह का बेहतरीन इस्तेमाल, नालों का पुनरुद्धार और ग्रीन कॉरिडोर के निर्माण जैसे अभिनव प्रयास सफलतापूर्वक किए गए हैं। इसी वर्ग में सूरत ने स्वपोषित सार्वजनिक बागवानी नहर पथ स्थापित करते हुए नवाचार किया। छत्तीसगढ़ के रायपुर ने नालंदा परिसर में ऑक्सी रीडिंग लाइब्रेरी जोन विकसित किया है।
जारी रहेगा नवाचारों के साथ विकास
इसी तरह विभिन्न नवाचारों के साथ भारत में शहरीकरण जारी है। 25 जून 2015 को शुरू किए गए स्मार्ट सिटी मिशन का मकसद है ‘स्मार्ट सॉल्यूशन्स’ के जरिये नागरिकों को बुनियादी ढांचा, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण और सम्मानित जीवन की गुणवत्ता प्रदान करना। शहरी विकास मंत्रालय का कहना है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कुल प्रस्तावित परियोजनाओं में से 1,10,635 करोड़ रुपए की 6,041 (76 प्रतिशत) परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 60,095 करोड़ रुपए की शेष 1,894 परियोजनाएं 30 जून 2024 तक पूरी हो जाएंगी।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को देखते हुए स्मार्ट सिटीज मिशन जैसी कई योजनाओं के जरिए विभिन्न उपाय किए हैं, जिनमें स्वच्छ भारत मिशन, अमृत और शहरी परिवहन कार्यक्रम भी शामिल हैं। उम्मीद है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए सीटीआईआईएस 2.0 एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।