तवा जलाशय को रामसर साइट की मान्यता: भारत की आर्द्रभूमि संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम; जानिए क्या होती है रामसर साइट और इसका महत्व

मध्य प्रदेश के इटारसी में स्थित तवा जलाशय को हाल ही में रामसर साइट घोषित किया गया है, जो प्रदेश और देश के लिए गर्व का विषय है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मान्यता को मध्य प्रदेश की एक बड़ी उपलब्धि बताया। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्वतंत्रता दिवस 2024 की पूर्व संध्या पर भारत की रामसर साइटों की संख्या 82 से बढ़ाकर 85 करने की घोषणा की। तवा जलाशय, जो 1958 में तवा बांध के निर्माण से बना है, स्थानीय कृषि, बिजली आपूर्ति और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण है। रामसर साइट्स पर्यावरणीय संरक्षण, जलवायु नियंत्रण और आर्थिक लाभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और तवा जलाशय की मान्यता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नर्मदापुरम जिले के इटारसी में स्थित तवा जलाशय को रामसर साइट घोषित किए जाने पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने इसे मध्य प्रदेश और देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह प्राकृतिक और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति प्रदेशवासियों का संकल्प दृढ़ है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्वतंत्रता दिवस 2024 की पूर्व संध्या पर भारत द्वारा तीन और वैटलैंड्स को रामसर साइटों के रूप में नामित किए जाने की घोषणा की। इसके साथ ही, भारत की कुल रामसर साइटों की संख्या 82 से बढ़कर 85 हो गई है। यादव ने तमिलनाडु और मध्य प्रदेश को बधाई दी और कहा कि यह भारत के लिए एक गर्व की बात है। उन्होंने यह भी बताया कि 1971 में रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के बाद से भारत ने 59 नई वैटलैंड्स को रामसर साइटों की सूची में जोड़ा है। वर्तमान में तमिलनाडु में 18 और उत्तर प्रदेश में 10 रामसर साइटें हैं।

तवा जलाशय, जो 1958 में तवा बांध के निर्माण से बना था, मध्य भारत में एक प्रमुख जलाशय है। यह जलाशय नर्मदापुरम और हरदा जिलों की कृषि भूमि को सिंचाई प्रदान करता है और पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, यह सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्यजीव अभयारण्य की पश्चिमी सीमा से मिलता है और आसपास के क्षेत्रों को बिजली भी उपलब्ध कराता है।

 

रामसर साइट: क्या होती है और इसका महत्व

 

रामसर साइट क्या होती है?

 

रामसर साइट्स वे आर्द्रभूमियाँ (wetlands) हैं जिन्हें “रामसर कन्वेंशन” के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। रामसर कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जो 1971 में ईरान के रामसर शहर में हस्ताक्षरित हुआ था। इसके तहत, सदस्य देशों को अपनी आर्द्रभूमियों को संरक्षित और संरक्षित रखने का संकल्प लेना होता है।

 

रामसर साइट्स का महत्व

 

1. पर्यावरणीय संरक्षण: रामसर साइट्स आर्द्रभूमियों को संरक्षित करके जैव विविधता की रक्षा करती हैं। ये स्थल विभिन्न प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं, जैसे कि पक्षी, मछलियाँ और पौधे।

 

2. जलवायु नियंत्रण: आर्द्रभूमियाँ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे पर्यावरण को ठंडा रखने में भी मदद करती हैं।

 

3. पानी की गुणवत्ता: ये स्थल जल की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक होते हैं। आर्द्रभूमियाँ प्रदूषकों को अवशोषित करके और पानी को साफ करके जल संसाधनों की सुरक्षा करती हैं।

 

4. आर्थिक लाभ: रामसर साइट्स पर्यटन, मत्स्य पालन और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं। ये स्थल स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार और आय के अवसर प्रदान करते हैं।

 

5. प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: आर्द्रभूमियाँ बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं। वे पानी को अवशोषित करके बाढ़ की तीव्रता को कम करती हैं।

 

विश्व और भारत में रोचक बातें

 

विश्वभर में: वर्तमान में, 170 से अधिक देशों में लगभग 2,400 से अधिक रामसर साइट्स हैं। ये स्थल 250 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल को कवर करते हैं।

 

भारत में: भारत में 85 रामसर साइट्स हैं, जो देश की आर्द्रभूमि की महत्वपूर्ण विविधता को दर्शाती हैं। इनमें प्रमुख साइट्स जैसे कूल लोन, कुट्टीर, और तवा जलाशय शामिल हैं।

 

भारत का योगदान: भारत ने 1982 में रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए और तब से लगातार आर्द्रभूमियों की संख्या बढ़ाई है। 2014 से 2024 के बीच, देश ने 59 नई साइट्स को जोड़कर अपने योगदान को बढ़ाया है।

 

 

रामसर साइट्स केवल पर्यावरणीय संरक्षण के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय समुदायों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इन स्थलों की रक्षा और संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी ये प्राकृतिक संसाधन मिल सकें।

First Published on: August 15, 2024 12:12 PM