पिछले साल जून में शुरू हुई अल नीनो स्थितियों के कारण प्रशांत महासागर के गर्म होने के अलावा, भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर असामान्य रूप से गर्म रहे।
पूर्वोत्तर भारत हो रहा गर्म और इसीलिए सिमट रहा वसंत
मौसम विभाग ने कई जिलों में आरेंज एलर्ट जारी किया है। मौसम का यह मिजाज़ कुछ दिनों पहले से ही बना हुआ है।
जबलपुर शहर के 25 हजार घरों का गंदा पानी, सैकड़ों अस्पताल का गंदगी, रेलवे और कार वाशिंग का गंदा पानी 60 नालों के माध्यम से गंदगी हर दिन नर्मदा में मिल रहा है।
क्लीन एयर कैटलिस्ट के साथ इंदौर नगर निगम ने बड़े स्तर पर सर्वे करके अभियान चला कर अलग-अलग गंभीर मुद्दों को स्टडी किया है.
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए भार्गव ने बीते दिनों सफलतापूर्वक “नो कार डे” का आयोजन किया, चौराहों पर वायु प्रदूषण कम करने के लिए “रेड लाइट ऑन और इंजन ऑफ” को बढ़ावा…
ये लोग हैं “क्लीन एयर चैंपियन्स” यानी जीवनदायी स्वच्छ वायु के लिए व्यक्तिगत प्रयास कर रहे पैरोकार
बदलते रुझानों और बदलते पैटर्न, जहां बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में अब बाढ़ आ रही है और देश के सबसे गीले क्षेत्र सूख रहे हैं, को बदलती जलवायु और स्थानीय मौसम प्रणालियों…
वायु गुणवत्ता सूचकांक, पीएम 2.5 जैसे प्रदूषका का प्रभाव, हीट एवं कोल्ड स्ट्रोक के असर और बचाव के साथ ही प्रारंभिक उपचार पर विशेष चर्चा की गई।
दुनिया के तमाम देशों में मौसम संबंधी कारणों से होने वाली मौतों में गर्मी एक प्रमुख कारण बनी हुई है।
मौसम विभाग के मुताबिक 13 और 14 सितंबर को बंगाल की खाड़ी से लो प्रेशर एरिया एक्टिव होगा जो पहले छत्तीसगढ फिर बंगाल और फिर मध्य प्रदेश तक आएगा।
प्रदेश के कई जिलों में औसत से कम हुई है बारिश, फसलों के सूखने का खतरा
जर्मनी की लाइपजिग यूनीवर्सिटी में हुए ताज़ा शोध की मानें तो इस साल, बीते लगभग सवा लाख साल बाद जुलाई का महीना सबसे गर्म रहेगा। अब तक साल 2019 की जुलाई सबसे गर्म…
नर्मदा पर बन गए कई बांध, रुक गया बहता हुआ पानी, ताज़े पानी की नदी में अब नहीं मिल रहीं कई ख़ास मछलियां और वनस्पति
पिछली बार से कम बारिश में किसानों ने कर दी 60 प्रतिशत बोवनी
महू (इंदौर)। बदलती जरुरतों के साथ हमारी दुनिया भी काफी बदल रही है। अब दुनिया में सरल जीवन जैसी बातें करना भी कठिन है। महात्मा गांधी का कहना था कि प्रकृति के पास…
टीकमगढ़ और निवाड़ी में हुई बारिश, कई जिलों में होना है इसका असर
नर्मदा नदी पर शहरों की निर्भरता बढ़ रही है, वहीं नर्मदा के आसपास का इकोसिस्टम बिगड़ रहा है और आने वाले कुछ दशकों में इसकी स्थिति भयावह हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक स्तर पर 90% नेट ज़ीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशन प्रतिज्ञाओं के पूर्ण कार्यान्वयन के बाद भी अपेक्षित सफलता मिलना मुश्किल है।
मशरुम के माध्यम से बनने वाला यह उत्पाद थर्माकोल की ही तरह होता है, लेकिन पूरी तरह से बायोडीग्रेडबल होता है।