पंचवर्षीय योजना में तीन तालाबों के संरक्षण पर खर्च करेंगे 40 करोड़ रुपये


वेटलैंड कॉम्पलेक्स का प्लान तैयार किया गया है। प्लान स्वीकृत होने के बाद पांच सालों में चरणबद्ध कामों के तहत तीन तालाबों की तस्वीर बदलने की कवायद की जाएगी।


आशीष यादव आशीष यादव
हवा-पानी Updated On :

धार। जिला मुख्यालय धार स्थित तीन तालाबों का चयन वेटलैंड प्रोजेक्ट के तहत किया गया है। यह सभी तालाब राजा भोज द्वारा बनाए गए साढ़े बारह तालाबों में शामिल हैं। इन तालाबों में जल, वानस्पतिक, जैव, जलिय जंतु संरक्षण सहित कई प्रकार के काम योजना के अंतर्गत करवाए जाएंगे।

मंगलवार दो फरवरी वर्ल्ड वेटलैंड-डे पर धार के तीन प्रमुख तालाबों का वेटलैंड कॉम्पलेक्स प्लान प्रेजेटेशन जिला पंचायत सभागृह में प्रोजेक्ट निर्माण फर्म सेलिस कंसल्टेंसी द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। पंचवर्षीय इस योजना में चरणबद्ध काम किए जाएंगे। जिसमें अनुमानित रूप से 30 से 40 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

अनुशासन जरूरी, चुनौतियां बहुत:  वेटलैंड प्रोजेक्ट में शहर के मंजु सागर, देवी सागर एवं धपू तालाब का चयन किया गया है। इन तालाबों के संरक्षण के लिए प्रशासनिक अनुशासन एव सतत निगरानी जरूरी होगी। ऐसा नहीं होने पर उद्देश्य के अनुसार काम नहीं हो सकेंगे।  वेटलैंड कॉम्पलेक्स के तहत तालाब से सटे क्षेत्रों में निर्माण प्रतिबंधित होगा। वहीं  धार में तालाबों की पूरी पाल पर लोग बसे हुए हैं।

तालाब के घाट क्षेत्रों पर भी कब्जा हो चुका है। इस बसाहट को हटाना या बसाहट के साथ संरक्षण के लिए प्रयास करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। इसके अलावा तालाबों का सीमांकन भी जरूरी है। सीमांकन के साथ सुरक्षा के लिए वॉल या फेंसिंग जैसी व्यवस्था करना होगी।

जल संरक्षण के लिए भोजप्लान होगा : वेटलैंड कॉम्पलेक्स का प्लान तैयार किया गया है। प्लान स्वीकृत होने के बाद पांच सालों में चरणबद्ध कामों के तहत तीन तालाबों की तस्वीर बदलने की कवायद की जाएगी। इसमें  तालाबों का जल संरक्षण सबसे महत्वपूर्ण  विषय रहेगा। इसमें राजा भोज द्वारा तालाबों के निर्माण के दौरान तैयार की गई प्लानिंग का ही उपयोग किया जाएगा।

एक तालाब के ओवरफ्लो होने पर दूसरे तालाब तक चैनल के माध्यम से आसानी से पानी पहुंच जाए और तालाबों में वॉटर लेवल की स्थिति बनी रहे। इसके लिए चरणबद्ध कार्यों के तहत बाधक स्थानों पर चैनल निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा विशेषज्ञों से परामर्श लेकर पानी के अंदर जल कुंभी सहित अन्य घातक वानस्पतिकों के निपटान हेतु कार्य किया जाएगा। पानी की शुद्धता सहित जलीय जंतु के जीवन संरक्षण के लिए भी व्यवस्था होगी।

वॉटर लेवल में महत्वपूर्ण तालाब : शहर के देवी सागर और मजुसागर तालाब के जल का उपयोग भले ही पेयजल के रूप में नहीं किया जाता है लेकिन शहर के ग्राउंड वॉटर लेवल को बैलेंस रखने में इन तालाबों की महत्वपर्ण भूमिका है। तालाबों के कारण ही आसपास की भूमि में नमी  है।

प्रोजेक्ट के तहत तालाब से पानी चोरी ना हो इसको लेकर भी प्लानिंग की जाएगी। पर्यावरण को किनारे पर महत्व देने के लिए प्लान में जगह तैयार की गई है। इसके अलावा घाटों का सौंदर्यीकरण सहित वह तमाम कार्य होंगे जिससे तीनों तालाब एक आदर्श के रूप में वेटलैंड प्रोजेक्ट के महत्व को स्थापित कर सकें ।

मत्स्य पालन में बाधक नहीं वेटलैंड : वेटलैंड कॉम्पलेक्स में भले ही जैवीय और जल-जंतु संरक्षण को लेकर नियम-निर्देश तय हैं लेकिन मुंज सागर जैसे तालाबों में मत्स्य पालन जैसे कार्यों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं होगा।

इस प्रोजेक्ट के तहत कलेक्टर आलोक सिंह द्वारा दिए गए सुझाव को भी शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट के मध्य का टापू क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। घाट किनारों से टापू तक बोटिंग का आनंद और टापू पर पर्यटन का आनंद लिया जा सकेगा। इससे सिर्फ पर्यटन ही नहीं बल्कि स्थानीय मछुआरा समाज को रोजगार भी मिलेगा। संभावना रहेगी कि बोट संचालन में पहले उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।

इस बारे में धार जिले के कलेक्टर आलोक कुमार सिंह कहते हैं…

तालाबों की पालों पर पुराने समय से लोग बसे हुए है। अभी हम किसी को भी प्रभावित करने के लिए कोई प्लान नहीं बना रहे हैं। यह जरूर है कि अब तालाबों की पाल और आसपास नया निर्माण और कब्जा ना हो इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा। हमारी प्राथमिकता में राजा भोज द्वारा निर्मित इन जल रचनाओं को फिर गौरव के साथ स्थापित किया जाना शामिल है। घाटों का सौंदर्यीकरण हो। बोटिंग की व्यवस्था से पर्यटन बढ़े और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले। इसी के साथ चैनल निर्माण जिससे तालाबों में कनेक्टिविटी बनी रहे और भरपूर पानी उपलब्ध रहे।
 



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