भोपाल। एक ओर जहां नए साल का जश्न चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर इसका विरोध भी हो रहा है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर जमकर ट्वीट किए जा रहे हैं। ट्विटर पर हैशटेग कैलेंडर बदलो संस्कृति नहीं ट्वीट कर रहा है। वैसे तो इसे देशभर में कई जगह ट्वीट किया जा रहा है लेकिन मध्यप्रदेश में भी इसे पसंद करे वालों की संख्या कम नहीं रही। रात बारह बजे तक करीब दो लाख ट्वीट इसे लेकर हो चुके थे।
इन ट्वीट्स में लोग लगातार हिन्दू संस्कृति के मुताबिक ही नए साल को मनाने का संदेश दे रहे हैं। इस नए ट्रैंड के कारण संभव है कि अब नए साल को लेकर बहस भी छिड़ जाए। ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि दुनिया भर में नया साल किस आधार पर मनाया जाता है।
अंग्रेज़ी संस्कृति का हिस्सा…
दुनियाभर में अलग-अलग संस्कृतियों और सभ्याताओं के लोग अलग-अलग कालगणना और कैलेंडरों के हिसाब से नया साल मानते रहे हैं लेकिन इन सभी में सबसे ज्यादा प्रचलित कैलेंडर ग्रेगोरियन ही रहा है। जिसके मुताबिक नया साल एक जनवरी को आता है। इसे अंग्रेज़ अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं और यह ब्रिटिश राज के साथ ही दुनिया में फैलता चला गया।
भारत में होते थे 96 कैलेंडर
भारत कालगणना के मामले में काफी मजबूत माना जाता है। दुनिया में जहां 96 तरह के कैलेंडर हैं तो वहीं इनमें से 36 केवल भारत में हैं। हालांकि इनमें से भी 24 अब चलन से बाहर हो चुके हैं। दुनिया में जितने कैलेंडर इस समय चलन में हैं, इनमें से ज्यादातर के नए साल की शुरुआत फरवरी से अप्रैल के बीच होती है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर… इसके बावजूद दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित कैलेंडर ग्रेगोरियन है जिसे 1558 में तेरहवें पोप ग्रेगोरी ने जूलियन कैलेंडर में सुधार कर चलाया था। इसमें लीप ईयर भी जोड़ा गया ताकि तारीख और मौसम के बीच समन्वय बन सके। तब त्रुटि सुधार के लिए कैलेंडर में 10 दिन बढ़ा कर 4 अक्टूबर 1582 के बाद सीधे 15 अक्टूबर का दिन कर दिया गया था।
विक्रम संवत और शक संवत…
वहीं भारत में वैदिक संस्कृति के मुताबिक देश में सर्वाधिक प्रचलित संवत विक्रम और शक संवत है। इसे मालवा के सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने शुरु किया था। उन्होंने अपनी प्रजा का ऋण चुकाकर यह संवत् शुरू किया था। ऐसा भी माना जाता है कि विक्रम संवत गुप्त सम्राट विक्रमादित्य ने उज्जयनी में शकों को पराजित करने की याद में शुरू किया था।
इसे मालव संवत् भी कहा जाता है। इसमें कालगणना सूर्य और चंद्र के आधार पर की जाती है। यह चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र के साथ प्रारंभ होता है। इसी दिन को हिन्दू नववर्ष भी कहा जाता है।
इसी समय चैत्र नवरात्र प्रारंभ होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन उत्तर भारत के अलावा गुड़ी पड़वा और उगादी के रूप में भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष मनाया जाता है।
सिंधी लोग इसी दिन चेटीचंड के रूप में नववर्ष मनाते हैं। शक संवत को शालीवाहन शक संवत के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसे शक सम्राट कनिष्क ने 78 ई में शुरू किया था। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करते हुए इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में अपना लिया। राष्ट्रीय संवत का नव वर्ष 22 मार्च को होता है, जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है।
78 ई में शक संवत शुरु हुआ था। चैत्र 1,1879 यानी 22 मार्च 1957 को इसे भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में अपनाया गया। सबसे प्रचलित मतानुसार इसे कुषाण राजा कनिष्क ने चलाया था। इसका प्रथम माह चैत्र और अंतिम महीना फाल्गुन है। इसका सबसे प्राचीन शिलालेख चालुक्य वल्लभेश्वर का है। इसकी तिथि 465 शक संवत है।
हिजरी कैलेंडर…
इस्लामिक धार्मिक पर्वों के बारे में जानने के लिए हिजरी कैलेंडर का उपयोग होता है। इसमें कालगणना चंद्रमा के आधार पर की जाती है। मोहर्रम माह के प्रथम दिन नववर्ष मनाया जाता है। 62 ई में पैगंबर मोहम्मद के मक्का से मदीना जाने यानी हिजरत करने के दिन इस संवत् की शुरुआत हुई, इसलिए इसे हिजरी कहा जाता है।
कंबोडिया और वियतनाम में एक समुदाय विशेष के लोग 13 से 15 अप्रैल के बीच नया साल मनाते हैं। म्यांमार में नया साल 13 से 16 अप्रैल के बीच मनाया जाता है। इस उत्सव को तिजान कहते हैं। जो तीन दिन चलता है।
चीन में हर बार नया वर्ष अलग-अलग तारीख़ों को पड़ता है। चंद्र कैलेंडर के कारण यहां नया साल जनवरी 21 और फरवरी 20 के बीच आता है। यहां इसका जश्न भी करीब पंद्रह दिनों तक चलता है।
इथियोपिया में 12 सितंबर को नया साल मनाया जाता है। उत्तरी इराक, उत्तर-पूर्वी सीरिया, दक्षिण-पूर्वी तुर्की और उत्तर-पश्चिमी ईरान में 1 अप्रैल को नया साल मनाया जाता है। अफगानिस्तान में नया साल अमल की पहली तारीख यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 21 मार्च को मनाया जाता है।
इंडोनेशिया में 7 मार्च को बालिनी नव वर्ष मनाया जाता है। कोरिया में चंद्र कैलेंडर के आधार पर सेलून वर्ष के पहले दिन नए साल के रूप में सल्लल नाम का त्यौहार मनाते हैं। यह त्यौहार 5 फरवरी को आता है।
थाईलैंड में ये नए साल को सोंगक्रान कहते हैं और यहां यह 13 से 15 अप्रैल के बीच मनाया जाता है। मंगोलिया में नया साल 16 फरवरी को मनाया जाता है।
दुनिया में तमाम संस्कृतियों में नए साल की अलग-अलग मान्यता होने के बावजूद नए साल के पहले दिन को दुनिया में सबसे ज्यादा एक जनवरी के रुप में ही जाना जाता है। यह एक तारीख़ भले ही अंग्रेज लाए हों लेकिन यह विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ चुकी है।