आंगनवाड़ी में दूध से लेकर अंतिम संस्कार के लिए कंडों तक होगा गो कल्याण, जानिये कैबिनेट के फैसले…


मध्यप्रदेश की बहुचर्चित गो कैबिनेट की बैठक रविवार को हुई। इस बैठक में गायों के लिए एक शोध केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायों की सुरक्षा के लिए गो अधिनियम बनाने की बात कही। गो संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार के द्वारा लिये गए फैसलों का असर आम लोगों पर भी पड़ेगा। जानिये इनके बारे में…


DeshGaon
सबकी बात Updated On :
Photo: twitter @ChouhanShivraj


भोपाल। मध्यप्रदेश की आंगनवाड़ियां एक बार फिर चर्चाओं में हैं। अब यहां बच्चों के पोषण आहार के रुप में अंडा नहीं बल्कि गाय का दूध दिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार पूरी तैयारी कर रही है। इसके साथ ही नागरिकों से अब गो टैक्स भी लिया जाएगा।

रविवार को गोपाष्टमी के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की है। प्रदेश सरकार ने बच्चों के लिए आंगनवाड़ी से लेकर जीवन के अंत तक बहुत सी व्यवस्थाओं को गाय से जोड़ने का मन बना लिया है।

प्रदेश सरकार गो संरक्षण को आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहती है। इस कैबिनेट में कुछ ऐसे फैसले लिये गए हैं जिनसे गायों के साथ आम आदमी की ज़िंदगी पर भी काफी फ़र्क पड़ सकता है।

मध्यप्रदेश की बहुचर्चित गो कैबिनेट की बैठक रविवार को हुई। इस बैठक में गायों के लिए एक शोध केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायों की सुरक्षा के लिए गो अधिनियम बनाने की बात कही।  मुख्यमंत्री के मुताबिक प्रदेश में सात से आठ लाख गायें सड़क पर रहती हैं। इन्हें रखने के लिए प्रदेश में करीब दो हजार नई गोशालाएं बनाईं जाएंगी। इनमें में कुछ के संचालन का ज़िम्मा गैर सरकारी संगठनों को भी दिया जाएगा।

गो कैबिनेट से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले…

  • सरकारी कार्यालयों  में सफाई के लिए गो फिनाइल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए सीएम ने आदेश दिए हैं।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि अब होली लकड़ी के स्थान पर कंडों से जलाई जाएगी और अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह कंडों का ही इस्तेमाल किया जाए।  इस फैसले के अमल में आने के बाद कंडों की मांग बढ़ेगी और व्यवसायिक लाभ के लिए लोग गाय पालना शुरु करेंगे।
  • गोसंवर्धन और संरक्षण के लिए सरकार के द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
  • मनरेगा के अंतर्गत गोशालाओं के पास तालाब का निर्माण और उजड़े वनों में चारागाह का निर्माण करवाया जाएगा।
  • मध्यप्रदेश में गो अधिनियम बनाने का फैसला भी लिया गया है। इसके अलावा प्रदेश में गोसदन भी बनाया जाएगा। यही नहीं  आगर के गो अभयारण्य  गो-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होगा।
  • प्रदेश में दो हज़ार  गोशालाएं बनाई जाएंगी। इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए वन विभाग की खाली जमीन पर चारा उगाया जाएगा। गोवंश के इलाज के लिए संजीवनी योजना शुरु होगी।




Exit mobile version